Bjp Chandrapur District कल शनिवार को भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की ओर से चंद्रपुर जिले के 3 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की गई। इस सूची में राजुरा से देवराव भोंगले, ब्रम्हपुरी से कृष्णलाल सहारे और वरोरा से पूर्व मंत्री संजय देवतले के पुत्र करण देवतले को टिकट देने की घोषणा की गई। परंतु इस घोषणा के बाद से राजनीतिक हलचलें तेज हो गई है। विरोध के स्वर बुलंद होने लगे है। जहां एक ओर राजुरा में पत्रकार परिषद लेने की घोषणा कर एड. संजय धोटे और सुदर्शन निमकर ने भाजपा को सदमे में डाल दिया है। वहीं ब्रम्हपुरी से प्रा. अतुल देशकर और वरोरा से रमेश राजुरकर जैसे भाजपा के वरिष्ठ नेता काफी नाराज चल रहे है। इसके चलते आगामी दिनों में होने वाले चुनावी प्रचार पर इसका विपरीत असर होने की संभावना जताई जा रही है।
Whatsapp Channel |
भाजपा ने ब्रम्हपुरी विधानसभा क्षेत्र से पूर्व जिला परिषद उपाध्यक्ष और कुणबी समाज के कृष्णलाल सहारे को प्रत्याशी बनाया है। सहारे को विधायक बंटी भांगडीया का भरोसेमंद सहयोगी माना जाता है। पहले प्रो. अतुल देशकर इस क्षेत्र से उम्मीदवारी के प्रमुख दावेदार थे। हाल ही में भाजपा नेता व जिले के पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने सार्वजनिक रूप से प्रो. देशकर के साथ अन्याय नहीं होने देने का आश्वासन दिया था। बावजूद इसके, सहारे को टिकट मिलने से देशकर और उनके समर्थकों में असंतोष व्याप्त है। राजनीतिक हलकों में सहारे के विपक्षी नेता विजय वडेट्टीवार का सामना करने में सक्षम होने पर सवाल उठ रहे हैं।
कुछ दिन पहले ब्रम्हपुरी में कुणबी समाज की एक सभा आयोजित हुई थी, जिसमें भाजपा विधायक परिणय फुके और कांग्रेस सांसद प्रतिभा धानोरकर ने कुणबी समाज के लिए एकजुटता का प्रदर्शन किया था। साथ ही ब्रम्हपुरी से किसी कुणबी समाज बंधु को विधानसभा उम्मीदवारी का टिकट देने की अपील की थी। अब सहारे की उम्मीदवारी को इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
वरोरा से करण देवतले को टिकट मिलने के कारण भाजपा के वरिष्ठ नेता रमेश राजुरकर असंतुष्ट हो गये है। पूर्व मंत्री संजय देवतले के पुत्र करण देवतले को वरोरा विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया गया है। संजय देवतले ने लंबे समय तक कांग्रेस में रहकर विधायक और मंत्री पद संभाला, लेकिन 2019 में टिकट न मिलने से भाजपा में शामिल हो गए। 2020 में उनके निधन के बाद, करण देवतले ने सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया। उन्हें टिकट मिलने पर मनसे से भाजपा में आए वरोरा विधानसभा प्रमुख रमेश राजुरकर के नाराज होने की खबरें हैं।
भाजपा के इस फैसले से क्षेत्रीय नेताओं में असंतोष और संभावित विरोधाभासों को देखते हुए पार्टी को आगामी चुनावों में अपने समर्थन आधार को मजबूत करने की चुनौती का सामना करना पड़ेगा।