आरक्षित भूमि पर अवैध निर्माण, बिल्डरों और अधिकारियों पर गंभीर आरोप
महाकाली यात्रा के लिए आरक्षित भूमि की अवैध बिक्री का खुलासा
चंद्रपुर शहर में एक बड़े भूखंड घोटाले का पर्दाफाश हुआ है, जहां महाकाली यात्रा के लिए आरक्षित भूमि को अवैध रूप से 26 लोगों को बेचा गया। इस घोटाले में शामिल पांच लोगों पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है। इनमें युवराज बनकर, प्रशांत बनकर, इंदूबाई बनकर, प्रभाकर बनकर और किशोर बनकर के नाम शामिल हैं। उन पर महाराष्ट्र प्रादेशिक और नगर रचना अधिनियम 1966 के तहत कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
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विदर्भ क्षेत्र में महाकाली देवी को आराध्य देवी के रूप में पूजा जाता है। हर साल अप्रैल महीने में महाकाली यात्रा आयोजित की जाती है, जिसमें राज्य और अन्य समीपवर्ती राज्यों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। इस यात्रा के लिए सर्वे नंबर 255 पर स्थित भूमि आरक्षित है। हालांकि, चौंकाने वाली बात यह है कि इस आरक्षित भूमि पर अब पक्के मकान बनाए जा रहे हैं, और निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है।
महानगरपालिका (मनपा) के आयुक्त विपीन पालीवाल के संज्ञान में यह मामला आने के बाद, उन्होंने अवैध निर्माण में शामिल 26 लोगों को नोटिस जारी किया। हालांकि, पहले नोटिस को नजरअंदाज करने के बाद, दूसरी बार नोटिस भेजी गई, जिसके बाद इन 26 लोगों ने महापालिका को अपने सातबारा (भूमि रिकॉर्ड्स), बिक्री पत्र और अन्य दस्तावेज प्रस्तुत किए। जांच के बाद यह पाया गया कि यह भूमि महाकाली यात्रा के लिए आरक्षित थी, और इसे अवैध रूप से बेचा गया था।
अधिकारियों की मिलीभगत का शक
युवराज बनकर, जिन्होंने इस भूमि को बेचा, ने महानगरपालिका से कोई आधिकारिक स्वीकृति नहीं ली थी। उन्होंने अवैध रूप से भूखंड का नक्शा तैयार किया और इसे 26 लोगों को बेच दिया। इन बिक्री पत्रों को सहायक दुय्यम निबंधक (सबसब-रजिस्ट्रार) कार्यालय से वैध ठहराया गया। भूमि रिकॉर्ड (सातबारा) में भी इस अवैध लेन-देन की एंट्री की गई, और राजस्व विभाग से भी फेरफार (नामांतरण) कराया गया।
सबसे अहम बात यह है कि यह भूमि पहले व्यंकटेश देवस्थान के नाम थी, और बाद में वामन राघोबाजी बनकर और अन्य तीन लोगों के नाम कर दी गई थी। हालांकि, यह भूमि महाकाली यात्रा के लिए आरक्षित की गई थी। बावजूद इसके, इसे बेचने की कोशिश की गई, जिसमें राजस्व विभाग और सहायक दुय्यम निबंधक कार्यालय के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत होने की आशंका जताई जा रही है।
पुलिस जांच के दायरे में आ सकते हैं और नाम
इस मामले में प्रतीक रविंद्र देवतळे द्वारा शहर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की गई, जिसके बाद पुलिस ने युवराज बनकर और अन्य चार आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया। फिलहाल, पुलिस मामले की गहराई से जांच कर रही है और संभावना है कि जल्द ही इस घोटाले में और भी नाम सामने आ सकते हैं।
इस भूमि घोटाले ने चंद्रपुर के नगर प्रशासन और राजस्व विभाग में गहरी जड़ें जमा चुके भ्रष्टाचार की ओर इशारा किया है। आरक्षित भूमि का इस प्रकार से अवैध बिक्री में लिप्त होना बताता है कि प्रशासनिक अधिकारियों और बिल्डरों के बीच गहरी सांठगांठ है। विशेष रूप से महाकाली यात्रा जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन के लिए आरक्षित भूमि पर इस तरह का अवैध निर्माण न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि धार्मिक आस्था का भी अपमान है।
राज्य प्रशासन के लिए यह मामला एक महत्वपूर्ण चेतावनी है, जिससे भविष्य में ऐसे घोटालों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है।