“ऑपरेशन सिंधुर” के बाद जनता का जोश! सभी धर्मों के लोगों ने एक साथ बढ़ाया ‘वंदे मातरम’ का स्वर!
ऐतिहासिक रैली… बैंड बाजों के साथ महिलाओं ने बनाया ‘सैफाई वॉल ऑफ़ ऑनर’!
Operation Sindoor की सफलता के बाद भारतीय सेना के जांबाजों के साहस और बलिदान को सलाम करने के लिए चंद्रपूर के नागरिकों ने एक ऐतिहासिक तिरंगा रैली का आयोजन किया। “नेशनल सिक्योरिटी” के लिए नागरिक पहल के तहत आयोजित इस रैली में 5 किलोमीटर लंबा तिरंगा लेकर हजारों लोगों ने देशभक्ति की अद्भुत मिसाल पेश की।
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विविध धर्मों के धर्मगुरुओं ने दिखाई एकता
विधायक किशोर जोरगेवार और विधायक बंटी भांगड़िया के संयोजन में आयोजित इस रैली में हिंदू, मुस्लिम, सिख, बौद्ध, ईसाई और जैन धर्म के धर्मगुरुओं ने शिरकत कर “विविधता में एकता” का संदेश दिया। यह आयोजन न केवल सेना के प्रति सम्मान था, बल्कि भारत की सांस्कृतिक एकजुटता का भी प्रतीक बन गया।
रैली का भव्य आगाज
6 बजे छत्रपती शिवाजी महाराज चौक से शुरू हुई यह रैली शहर के प्रमुख मार्गों से होती हुई जटपूरा गेट तक पहुंची और वापस मुख्य चौक पर समाप्त हुई। रैली के दौरान “भारत माता की जय”, “वंदे मातरम”, “जय जवान जय किसान” के नारों से पूरा वातावरण देशभक्ति से गूंज उठा।
समाज के हर वर्ग ने लिया भाग
-युवाओं और छात्रों ने देशभक्ति के संदेश वाले बैनर और प्लेकार्ड लेकर रैली को रंगीन बनाया।
-महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में शामिल होकर देशप्रेम का परिचय दिया।
-सामाजिक संगठनों और व्यापारियों ने रैली मार्ग पर पानी, शीतल पेय और फल वितरित कर नागरिक सहयोग का उदाहरण पेश किया।
-बैंड पथक की धुनों ने उत्साह को और बढ़ाया।
“सेना के बलिदान से हम सुरक्षित हैं” – किशोर जोरगेवार
विधायक किशोर जोरगेवार ने कहा, “भारतीय सैनिकों के बलिदान के कारण हम शांति से सो पाते हैं। यह रैली चंद्रपूर की राष्ट्रभक्ति और एकजुटता का प्रतीक है।” उन्होंने बताया कि लगभग 200 सामाजिक संगठनों और 5000 नागरिकों ने इस आयोजन में भाग लिया।
क्यों खास है यह रैली?
ऑपरेशन सिंधुरा के बाद का पहला बड़ा जनआंदोलन – सेना की सफलता को जनता ने इस तरह सलाम किया।
धार्मिक एकता का प्रतीक – सभी धर्मों के लोगों ने एक साथ तिरंगे के नीचे देशभक्ति दिखाई।
युवाओं की बढ़ती देशभक्ति – सोशल मीडिया युग में भी युवाओं ने सड़कों पर उत्साह दिखाया।
राजनीतिक एकराय – सभी दलों के लोगों ने बिना किसी मतभेद के भाग लिया।
चंद्रपूर की यह तिरंगा रैली न केवल एक सामान्य आयोजन था, बल्कि भारत की अखंडता, सेना के प्रति सम्मान और नागरिकों की जिम्मेदारी का जीवंत उदाहरण था। इसने साबित किया कि देशप्रेम सिर्फ एक भावना नहीं, बल्कि एक सक्रिय जनआंदोलन भी हो सकता है।
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