Chandrapur District Assembly Elections Rebel Candidates : चंद्रपुर जिले में राजनीतिक उलटफेर शुरू हो चुका है। विधानसभा चुनावों में विविध दलों के बागियों के कारण राजनीतिक समीकरण बिगड़कर ढहने लगे हैं। जहां सीधा मुकाबला और काटे की टक्कर का चित्र था, वहां काबिल उम्मीदवार राजनीतिक दलों की ओर से चुनावी मैदान में नहीं उतारने की शिकायतें कार्यकर्ताओं की ओर से की जाने लगी है। अपने प्रिय उम्मीदवार को राजनीतिक दल की ओर से टिकट नकारे जाने के बाद कार्यकर्ता न केवल हताश है बल्कि अपने नेता को समर्थन देते हुए साथ खड़े रहने का भरोसा दिला रहे हैं। राजनीतिक दल का प्रत्याशी न बन पाने का दंश सहते हुए अब अपने नेता को निर्दलीय के रूप में चुनावी मैदान में उतारा जा चुका है। कार्यकर्ताओं का जोश अब नेताओं की संजीवनी बन गई है।
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चंद्रपुर जिले में कुल 6 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र हैं। राजनीतिक दलों की ओर से टिकट बंटवारे के बाद अनेक दलों में नाराज उम्मीदवारों ने निर्दलीय होकर नामांकन पेश कर दिया है। छंटनी के बाद 120 उम्मीदवार इस समय चुनावी मैदान में लड़ने के लिए तैयार हो चुके हैं। नाम वापसी के बाद भले ही असली तस्वीर स्पष्ट हो जाएगी, लेकिन फिलहाल कार्यकर्ताओं की ओर से नेताओं का हौसला बढ़या जा रहा है। वहीं दलों का टिकट न पाने वाले नेताओं की ओर से कार्यकर्ताओं को निर्दलीय लड़ने के तंत्रों की जानकारी दी जा रही है।
Chandrapur Assembly : चंद्रपुर के निर्दलीय विधायक किशोर जोरगेवार ऐन समय पर भाजपा में प्रवेश कर गये। इसके चलते बरसों से टिकट की आस लगाकर बैठे ब्रिजभूषण पाझारे की दावेदारी खत्म हो गई। वे निराश हो गये। अंतत: उन्होंने अपने राजनीतिक गुरू व मंत्री मंत्री सुधीर मुनगंटीवार के दावे के खिलाफ जाकर निर्दलीय नामांकन पेश कर दिया। कांग्रेस में भी बगावत देखने को मिली है। प्रवीण पडवेकर को टिकट दिये जाने के बाद राजू झोड़े निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए नामांकन भर चुके हैं। स्नेहल रामटेके एवं राहुल घोटेकर जैसे प्रत्याशियों के तो नामांकन ही छंटनी में रद्द हो गये है।
Bramhapuri Assembly : ब्रम्हपुरी पर बरसों से कांग्रेस का वर्चस्व रहा है। राज्य के विरोधी दल नेता व कांग्रेस कांग्रेस विधायक विजय वडेट्टीवारकी मजबूत स्थिति को देखते हुए पहले ही चरण में उन्हें पार्टी ने टिकट दे दिया। बीते दिनों भाजपा नेता परिणय फूके एवं कांग्रेस कांग्रेस सांसद प्रतिभा धानोरकर की ओर से यहां कुणबी समाज बंधु को टिकट देने की मांग उठी थी। इस मांग को भाजपा ने पूरा करते हुए कुणबी चेहरा कृष्णलाल सहारे को टिकट दे दिया। लेकिन भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रा. अतुल देशकर की टिकट काट दी गई। इससे भाजपा को ही नुकसान होने का अनुमान है।
Chimur Assembly : चिमूर में बीते 2 टर्म से भाजपा नेता बंटी भांगडिया यहां विधायक हैं। उनके खिलाफ कांग्रेस ने फिर एक बार सतिश वारजुकर को मैदान में उतारा है। परंतु यहां धनराज मुंगलेकी ओर से निर्दलीय नामांकन भरे जाने के कारण वे वारजुकर के वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं। इसका सीधा लाभ विधायक बंटी भांगडिया को मिलने के आसार है।
Wrora Assembly : वरोरा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र तो बरसों से कांग्रेस का ही गढ़ रहा है। कांग्रेस की ओर से सांसद प्रतिभा धानोरकर के आग्रह पर उनके सगे भाई प्रवीण काकडे को टिकट दी गई है। इस समय उनके जेठ अनिल धानोरकर की दावेदारी को नकार दिये जाने के कारण वे निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा की ओर से पूर्व मंत्री संजय देवतले के पुत्र करण देवतले को टिकट दिये जाने के कारण भाजपा के वरिष्ठ नेता रमेश राजुरकर ने बगावत कर दी। यही हाल ऐतेशाम अली का भी दिख रहा है। वे दोनों भी निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए नामांकन भर चुके हैं। मुकेश जीवतोड़े, डॉ. चेतन कुटमाटे जैसे जाने-माने चेहरे भी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। कुल मिलाकर यहां बहुरंगी चुनावी सामना होने के प्रबल आसार है।
Ballarpur Assembly : बल्लारपुर यह महाराष्ट्र के राज्य के वन मंत्री एवं जिले के पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार की कर्म भूमि है। यहां सबसे बड़ी समस्या कांग्रेस के लिए उभरकर सामने आयी है। क्योंकि एक ओर जहां शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट के नेता संदीप गिर्हे यहां से निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी में है। वहीं कांग्रेस की सीट संतोष सिंह रावत को जाने के बाद पार्टी से बगावत करते हुए डॉ. अभिलाषा गावतूरे मंत्री मुनगंटीवार को टक्कर देने के लिए अपना नामांकन भर चुकी है।
Rajura Assembly : राजुरा में राजनीतिक सरगर्मी कुछ ज्यादा ही बढ़ी हुई है। कांग्रेस ने यहां विधायक सुभाष धोटे को ही मैदान में उतारा है। जबकि भाजपा यहां अनेक टुकड़ों में बिखर गई है। भाजपा की टिकट घुग्घुस निवासी देवराव भोंगले को मिलने के बाद भाजपा से बगावत कर पूर्व विधायक एड. संजय धोटे एवं सुदर्शन निमकर ने अपना नामांकन पेश कर भाजपा का सिरदर्द बढ़ा दिया है। वहीं स्वतंत्र भारत पक्ष के नेता व पूर्व विधायक वामनराव चटप यहां का राजनीतिक गणित पलटने की पूरी ताकत रखते हैं। चटप के नामांकन से कांग्रेस और भाजपा दोनों ही काफी परेशान नजर आ रहे है।