महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों (Maharashtra Assembly Elections -2024) की हलचल तेज हो रही है। अनेक नेतागण अपने-अपने पार्टी के मुखियाओं को रिझाते हुए अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में जोरो से सक्रिय होते दिखाई पड़ रहे हैं। कुछ ऐसे भी हैं जो ऐन चुनावों के समय अपना दीदार कराने में लाखों का खर्च करते हुए लाइमलाइट में आना चाहते है। त्योहारों में कोई गिफ्ट बांटकर वोटरों को रिझाने लगा है तो कोई जनता के मुद्दे उठाकर खुद को उनका रहनुमा साबित करने पर तुला है। ऐसे में राजुरा विधानसभा (Rajura Assembly) की चुनावी गतिविधियां भी कहां पिछे रह सकती है भला ? यहां वर्तमान विधायक सुभाष धोटे (MLA Subhash Dhote) न केवल एक कद्दावर नेता हैं बल्कि वे स्वयं ही कांग्रेस (Congress) पार्टी के जिलाध्यक्ष भी हैं। उनकी बदौलत ही बीते लोकसभा चुनावों (Loksabha Elections -2024) में प्रदेश के वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार (Forest Minister Sudhir Mungantiwar) को हराने और प्रतिभा धानोरकर (Pratibha Dhanorkar) को जिताने की सारी रणनीतियों की बिसात बिछायी गई थी। यूं कहे तो वे इस समय कांग्रेस के चंद्रपुर जिले के ‘चाणक्य’ कहे जाने लगे हैं। इन हालातों में कांग्रेस में भला उनका प्रतिद्वंद्वी कौन बन सकता था। मतलब साफ है कि कोई एक नाम भी सुभाष धोटे की टिकट काटने के लिए सामने नहीं आ सका। (Congress, BJP, Shetkari Sanghatana, Rajura Assembly Poltics)
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अब बात की जाएं भाजपा (BJP) की तो यहां एक अनार, सौ बीमार वाली स्थिति पैदा हो गई है। एक समय था जब संजय धोटे (Ex. MLA Adv. Sanjay Dhote) की तूती बोला करती थी। कभी दौर सुदर्शन निमकर (Ex. MLA Sudarshan Nimkar) का भी था। एक दौर तो ऐसा भी रहा जब एड. वामनराव चटप (Ex. MLA Adv. Wamanrao Chatap) के नेतृत्व के आगे जिले के तमाम नेताओं को शांत बैठना पड़ता था। बहरहाल बात की जाएं भाजपा (BJP) की तो वर्तमान में अनेक नाम आगामी विधानसभा चुनावों के लिए आगे आ रहे हैं। इनमें सुदर्शन निमकर, संजय धोटे, देवराव भोंगले, खुशाल बोंडे आदि का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। परंतु किसकी लॉटरी लगेगी, यह दावा तो खुद दावेदार भी सुनिश्चित रूप से नहीं बता पा रहे हैं।
कौन है भाऊ का ? और कौन है भैया का ?
