60 गाँवों के 300 चरवाहों को दिया गया प्रशिक्षण, ताडोबा सफारी का भी अनुभव
300 Herders Trained in Tadoba to Prevent Human-Wildlife Conflict: ताडोबा-अंधारी व्याघ्र परियोजना के तहत 11 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें बफर और कोर क्षेत्र के 7 वन परिक्षेत्रों के 60 गाँवों के 300 चरवाहों को मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने और उससे निपटने के उपायों पर प्रशिक्षित किया गया।
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कार्यक्रम के दौरान ताडोबा-अंधारी व्याघ्र परियोजना के शिक्षा अधिकारी प्रफुल्ल सावरकर ने चरवाहों को समझाया कि मानव-वन्यजीव संघर्ष को कैसे टाला जाए, क्या सावधानियां बरती जानी चाहिए और किन उपायों को अपनाकर ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है। यह प्रशिक्षण सत्र चर्चा और प्रस्तुति के माध्यम से संचालित किए गए। हर दिन एक परिक्षेत्र में प्रशिक्षण दिया गया, जिसमें प्रतिदिन 44 से 50 चरवाहे शामिल हुए।
बाघ, बिबट, भालू और सर्पों के व्यवहार पर विस्तृत चर्चा
कार्यशालाओं में बाघ, तेंदुआ, भालू और सांपों के प्राकृतिक व्यवहार, उनकी आदतों और शरीर की संरचना पर विस्तार से जानकारी दी गई। यह बताया गया कि वन्यजीव स्वाभाविक रूप से मनुष्यों पर हमला नहीं करते, बल्कि ज्यादातर घटनाएँ आकस्मिक होती हैं। उदाहरण के लिए, बाघ और तेंदुए आमतौर पर चार पैरों वाले जीवों को ही देखते हैं, इसलिए झुके हुए या बैठे हुए व्यक्ति को वे वन्यजीव समझकर हमला कर सकते हैं।
चरवाहों को यह भी सिखाया गया कि जंगल में पशु चराते समय किन सावधानियों को बरतना आवश्यक है। विशेष रूप से, विभिन्न परिस्थितियों में होने वाली घटनाओं और उनसे बचने के उपायों पर चर्चा की गई।
चरवाहों को दिए गए सुरक्षात्मक उपकरण
सभी प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले चरवाहों को सुरक्षा के लिए घुंघरू लगे हुए और बोथरे लोहे की नोक वाले बांस के डंडे वितरित किए गए। इन डंडों से चलते समय आवाज होती रहती है, जिससे वन्यजीव दूर रहते हैं। चरवाहों ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि बाघ और तेंदुए जानबूझकर इंसानों पर हमला नहीं करते, बल्कि ऐसी घटनाएँ संयोगवश होती हैं। प्रशिक्षण के दौरान उन्हें सुरक्षा उपायों की विस्तृत जानकारी मिली, जो उनके लिए बहुत उपयोगी साबित होगी।
चरवाहों के लिए ताडोबा सफारी का आयोजन
प्रशिक्षण के बाद सभी चरवाहों के लिए दोपहर के भोजन के बाद ताडोबा सफारी का आयोजन किया गया, जिसमें उन्होंने पहली बार जंगल सफारी का अनुभव किया और बाघ को भी देखा।
वरिष्ठ वन अधिकारियों का मार्गदर्शन और सहयोग
इस कार्यशाला का आयोजन ताडोबा-अंधारी व्याघ्र परियोजना के मुख्य वन संरक्षक एवं क्षेत्र संचालक डॉ. जितेंद्र रामगावकर, उपसंचालक श्रीमती पियूषा जगताप, उपसंचालक आनंद रेड्डी, और विभागीय वन अधिकारी सचिन शिंदे के मार्गदर्शन में किया गया।
कार्यशाला का आयोजन निसर्ग शिक्षा संकुल, आगरझरी और मदनापुर में किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को सफलतापूर्वक संपन्न करने में वन परिक्षेत्र अधिकारी संतोष थिपे, श्रीमती योगिता मडावी, अमोल कवासे, श्रीधर बालपणे (वनपाल), अजय कोडापे, रुपेश उईके, देवा गरमडे और अतुल तोरे का विशेष योगदान रहा।