Assembly Elections Chandrapur District महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए नाम वापसी की अंतिम तिथि आज सोमवार 4 नवंबर है। चंद्रपुर जिले के छह विधानसभा क्षेत्रों में उम्मीदवारों के नामांकन वापस लेने की स्थिति स्पष्ट होगी, और सभी की निगाहें उन बागी उम्मीदवारों पर हैं जिन्होंने अपनी पार्टी के खिलाफ खड़े होकर चुनाव लड़ने का इरादा जताया है। इनमें से अधिकांश नेताओं ने महायुति और महाविकास आघाड़ी से टिकट की उम्मीद की थी, लेकिन अपेक्षाओं के विपरीत उन्हें टिकट नहीं मिला।
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जिले के चार प्रमुख विधानसभा क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर बगावत देखने को मिली है, और पार्टी नेताओं के बीच उन्हें मनाने के प्रयास तेज हो गए हैं। हालांकि, नेताओं को आज अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस स्थिति में कुछ भी हो सकता है, क्योंकि राजनीति में अंतिम पल में समीकरण बदल सकते हैं।
कांग्रेस और बीजेपी के नेताओं में बगावत: नामों पर असंतोष बढ़ा
चंद्रपुर सीट: अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित चंद्रपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने प्रवीण पडवेकर को टिकट दिया। इस फैसले से राजू झोडे, जो अपना क्षेत्र बदलकर चंद्रपुर से चुनाव लड़ना चाहते थे, नाराज हो गए और उन्होंने पार्टी के खिलाफ बगावत कर दी। इसके अलावा, बीजेपी ने इस सीट से विधायक किशोर जोरगेवार को टिकट दिया, जिससे पार्टी के लंबे समय से जुड़े नेता ब्रिजभूषण पाझारे नाराज हो गए और बगावती तेवर अपना लिए।
बल्लारपुर सीट: कांग्रेस ने यहां संतोश सिंह रावत त को उम्मीदवार बनाया, जबकि इस सीट पर पहले से कांग्रेस की डॉ. अभिलाषा गावतुरे की उम्मीदवारी की चर्चा थी। इस निर्णय से नाराज होकर डॉ. गावतुरे ने भी बगावत का रास्ता चुना और निर्दलीय के रूप में नामांकन दाखिल किया।
राजुरा सीट: बीजेपी ने देवराव भोंगले को टिकट दिया, जिसके बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक संजय धोटे तथा सुदर्शन निमकर नाराज हो गए और बगावत की घोषणा की। सोमवार को उनकी आगे की रणनीति सामने आएगी।
वरोरा सीट: कांग्रेस और बीजेपी, दोनों ही पार्टियों में यहां बगावत का माहौल बना। कांग्रेस ने सांसद प्रतिभा धानोरकर के भाई प्रवीण काकड़े को टिकट दिया, जिससे उनके ही रिश्तेदार अनिल धानोरकर ने वंचित बहुजन आघाड़ी से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। वहीं, बीजेपी के रमेश राजूरकर की जगह माजी मंत्री संजय देवतळे के बेटे करण देवतळे को टिकट मिला, जिससे राजूरकर ने नाराज होकर पार्टी के खिलाफ खड़े होने की घोषणा कर दी।
बागियों की भूमिका से चुनावी गणित में उलटफेर की संभावना
इन सभी घटनाक्रमों से संकेत मिलता है कि चंद्रपुर जिले के विधानसभा क्षेत्रों में बागी नेताओं की भूमिका महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। चूंकि ये सभी नेता पार्टी में अपनी गहरी पैठ और जनाधार रखते हैं, इसलिए इनका स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ना प्रमुख दलों के समीकरण बिगाड़ सकता है। पार्टी के शीर्ष नेता बागियों को मनाने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं, ताकि उन्हें चुनाव से पहले नामांकन वापस लेने के लिए राजी किया जा सके।