किराया शुरू कर वाहवाही लूटी, अब किराया बंद होने से वहीं खतरनाक निवासों में लौट आये पीड़ित 169 परिवार
चंद्रपुर जिले की औद्योगिक नगरी अर्थात घुग्घुस के अमराई वार्ड में भूस्खलन (Ghugus Amari LandSlide) की भयावह घटना को आज, 26 अगस्त को 2 साल पूरे हो गए हैं। इस भूस्खलन में अनेक परिवारों का जीवन संकट में पड़ गया था। इसके बावजूद प्रभावित 169 परिवारों के पुनर्वास का मुद्दा अभी तक सुलझ नहीं पाया है। 2 साल बीत जाने के बाद भी, पीड़ित परिवारों के लोग अब भी अपने जीवन को खतरे में डालकर उसी खतरनाक इलाके में लौटने के लिए मजबूर हैं। वेकोलि द्वारा किराया देना बंद कर दिया गया। वहीं अमराई वार्ड के प्रभावित परिवारों की पुनर्वास की समस्या जस की तस बनी हुई है।
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प्रशासनिक आश्वासनों और नेताओं के वादें यहां खोखले साबित हुए है। जबकि वेकोलि व जिला प्रशासन के अफसरों के अलावा स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने इन पीड़ित परिवारों को आसरा देने, मकान किराया देने, पुनर्वास करने की बैठकों में बड़ी-बड़ी घोषणाएं कर जनता की वाहवाही लूटी थी। आज 2 साल बाद पुनर्वास अधूरा है और मकान किराया बंद किया जा चुका है। पीड़ित परिवारों की हालत बेघरों जैसी है।
ज्ञात हो कि 26 अगस्त 2022 की शाम को घुग्घुस के अमराई वार्ड में घटित हुए भूस्खलन में गजानन मडावी नामक परिवार का घर 60-70 फीट नीचे धरती में समा गया था। यह हादसा इतना भयंकर था कि इलाके में अफरा-तफरी मच गई थी। तत्पश्चात, प्रशासन ने प्रभावित परिवारों को तत्काल सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया और उन्हें छह महीने के भीतर नए घर मुहैया कराने का आश्वासन दिया था। जब तक पुनर्वास की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक हर महीने 3000 रुपये किराए के रूप में देने का वादा भी किया गया था।
वेकोलि (वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) ने शुरू में डेढ़ साल तक प्रभावित परिवारों को 3000 रुपये किराया दिया, लेकिन उसके बाद यह किराया पुनर्वास की प्रक्रिया पूर्ण हुए बिना ही बंद कर दिया गया। किराया बंद होने के कारण अब ये परिवार वापिस उसी खतरनाक इलाके में रहने के लिए लौट गए हैं, जहां भूस्खलन का गंभीर खतरा आज भी बना हुआ है।
इन 169 परिवारों के पुनर्वास के लिए वेकोलि ने शिवनगर के पास राजस्व विभाग के सर्वे नंबर 21/1 में 6 एकड़ की भूमि का सर्वेक्षण और सीमांकन किया है। फिर भी, पुनर्वास की प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। इससे इन परिवारों की जान को फिर से खतरा बना हुआ है।
प्रशासन की ओर से किए गए वादों के बावजूद, यदि फिर से कोई भूस्खलन हो जाता है, तो इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा ?, यह सवाल अब भी अनुत्तरित है।