भाजपा (BJP) की बात की जाएं तो यहां की गुटबाजी किसी से छिपी नहीं है। यहां स्पष्ट रूप से 2 गुट देखे जा सकते हैं। एक गुट भाऊ का और दूसरा गुट भैया का। ऐसे में राजुरा से विधानसभा की टिकट मांगने वाले उम्मीदवार को पहले तो यह देखा जा रहा है कि उनका गुट कौनसा है ? वे भैया से ताल्लुख रखते हैं या भाऊ के करीबी है ? इनका कोई न कोई तो गॉडफादर है ही, यह बताने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन वह ‘गॉडफादर’ इनके कितने काम का है, यह तो वक्त ही बता पाएगा।
राजुरा का चुनावी इतिहास
राजुरा विधानसभा (Rajura Assembly) क्षेत्र से 1962 से लेकर अब तक सात विधायक निर्वाचित हो चुके हैं। इसमें विट्ठलराव धोटे, प्रभाकरराव मामुलकर और सुभाष धोटे 2 बार विधायक बने हैं। वहीं, एड. वामनराव चटप 3 बार मुंबई विधानसभा में पहुंचे। जीवतोडे, मुसले, निमकर और संजय धोटे केवल एक बार विधायक बने हैं। निर्वाचित विधायकों की संख्या से यह साफ होता है कि कांग्रेस के ‘सेफ ज़ोन’ में विरोधियों ने सेंध लगा दी है। वर्ष 2014 में एड. संजय धोटे मोदी लहर में विजयी हुए थे। इसके बाद, वर्ष 2019 में कांग्रेस ने कड़ी टक्कर के बाद संजय धोटे को हराया। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार ने राजुरा से करीब 58,000 वोटों की बढ़त हासिल की थी। इससे कांग्रेस के सुभाष धोटे के लिए अनुकुल माहौल दिखाई पड़ रहा है।
टिकट पाने के लिए BJP में संग्राम
आगामी विधानसभा चुनावों में राजुरा से भाजपा का टिकट पाने के लिए अनेक दावेदारों में संग्राम होगा। पूर्व विधायक सुदर्शन निमकर और एड. संजय धोटे इस टिकट के प्रबल दावेदार होंगे। वहीं विधानसभा प्रमुख एवं पूर्व जिला अध्यक्ष घुग्घुस निवासी देवराव भोंगले (Deorao Bhongle) विधानसभा चुनावों के संबंध में नये खिलाड़ी होने के कारण उनकी दाल गलेगी या नहीं, यह कहना मुश्किल है। जबकि प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य खुशाल बोंडे भी मजबूती से अपना दावा पेश कर सकते हैं। पार्टी नेतृत्व को टिकट देने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है।
कहा जाता है कि देवराव भोंगले (Deorao Bhongle) यहां के पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार (Guardian Minister Sudhir Mungantiwar) के करीबी है। जबकि एड. संजय धोटे (Adv. Sanjay Dhote) उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Deputy Chief Minister Devendra Fadnavis) के करीबी माने जाते हैं। खुशाल बोंडे (Khushal Bonde).को पूर्व सांसद अहीर (Former MP Hansraj Ahir) के विश्वासपात्रों में गिना जाता हैं। वहीं, सुदर्शन निमकर किसी गुटबाजी में शामिल नहीं रहते। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा नेतृत्व किसे टिकट देकर आगे करता है, इसका फैसला आने वाले कुछ दिनों में सामने आएगा। लेकिन राजुरा में शेतकरी संगठन (Shetkari Sanghatna) को कमजोर आंकने की कोई भूल नहीं होनी चाहिये। आज भी एड. वामनराव चटप (Adv. Wamanrao Chatapat) का जनता के बीच काफी दबदबा है।
BJP में बगावत का बिगुल
एक मराठी प्रादेशिक दैनिक अखबार ने दावा किया है कि भाजपा की ओर से गोंडपिपरी तहसील में नई कार्यकारिणी घोषित की गई। इसमें विठ्ठलवाड़ा के कार्यकर्ताओं को स्थान नहीं दिया गया। रालापेठ के बूथ प्रमुख संजय पिंपलशेंडे ने देवराव भोंगले की सिफारिशों पर ही सवाल उठाते हुए भाजपा में खलबली मचा दी है। 15 वर्षों से भाजपा में निष्ठा से सेवा देने वाले कार्यकर्ताओं के साथ किये गये अन्याय का दुष्परिणाम आगामी विधानसभा चुनावों पर जरूर दिखाई पड़ सकता है। जबकि एक अन्य मामले में भी देवराव भोंगले के खिलाफ गोंडपिपरी व्यापारी संघ के व्यापारियों ने अपनी नाराजगी जाहिर की थी। धार्मिक कार्यक्रम तान्हा पोला समारोह में राजनीतिक हस्तक्षेप पर पाबंदी लगाये जाने के बावजूद कार्यक्रम में आये बच्चों को कंपॉस बांटे गये। इन कंपॉस पर राजनीतिक दल व स्वयं की तस्वीर चिपकाई गई। इस करतूत की स्थानीय व्यापारियों ने सोशल मीडिया पर आलोचना की थी। कुछ लोगों का कहना है कि देवराव भोंगले, घुग्घुस निवासी होने के कारण उन्हें राजनीतिक पार्सल के रूप में राजुरा पर थोपे जाने के कारण, इसे देखते हुए उनके विरोधक उनके खिलाफ काम कर रहे हैं।