नागपुर-सिकंदराबाद वंदे भारत एक्सप्रेस को जनता की मांग के बिना शुरू किया गया और अब लगातार नुकसान के कारण इसे बंद करने पर विचार किया जा रहा है, ऐसा दावा जनविकास सेना के संस्थापक अध्यक्ष पप्पू देशमुख ने किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि यह ट्रेन चुनाव के मद्देनजर जनता को भ्रमित करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। देशमुख ने बताया कि 25 सितंबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में रेलवे सेवा में चंद्रपुर और गडचिरोली जिलों के लोगों के साथ हो रहे अन्याय को उजागर किया जाएगा।
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800 करोड़ की लागत से बनी वंदे भारत ट्रेनों का सही मार्ग नहीं
हाल ही में प्रकाशित एक समाचार के अनुसार, 800 करोड़ रुपये की लागत से तैयार की गई 42 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों का सही मार्ग न होने के कारण रेलवे विभाग में बेकार पड़ी हैं। जनविकास सेना ने सवाल उठाया कि जब नागपुर-सिकंदराबाद वंदे भारत एक्सप्रेस के लिए जनता की कोई मांग नहीं थी, तो इसे क्यों शुरू किया गया?
यात्रियों की कमी, सीटें रहती हैं खाली
16 सितंबर से शुरू हुई इस ट्रेन का आक्युपेंसी रेट यानी सीटों का भराव प्रतिशत अब तक 15-20% से ज्यादा नहीं गया है। ट्रेन में चेयर कार के 18 और एक्जिक्यूटिव क्लास के 2 कोच हैं, जिनमें कुल 1440 सीटें हैं। इनमें से 80-85% सीटें खाली रहती हैं। बीते 10 दिनों में इस ट्रेन का भराव प्रतिशत 15-20% तक ही रहा है। 80 कर्मचारियों के वेतन का खर्च उठाना भी मुश्किल हो रहा है। ऐसे में रेलवे मंत्रालय जल्द ही कोचों की संख्या घटाने का फैसला ले सकता है। जनविकास सेना का दावा है कि यात्रियों की संख्या में वृद्धि की संभावना न होने के कारण यह ट्रेन बंद हो सकती है।
टिकट दर कम करना एकमात्र उपाय
नागपुर या बल्लारशाह से रोज़ 10 से 15 ट्रेनें सिकंदराबाद (हैदराबाद) के लिए चलती हैं, जिनमें शताब्दी, राजधानी और दूरंतो एक्सप्रेस शामिल हैं। इनमें से 4-6 ट्रेनें चंद्रपुर में भी रुकती हैं। वंदे भारत एक्सप्रेस का टिकट दर स्लीपर क्लास की तुलना में चार गुना और 3 टायर एसी की तुलना में डेढ़ गुना ज्यादा है। जबकि अन्य गाड़ियों में रिजर्वेशन आसानी से मिल जाता है और यात्रा में एक-दो घंटे ज्यादा लगते हैं, लेकिन किराया काफी कम होता है। नागपुर से वंदे भारत के एक्जिक्यूटिव क्लास का किराया विमान किराये से आधा है, लेकिन विमान से यात्रा में सिर्फ डेढ़ घंटे लगते हैं जबकि वंदे भारत से 7 घंटे से अधिक।
देशमुख ने बताया कि जब तक चेयर कार और एक्जिक्यूटिव क्लास के टिकट दरों में बड़ी कटौती नहीं की जाती, तब तक वंदे भारत एक्सप्रेस को यात्रियों की पर्याप्त संख्या मिलना मुश्किल है।