निर्दलीय विधायक किशोर जोरगेवार को काफी जद्दोजहद के बाद भाजपा में पक्ष प्रवेश और टिकट मिला। दैनिक पुण्यनगर नामक मराठी अखबार में परसों प्रकाशित एक खबर में यह दावा किया गया था कि बीते अनेक दिनों से जोरगेवार पूर्व केंद्रीय गृहराज्य मंत्री, भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहिर के संपर्क में थे।
Whatsapp Channel |
अहिर का दिल्ली में काफी प्रभाव है। 72 हजार की लीड से चुनकर आने की दलिलें लेकर उन्होंने भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष अपनी भूमिका रखी। जोरगेवार के तमाम विरोधकों और खासकर भाजपा के भितर के नेताओं के तीव्र विरोध के बावजूद हंसराज अहिर के प्रयास रंग लाये। और आखिरकार उन्हीं विरोधकों की मौजूदगी में जोरगेवार का भाजपा में पक्ष प्रवेश करवाने में अहिर कामयाब रहे।
इस राजनीतिक जीत को अब सोशल मीडिया पर भूनाया जा रहा है। भाजपा के कमल चिन्ह् का उपयोग करते हुए नीचे चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र के हवाले से एक पोस्ट सोशल मीडिया पर सुशील झाडे नामक भाजपा समर्थक की ओर से जारी की गई है। इस पोस्ट में ‘मान गये भैय्या’ का शिर्षक दिया गया है। इस शिर्षक तले हंसराज अहिर और किशोर जोरगेवार की विजयी व हसमुख मुद्रा वाली तस्वीर लगाई गई है। इसके ठीक नीचे लिखा गया है कि हंसराज भैय्या अहिर ने आखिरकार बता ही दिया कि वे सभी के भैय्या क्यों है ? किशोर जोरगेवार का अंतत: भाजपा में प्रवेश।
सोशल मीडिया पर इस आशय के 2 पोस्टरनुमा पोस्ट काफी वायरल हो रहे हैं। आखिरकार इस तरह के पोस्ट का राजनीतिक भावार्थ क्या निकाला जाएं, यह भाजपा के कार्यकर्ताओं के लिए भी चिंतन का विषय बन गया है। क्योंकि गत लोकसभा चुनावों में हंसराज अहिर की दावेदारी को नकारा गया था। इसके चलते भाजपा को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था। जिसके बाद से अहिर का रसूख और प्रभाव बढ़ता चला गया। अब जब जोरगेवार को भाजपा के पाले में लाकर खड़ा कर दिया गया है तो इसका श्रेय भी बेशक अहिर को ही दिया जा रहा है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या आगामी चुनावों में अहिर के समर्थक मजबूती से आगे आएंगे ? क्या वे भाजपा के भितर के गुटबाजी पर अपना परचम लहरा पाएंगे ?
वहीं दूसरी ओर राजुरा में भाजपा नेता देवराव भोंगले को टिकट मिलने के बाद विरोध और बगावत के स्वर तेज हो गये। पूर्व विधायक एवं भाजपा के नेता एड. संजय धोटे तथा सुदर्शन निमकर की मौजूदगी में देवराव भोंगले की उम्मीदवारी का प्रखर विरोध किया गया। यहां भी हंसराज अहिर का प्रभाव होने के कयास लगाये जा रहे हैं। क्योंकि एड. संजय धोटे एवं सुदर्शन निमकर को अहिर के करीबी माने जा रहे है। क्या कहीं उनके ही इशारे पर बगावत के स्वर बुलंद हो रहे है ? यह सवाल अब आम भाजपा के कार्यकर्ताओं में चर्चा का विषय बनता जा रहा है।
बहरहाल सोशल मीडिया पर ‘मान गये भैय्या’ नामक पोस्ट से किस पर व्यंग कसा जा रहा है ? यह सवाल अब भी बरकरार है।