Rajura Assembly Elections : चंद्रपुर जिले में राजुरा एक ऐसा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र है, जहां बहुरंगी चुनावी घमासान जारी है। कांग्रेस विधायक सुभाष धोटे जो स्वयं कांग्रेस के जिलाध्यक्ष पद पर भी आसिन है, इनकी कांग्रेस टीम को लोहे के चना चबाने जैसी स्थिति यहां पैदा हो गई है। क्योंकि इनके खिलाफ 3 पूर्व विधायक चुनावी मैदान में उतरे है। साथ ही भाजपा के उम्मीदवार एवं एक समाजसेवी की ओर से वोटों में सेंध लगाई जा रही है। कुल मिलाकर यहां बहुरंगी घमासान हो रहा है। इस चुनावी संघर्ष के बीच मतदाता ऑनलाइन पंजीयन घोटाला भी राजुरा में कांग्रेस ने ही उजागर किया। 6853 फर्जी वोटरों के खिलाफ चुनावा आयोग से शिकायत हुई तो जिलाधिकारी को आगे आकर इन तमाम बोगस वोटरों का पंजीयन रद्द कराना पड़ा। साथ ही इसकी गहन जांच व कार्रवाई के आदेश पुलिस को दिये गये। लेकिन हैरत की बात है कि बीते 15 दिनों में पुलिस किसी भी आरोपी के गिरेबान तक नहीं पहुंच पायी। ऐसे में फर्जी वोटिंग को ब्रेक तो लग गया है, परंतु अनहोनि कौनसे रास्ते से राजुरा चुनावों में प्रवेश करेगी यह कोई बता नहीं सकता।
Whatsapp Channel |
भाजपा की बगावत का चटप को लाभ
राजुरा में राजनीतिक घमासान की मुख्य वजह यहां भाजपा के बागी हैं। क्योंकि जिले के पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार के करीबी माने जाने वाले घुग्घुस निवासी भाजपा नेता देवराव भोंगले पत्र परिषद को राजुरा की सीट दे दी गई। इसके चलते राजुरा के भाजपा नेताओं और आम कार्यकर्ताओं में काफी नाराजगी है। पूर्व विधायक एड. संजय धोटे, पूर्व विधायक सुदर्शन निमकर के अलावा उनके अनेक समर्थकों ने पत्रपरिषद बाकायदा आयोजित कर देवराव भोंगले की उम्मीदवारी का विरोध किया। पार्टी के वरिष्ठों से शिकायत की। और अंतत: एड. संजय धोटे एवं सुदर्शन निमकर ने भाजपा से बगावत कर नामांकन आवेदन पेश कर दिया। इसके चलते भाजपा के अंदरुनी घमासान से परेशान वोटर पूर्व विधायक वामनराव चटप की ओर रुख करने की चर्चा है।
टुकड़ों में बिखर गई राजुरा की भाजपा
गत दिनों राजुरा में आयोजित पत्रकार परिषद में पूर्व विधायक एड. संजय धोटे एवं सुदर्शन निमकर के अलावा अनेक भाजपा नेता उपस्थित थे। सैंकड़ों कार्यकर्ता इनके समर्थन में सड़क पर उतर आये। भाजपा नेता देवराव भोंगले को राजुरा से टिकट दिये जाने को लेकर उन पर घुग्घुस का पार्सल होने का आरोप लगाया गया। गुटबाजी को हवा देने के लिए भोंगले पर अनेक आरोप मढ़ दिये गये। इन परिस्थितियों में भाजपा यहां टुकड़ों में बिखरती हुई दिखाई पड़ी। इसके बावजूद भाजपा के वरिष्ठों की ओर से कोई दखल नहीं लिया जाना हैरत की बात रही। क्योंकि देवराव भोंगले के सिर पर मंत्री मुनगंटीवार का आशीर्वाद है। ऐसे में लोकसभा चुनावों में मिले कम वोटों का हिसाब चुकता कराने की यह रणनीति होने की चर्चा अब आम लोग कर रहे हैं।
लड़ाई धोटे से, सिरदर्द भाजपा का और चटप जोश में
कांग्रेस विधायक सुभाष धोटे से सीधी टक्कर लेने के लिए राजुरा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में मुख्य 5 नाम उभरकर सामने आ रहे है। इनमें पहला नाम आता है स्वतंत्र भारत पक्ष के नेता व पूर्व विधायक वामनराव चटप का। भाजपा प्रत्याशी देवराव भोंगले तो अधिकृत रूप से टक्कर देंगे ही। लेकिन भाजपा के बागी एड. संजय धोटे एवं सुदर्शन निमकर भी मैदान में डटे रहने के कारण वोटों का गणित बिगड़ता जा रहा है। ऐसे में बरसों से इस क्षेत्र में जनता के बीच जाकर अपनी छवि बनाने वाले संभाजी ब्रिगेड के प्रत्याशी भूषण फूसे भी वोटों में भारी सेंध लगाने के लिए तत्पर है। आमतौर पर देखा जाएं तो राजुरा में सभी की नजरें कांग्रेस के वोट काटने पर टिकी हुई है। ऐसे में सुभाष धोटे क्या कमाल दिखा पाएंगे, यह तो वक्त ही बताएगा।
कांग्रेस के सेफ जोन में पहले भी लग चुकी हैं सेंध
राजुरा विधानसभा क्षेत्र का चुनावी इतिहास वर्ष 1962 से रहा है। बतौर विधायक विट्ठलराव धोटे, प्रभाकरराव मामुलकर और सुभाष धोटे 2 बार विधायक बने हैं। वहीं, एड. वामनराव चटप 3 बार मुंबई विधानसभा में पहुंचे। जीवतोडे, मुसले, निमकर और संजय धोटे केवल एक बार विधायक बने हैं। यह क्षेत्र कभी कांग्रेस का ‘सेफ ज़ोन’ हुआ करती थी। लेकिन वर्ष 2014 में एड. संजय धोटे ने मोदी लहर में विजयी रथ पर सवार हुए थे। वर्ष 2019 में कांग्रेस नेता सुभाष धोटे ने कड़ी टक्कर के बाद संजय धोटे को हराया दिया था।
कौन-कौन हैं चुनावी मैदान में ?
सुभाष रामचंद्र धोटे (भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस), वामनराव सदाशिव चटप (स्वतंत्र भारत पक्ष), संजय यादवराव धोटे (भारतीय जनता पक्ष आणि निर्दलीय), सुदर्शन भगवान निमकर (भारतीय जनता पक्ष आणि निर्दलीय), देवराव विठोबा भोंगले (भारतीय जनता पक्ष), भूषण मधुकरराव फुसे (संभाजी ब्रिगेड), प्रिया बंडू खाडे (रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया), निनाद चंद्रप्रकाश बोरकर (निर्दलीय), चित्रलेखा कालिदास धंदरे (निर्दलीय), सचिन बापूराव भोयर (महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना), गजानन गोदरू पाटील जुमनाके (गोंडवाना गणतंत्र पार्टी), प्रवीण रामराव कुमरे (बहुजन मुक्ती पार्टी), रेशमा गणपत चव्हाण (जनवादी पार्टी), मंगेश हिरामण गेडाम (रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया), अरुण रामचंद्र धोटे (भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस), किरण गंगाधर गेडाम (निर्दलीय), अभय मारोती डोंगरे (बहुजन समाज पक्ष), वामन उद्धवजी आत्राम (निर्दलीय).