इन दिनों कोयला बाजार में चर्चा है कि फिर एक बार मिलावटी कोयले का खेल धड़ल्ले से चल रहा है। देर शाम के बाद यह अवैध व्यवसाय परवान चढ़ रहा है। बताया जाता है कि जिले के कोयला खदानों से कोल वॉश और परिवहन के नाम पर उठाया जाने वाला कोयला अपने तय स्थल पर पहुंचने के बजाय साखरवाही परिसर के कुछ ठिकानों पर पहुंचकर वहां मिलावटी कोयले का खेल खेला जा रहा है। उत्तम दर्जे के कोयले को छांटकर इसे खुले बाजार में ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है, जबकि घटिया दर्जे के कोयले में चारकोल व अन्य तरह की मिलावट कर इसे जिले के उद्योगों और खासकर बिजली निर्माण करने वाले उद्योगों में भेजा जा रहा है। इसके चलते जहां इन भारी उद्योगों को लाखों-करोड़ों का नुकसान हो रहा है, वहीं मिलावटखोरी के चलते अवैध कोयला व्यापारी मालामाल हो रहे हैं।
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सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चंद्रपुर जिले के वरोरा क्षेत्र में स्थित एक निजी कोयला खदान से जिले के कुछ बड़े ट्रांसपोर्टर को आवंटित परिवहन की जिम्मेदारी में गड़बड़ी चल रही है। रोजाना लाखों टन कोयला 18 पहियों के ट्रकों से घुग्घुस-ताडाली मार्ग के साखरवाही परिसर में मौजूद कुछ निजी कोल प्लाटों पर दिन में इसे खाली करवाया जा रहा है। इसके बाद यहां अच्छे कोयले को छांट लिया जाता है। उसके बाद घटिया कोयले में पत्थर, मिट्टी मिश्रित कोयले की काली चूरी, चारकोल आदि की मिलावट की जाती है। इस मिलावटी घटिया कोयले को बाद में उन कंपनियों को भेजा जाता है, जिनके लिए संबंधित कोयला खदानों से उत्तम दर्जे का कोयला आवंटित हुआ था।
इसके बाद असली खेल शुरू तब होता है कि जब शाम ढलने लगती है। देर शाम उत्तम दर्जे के कोयले को ऊंचे दामों पर खुले बाजार में बेचने के लिए अवैध कोयला व्यापारी व मिलावटखोरों द्वारा इसे अपने वाहनों में भरकर वणी और घुग्घुस-चंद्रपुर मार्ग के धानोरा फाटा तथा नागला गांव परिसर के निजी कोल प्लाटों में खाली किया जा रहा। रात के अंधेरे में चलने वाले इन अवैध कारनामों पर संबंधित विभाग की ओर से गहराई से जांच और कार्रवाई करने की आवश्यकता है। वरना इसी तरह से बीते अनेक वर्षों से बिजली कंपनियों के उत्पादन में घाटा होता रहेगा और इस घाटे को पाटने के लिए आम जनता से ही इसकी भरपाई होगी।
क्योंकि बिजली बिलों के रेट में हो रही बढ़ोतरी के लिए घटिया कोयले के आवंटन से बिजली उद्योगों को हो रहा नुकसान भी इसका मुख्य कारण है। यदि समय रहते जनता और जांच एजेंसियां सजग होकर इन काले कारनामों पर अंकुश नहीं लगाएगी तो मिलावटखोर ऐसे ही बेखौफ होकर बिजली उद्योगों को चूना लगाते रहेंगे और अच्छे कोयले को खुले बाजार में बेचकर मोटा कमाई कर अवैध संपत्तियां जुटाते रहेंगे। उपरोक्त चर्चा फिलहाल जानकार और बुद्धीजीवियों में चिंता का विषय बना हुआ है। जल्द ही इस घोटाले को आम जनता को समझना होगा वरना बिजली बिलों में बिजली के दर लगातार बढ़ते ही जाएंगे।