Bjp Chandrapur भाजपा के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहिर ने दिल्ली में अपने रसूख के माध्यम से चंद्रपुर के निर्दलीय विधायक किशोर जोरगेवार को यहां की भाजपा की सीट दिलाने में कामयाब रहे। परंतु इस खींचातानी में भाजपा के वरिष्ठ नेता व जिले के पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार, अहिर के राजनीतिक चालों के आगे मात खा गये। ब्रिजभूषण पाझारे को लेकर दिल्ली जाने और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा से भेंट करने के बावजूद पाझारे का कोई भला नहीं हो पाया। गत 30 वर्षों से भाजपा के और खासकर मंत्री मुनगंटीवार के निष्ठावान कार्यकर्ता रहने के बावजूद तथा उनके ही अनुरोध पर बीते टर्म से वेटिंग का दर्द झेलने के बावजूद इस बार पाझारे के दामन में निराशा का फल ही मिला। ऐसे में एक ओर जहां राजुरा से भाजपा नेताओं की ओर से देवराव भोंगले की उम्मीदवारी के खिलाफ बगावत तेज हो गई है, वहीं दूसरी ओर ब्रिजभूषण पाझारे के समर्थन में उनके एक कार्यकर्ता पंकज कांबले की ओर से निर्दलीय चुनाव लड़ने की अपील को पाझारे ने फेसबुक पर पसंद किया है। इसके चलते पाझारे के मन में भी बगावत के अंकुर फूटने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।
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विशेष उल्लेखनीय बात तो यह है कि ब्रिजभूषण पाझारे के ही राजनीतिक गुरू अर्थात मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कार्यकर्ताओं के संदर्भ में दरियां कब तक उठाएंगे, जैसे सवाल उपस्थित कर एक प्रकार से भाजपा में बगावत की चिंगारियां फूंक दी है। इन चिंगारियों से उम्मीदवारी की बगावत सुलगकर आग कब भड़केगी, यह बताया नहीं जा सकता।
ज्ञात हो कि बीते शुक्रवार की सुबह मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने ब्रिजभूषण पाझारे के साथ दिल्ली पहुंचकर राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा से मुलाकात की। वहीं भाजपा के असंतुष्ट असंख्य कार्यकर्ताओं ने नागपुर में उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से भी भेंट की।
बताया जाता है कि पिछले कुछ दिनों में किशोर जोरगेवार का हंसराज अहिर के साथ संपर्क रहा है, जो सुधीर मुनगंटीवार के कट्टर पार्टी-विरोधी माने जाते हैं। जोरगेवार ने अहिर के प्रभाव का लाभ उठाने की रणनीति अपनाई। अहिर का दिल्ली में भी काफी प्रभाव है, इसलिए उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से आग्रह किया कि 2019 में 72,000 मतों से विजयी रहे जोरगेवार को भाजपा में शामिल कर चुनाव में उम्मीदवार बनाया जाए। जैसे ही यह खबर मिली कि जोरगेवार भाजपा के उम्मीदवार बनाए जा सकते हैं, सुधीर मुनगंटीवार ने गुरुवार रात भाजपा कार्यकर्ताओं की आपातकालीन बैठक बुलाई।
बैठक में शामिल सभी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने यह राय रखी कि बाहरी उम्मीदवार को टिकट न दिया जाए, क्योंकि ऐसा होने पर कार्यकर्ताओं में असंतोष फैल सकता है। इसी बात को राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के सामने रखने के लिए मुनगंटीवार शुक्रवार सुबह दिल्ली रवाना हुए। उन्होंने दिल्ली में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर अपनी यह मांग रखी कि पार्टी के सामान्य कार्यकर्ता ब्रिजभूषण पाझारे को उम्मीदवार के रूप में प्राथमिकता दी जाए। वहीं, लगभग पांच सौ भाजपा कार्यकर्ताओं ने नागपुर में उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात कर जोरगेवार के भाजपा प्रवेश का विरोध किया।
गौर करने वाली बात यह है कि भाजपा के इस खींचतान में हंसराज अहिर की जीत हो गई और सुधीर मुनगंटीवार को इस राजनीतिक चाल में मात खानी पड़ी। क्योंकि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने किशोर जोरगेवार को टिकट देने का फैसला किया और ब्रिजभूषण पाझारे के टिकट के दावे को खारीज कर दिया। अब जब राजुरा में भाजपा नेता देवराव भोंगले को टिकट मिलने के बाद उन्हें घुग्घुस का बाहरी पार्सल कहकर नकारा जा रहा है और राजुरा भाजपा के नेता बगावत के मुड़ में है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या चंद्रपुर से भाजपा नेता ब्रिजभूषण पाझारे भी बगावत कर सकते हैं ? Social Media पर गौर करने से ज्ञात होता है कि पाझारे के एक समर्थक पंकज कांबले ने पाझारे के समर्थन में Facebook पर एक पोस्ट की। इसमें उन्होंने पाझारे को निर्दलीय चुनाव लड़ने की स्पष्टता से अपील की। इस अपील पर पाझारे ने अपना लाइक वाला थंब देकर एक प्रकार से सहमति ही जताई है।
परंतु सवाल यह उठता है कि क्या वाकई में ब्रिजभूषण पाझारे भाजपा से बगावत करने की हिम्मत जुटा पाएंगे? क्या पाझारे भाजपा के फैसले के खिलाफ जाकर निर्दलीय चुनाव लड़ पाएंगे? इस सवालों का जवाब तो अगले 48 घंटों में ही मिल पाएगा। फिलहाल पाझारे समर्थकों की उत्सुकता चरम पर पहुंच चुकी है।