विधानसभा चुनावों के मद्देनजर, जिले में कांग्रेस पार्टी में बड़े पैमाने पर नए लोगों का शामिल होना देखा जा रहा है, जिससे पार्टी के पुराने और वफादार सदस्यों में काफी असंतोष फैल गया है। लोकसभा चुनावों में महाविकास आघाड़ी की सफलता के बाद, चंद्रपुर कांग्रेस पार्टी में नए सदस्यों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। इस बढ़ती संख्या ने पार्टी के अंदरूनी सदस्यों के बीच नाराजगी और चिंता का माहौल पैदा कर दिया है, क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके प्रति पार्टी की वफादारी कमजोर हो रही है। Chandrapur Congress
चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र में संघर्ष:
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के निष्ठावान कार्यकर्ता टिकट पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए राजू झोडे को स्थानीय नेताओं का समर्थन मिल रहा है, जिससे निष्ठावानों में असंतोष बढ़ गया है। झोडे ने शहर में अपना कार्यालय भी खोल लिया है, जबकि पार्टी के पुराने कार्यकर्ता खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।
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विरोध की आहट:
भाजपा के एक पूर्व नगरसेवक, सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी सुधाकर अंभोरे, और इंजीनियर गौतम नागदेवते जैसे लोग भी कांग्रेस से टिकट पाने के लिए प्रयासरत हैं। निष्ठावान कार्यकर्ताओं का मानना है कि इन नए चेहरों का कांग्रेस से कोई खास संबंध नहीं है, फिर भी उन्हें प्राथमिकता दी जा रही है।
बल्लारपुर विधानसभा में भी स्थिति गंभीर:
बल्लारपुर विधानसभा क्षेत्र में हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुईं डॉ. अभिलाषा गावतुरे ने भी टिकट की मांग की है। उनके संबंध प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले से बताए जा रहे हैं। वहीं, डॉ. संजय घाटे, बंडू धोतरे, डॉ. विश्वास झाड़े, और युवा कांग्रेस जिलाध्यक्ष शंतनू धोटे भी टिकट की दौड़ में शामिल हैं। इस स्थिति ने स्थानीय कार्यकर्ताओं में निराशा फैला दी है।
वरिष्ठ नेताओं से नाराजगी:
वरोरा विधानसभा क्षेत्र में भी कुछ पुराने और नये चेहरे टिकट की उम्मीद लगाए बैठे हैं, जिनमें भद्रावती के पूर्व नगराध्यक्ष अनिल धानोरकर, प्रा. विजय बदखल, डॉ. चेतन खुटेमाटे और कांग्रेस सांसद प्रतिभा धानोरकर के भाई प्रवीण काकड़े शामिल हैं। साथ ही, कांग्रेस से छह साल के लिए निलंबित हुए डॉ. विजय देवतळे ने भी वरोरा से टिकट की मांग की है।
निष्ठावानों का विरोध:
दलबदलुओं को बढ़ावा मिलने और वरिष्ठ नेताओं द्वारा उन्हें दिए जा रहे आश्वासनों के कारण, कांग्रेस के निष्ठावान पदाधिकारी और कार्यकर्ता बेहद नाराज हैं। चर्चा है कि अगर टिकट वितरण में उनके साथ अन्याय हुआ, तो वे विधानसभा चुनाव में पार्टी विरोधी भूमिका अपना सकते हैं, जिससे पार्टी को गंभीर नुकसान हो सकता है।
कांग्रेस में दलबदलुओं की बढ़ती संख्या और निष्ठावानों की उपेक्षा से पार्टी के भीतर गंभीर संकट पैदा हो सकता है। यह स्थिति महाविकास आघाड़ी के भविष्य के लिए भी चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है। निष्ठावानों का असंतोष अगर उग्र होता है, तो यह आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व को तत्काल कदम उठाते हुए निष्ठावानों के असंतोष को दूर करना होगा, ताकि पार्टी एकजुट होकर चुनावी मैदान में उतर सके। Chandrapur Congress Politics