Chandrapur Assembly Elections करवट बदलती राजनीति ने चंद्रपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र को इस मोड़ पर ला दिया है कि अब भाजपा और कांग्रेस के भितर के घमासान का लाभ किसी तिसरे को मिलने की वर्ष 2019 की परिस्थितियां फिर एक बार परवान चढ़ने लगी है। वर्ष 2019 में निर्दलीय के रूप में किशोर जोरगेवार प्रत्याशी थे, तब स्थानीय उम्मीदवार होने के कारण उन्हें लोगों ने पसंद किया। वहीं बाहरी उम्मीदवार का तमगा नाना श्यामकुले और महेश मेंढे पर लगाया गया। चंद्रपुर की भाजपा और कांग्रेस के अनेक कार्यकर्ताओं ने खुलकर जोरगेवार के पक्ष में काम किया। जब महाविकास आघाड़ी की सरकार बनी तो जोरगेवार उनके साथ थे। और जब महायुति की सरकार बनी तो जोरगेवार उनके भी साथ थे। क्षेत्र के विधायक होने के नाते स्थानीय स्तर पर भी उनका सीधा संबंध कांग्रेस और भाजपा के कार्यकर्ताओं से रहा है। वे आज भी उनके संपर्क में है। ऐसे में जब भाजपा अहिर और मुनगंटीवार तथा कांग्रेस वडेट्टीवार और धानोरकर इन दो-दो खेमों में बंटी हुई नजर आ रही है तो इस बंटवारे का लाभ पिछली बार की तरह क्या जोरगेवार उठा पाएंगे ? यह सवाल आम कार्यकर्ताओं में चर्चा का विषय बना हुआ है।
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Kishore Jorgewar : नेताओं से दूर, कार्यकर्ताओं से करीब
विधायक किशारे जोरगेवार बीते दो माह में चंद्रपुर से राजनीतिक दल का टिकट पाने के लिए काफी जद्दोजहद करते रहे। उन्होंने स्वयं पत्रकार परिषद में यह दावा किया था कि उनके पक्ष प्रवेश को लेकर स्थानीय नेताओं का काफी विरोध है। हालांकि उन्होंने विरोध करने वाले नेताओं के नाम उजागर नहीं किये। परंतु जिन नेताओं की ओर से उनका विरोध होता रहा है, उन्हीं नेताओं के कार्यकर्ता जोरगेवार के लगातार संपर्क रहे हैं। अनेक कार्यकर्ताओं के कार्यों की पूर्ति करने में जोरगेवार सफल भी रहे। इसलिए वर्ष 2019 की तर्ज पर वर्ष 2024 में भी उनका चुनावी कार्य यह कार्यकर्ता कर सकते हैं। यह अंदेशा राजनीतिक दलों के खेमों में चर्चा का विषय बनता जा रहा है।
चंद्रपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के लिए वैसे तो 4 मुख्य नामों पर अधिक चर्चा हो रही है। यहां चौरंगी चुनावी लड़ाई देखने को मिल सकती है। मुख्य चार नामों में भाजपा प्रत्याशी किशोर जोरगेवार, कांग्रेस प्रत्याशी प्रवीण पडवेकर, भाजपा के बागी प्रत्याशी ब्रिजभूषण पाझारे और कांग्रेस के बागी प्रत्याशी राजू झोडे का नाम प्रमुखता से सामने आ रहा है। जाहिर सी बात है कि किशोर जोरगेवार की भाजपा टिकट पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज अहिर की बदौलत उन्हें प्राप्त हुई तो अहिर गुट जोरगेवार की सेवा में लगा हुआ है। परंतु जोरगेवार के भापजा प्रवेश व टिकट का विरोध करने वाले मुनगंटीवार गुट ने जाहिर रूप से जोरगेवार का स्वागत तो किया परंतु अंदरुनी रूप से वे किसके लिए काम करेंगे, यह फिलहाल कोई नहीं बता सकता। ठीक इसी तरह से प्रवीण पड़वेकर को कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार गुट का माना जाता है। ऐसे में सांसद प्रतिभा धानोरकर का गुट पडवेकर के लिए काम करेगा या नहीं, यह तो वक्त ही बताएगा। भाजपा के बागी पाझारे को मुनगंटीवार गुट सहकार्य करेगा या नहीं और कांग्रेस के बागी झोडे को धानोरकर का गुट मदद करेगा या नहीं, यह सवाल हर किसी के मन में जवाब खोज रहा है।
