राष्ट्रीय स्तर की कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगना तो अब आम बात हो गई है। लेकिन अब स्थानीय स्तर पर अर्थात चंद्रपुर जिले में कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लग रहा है। यह आरोप विरोधी दलों की ओर से नहीं, बल्कि स्वयं कांग्रेस के ही पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की ओर से लगाया जा रहा है। इसके चलते जनप्रतिनिधियों, विधायकों, वरिष्ठ नेताओं के परिवार के सदस्यों के नेतृत्व का विरोध होने लगा है।
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आगामी दिनों में इन्हें बड़े पदों की सौगात मिलना अथवा इन्हें विधायक एवं अन्य सीटों पर उम्मीदवार के रूप में पेश करना सामान्य कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए अत्याधिक रोष का विषय बन सकता है। हाल ही में कांग्रेस के पूर्व महिला जिलाध्यक्ष नम्रता ठेमेस्कर ने एक पत्रकार परिषद लेकर स्थानीय कांग्रेस पर परिवारवाद, वंशवाद का अरोप लगाया है। वहीं कुछ मीडिया रिपोर्ट भी इससे संबंधित खबरों को पेश कर इस मुद्दे को हवा दे चुके हैं।
लोकसत्ता के मुताबिक यह कहा गया है कि चंद्रपुर कांग्रेस पार्टी में परिवारवाद का आरोप केवल राष्ट्रीय स्तर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अब यह जिला स्तर पर भी खुलकर सामने आ रहा है। चंद्रपुर जिले के छह विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के प्रभावशाली नेताओं के परिवार के सदस्य ही विधानसभा टिकट पाने की होड़ में आगे दिख रहे हैं, जिससे पार्टी के सामान्य कार्यकर्ताओं में असंतोष और नाराजगी गहरा गई है।
देशभर में भाजपा – कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगाती आई है, और चंद्रपुर जिले में यह आरोप और प्रासंगिक होता दिख रहा है। पिछले कई वर्षों में ऐसा कोई उदाहरण नहीं देखा गया है, जिसमें किसी आम कार्यकर्ता को प्रमुख नेताओं के परिवार के सदस्यों को दरकिनार कर टिकट दिया गया हो।
वरोरा : देवतले और धानोरकर परिवार का वर्चस्व
वरोरा विधानसभा क्षेत्र में लंबे समय से देवतले परिवार का प्रभाव रहा है। संजय देवतले विधायक और मंत्री रह चुके हैं, जबकि डॉ. विजय देवतले और डॉ. आसावरी देवतले भी महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं। वर्तमान में, धानोरकर परिवार का दबदबा है। स्व. बालू धानोरकर सांसद बने और उनकी पत्नी प्रतिभा धानोरकर विधायक बनीं। अब बालू धानोकर के भाई अनिल धानोरकर और वर्तमान सांसद प्रतिभा धानोरकर के भाई प्रवीण काकडे भी विधानसभा के लिए दावेदारी कर रहे हैं, इससे सामान्य कार्यकर्ता हाशिए पर चले गए हैं।
राजुरा : धोटे परिवार की दावेदारी
राजुरा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस जिलाध्यक्ष और विधायक सुभाष धोटे का लंबे समय से वर्चस्व है। उनके परिवार के अन्य सदस्य भी विभिन्न पदों पर आसीन रहे हैं। अब उनके भाई अरुण धोटे ने भी विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है, जिससे अन्य सामान्य कार्यकर्ताओं की उम्मीदें धूमिल होती दिख रही हैं। वहीं धोटे के पुत्र शंतनु धोटे वर्तमान में चंद्रपुर जिला युवक कांग्रेस के जिलाध्यक्ष पद पर आसिन है।
चिमूर : वारजूकर परिवार का प्रभाव
चिमूर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की ओर से पिछले पंद्रह वर्षों से डॉ. अविनाश वारजूकर और डॉ. सतीश वारजूकर, जो कि सगे भाई हैं, लगातार हारते रहे हैं। फिर भी कांग्रेस के पास कोई अन्य नया चेहरा नहीं उभर पाया है। क्योंकि यहां भी किसी आम कार्यकर्ता को मौका नहीं दिया जा रहा है।
ब्रह्मपुरी : वडेट्टीवार परिवार की अहमियत
ब्रह्मपुरी विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के विरोधी दल के नेता विजय वडेट्टीवार का एकछत्र वर्चस्व है। उनकी बेटी शिवानी वडेट्टीवार कांग्रेस की प्रदेश महासचिव हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान वडेट्टीवार ने भी अपनी बेटी की उम्मीदवारी को ही प्राथमिकता दी थी। विधानसभा चुनावों में भी इसी पैटर्न को जारी रखते हुए सामान्य कार्यकर्ताओं को मौका मिलना कठिन लग रहा है।
अन्य क्षेत्रों में भी यही हाल
बल्लारपूर और चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्रों में भी राजनीतिक परिवारों का ही दबदबा है। पार्टी कार्यकर्ताओं के मन में यह सवाल उठने लगा है कि क्या वे केवल झंडे उठाने और नारे लगाने तक ही सीमित रह जाएंगे? क्या आम कार्यकर्ता कभी खुद चुनाव लड़ने का मौका पा सकेगा?
जिले में परिवारवाद के बढ़ते प्रभाव ने कांग्रेस के अंदर असंतोष को हवा दी है। यह स्थिति न केवल पार्टी के अंदर असंतुलन पैदा कर रही है, बल्कि पार्टी की जमीनी पकड़ को कमजोर कर सकती है। अगर आम कार्यकर्ताओं को उचित सम्मान और अवसर नहीं दिए गए, तो कांग्रेस को आगामी विधानसभा चुनावों में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।