Chandrapur Assembly में कौन-कौन हैं प्रत्याशी
किशोर गजानन जोरगेवार (भारतीय जनता पक्ष), प्रवीण नानाजी पडवेकर (भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस), ब्रिजभूषण महादेव पाझारे (निर्दलीय), राजू चिन्नया झोडे (निर्दलीय), सुरेश मल्लारी पाईकराव (निर्दलीय), नभा संदीप वाघमारे (पिपल्स पार्टी ऑफ इंडिया), राजेश भीमराव घुटके (निर्दलीय), , प्रियदर्शन अजय इंगले (राष्ट्रवादी काँग्रेस पार्टी व अपक्ष), मिलिंद प्रल्हाद दहिवले (केंद्रीय मानवाधिकार संगठन व अपक्ष), ज्ञानेश्वर एकनाथ नगराले (रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया-अ), भानेश राजम मातंगी (निर्दलीय), भुवनेश्वर पद्माकर निमगडे (निर्दलीय), विनोद कवडुजी खोब्रागडे (निर्दलीय), प्रकाश शंकर रामटेके (बहुजन मुक्ती पार्टी), मनोज गोपीचंद लाडे (बहुजन समाज पक्ष), प्रकाश उद्धवराव ताकसांडे (निर्दलीय), कोमल किशोर जोरगेवार (निर्दलीय), मोरेश्वर कोदुजी बडोले (निर्दलीय), अडवकेट विशाल शामराव रंगारी (बहुजन रिपब्लिक सोशालिस्ट पार्टी), अरुण देविदास कांबले (रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया (रिफारनिष्ठ), बबन रामदास कासवटे (निर्दलीय), स्नेहल देवानंद रामटेके (वंचित बहुजन आघाडी), आशिष अशोक माशीरकर (निर्दलीय), आनंद सुरेश इंगळे (निर्दलीय), संजय नीलकंठ गावंडे (निर्दलीय), ज्ञानदेव भजन हुमणे (निर्दलीय), देवानंद नामदेवराव लांडगे (निर्दलीय व भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस), रतन प्रल्हाद गायकवाड (निर्दलीय), प्रवर्तन देवराव आवले (निर्दलीय), भिमनवार संजय परशुराम (राष्ट्रीय समाज पक्ष), एड. संकुल अरुण घोटेकर (निर्दलीय), महेश मारोतराव मेंढे (निर्दलीय), प्रतिक विठल डोर्लीकर (ऑल इंडियन रिपब्लिक पार्टी), अशोक लक्ष्मणराव मस्के (निर्दलीय)।
घुग्घुस भाजपा की टिम राजुरा में कार्यरत !
जिले की औद्योगिक नगरी के रूप में घुग्घुस प्रसिद्ध हैं, इसलिए इस शहर की गतिविधियों पर जिले का ध्यान लगा रहता है। यहां करीब 14 हजार से अधिक मतदाता हैं। बीते लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता प्रतिभा धानोरकर को 9,663 वोट मिले, तो भाजपा उम्मीदवार सुधीर मुनगंटीवार को 4,844 वोट मिले। अर्थात मुनगंटीवार को घुग्घुस से देवराव भोंगले एवं विवेक बोढ़े के रहते हुए भी 4,810 वोट से पिछड़ जाना पड़ा था। ऐसे में अब जब विधानसभा चुनावों की सरगर्मी चल रही है तो अधिकांश भाजपा के कार्यकर्ता राजुरा की ओर रूख कर रहे हैं, क्योंकि देवराव भोंगले को राजुरा विधानसभा की टिकट मिल चुकी हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि 14 हजार वोटों के इस क्षेत्र में भाजपा की ओर से कौनसी रणनीति अपनाई जाएगी और यहां भाजपा कैसे काम करेगी ? हालांकि यह भी सच है कि अधिकांश कार्यकर्ताओं से किशोर जोरगेवार का सीधा संपर्क है। परंतु घुग्घुस के गढ़ को जीत पाना किसी के लिए भी आसान काम नहीं होगा।