Chandrapur District Assembly Elections विधानसभा चुनावी प्रक्रिया के तहत नामांकन वापसी का आज अंतिम दिन था। शाम तक जिन दिग्गज एवं बागी नेताओं ने अपने नामांकन वापिस लिये उनमें राजुरा से भाजपा नेता व पूर्व विधायक एड. संजय धोटे तथा सुदर्शन निमकर का नाम शामिल हैं। वहीं धनराज मुंगले ने भी अपना नामांकन वापिस ले लिया है, इसके चलते कांग्रेस प्रत्याशी सतीश वारजुकर का रास्ता आसान हो गया है। वरोरा से भाजपा के बागी प्रत्याशी रमेश राजुरकर द्वारा नामांकन वापिस लेने से करण देवतले ने राहत की सांस ली है। जबकि बल्लारपुर में महागठबंधन से कांग्रेस द्वारा संतोषसिंह रावत को टिकट दिये जाने के बाद आज उद्धव ठाकरे शिवसेना गुट के जिला प्रमुख संदीप गिरहे ने भी अपना नामांकन वापिस ले लिया है। कुल मिलाकर जिले के 5 अहम नेताओं द्वारा चुनावी संग्राम में नहीं लड़ने का फैसला लेकर अपने सहयोगियों के संघर्ष को आसान कर दिया है।
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गौर करने वाली बात यह है कि अब नामांकन वापसी के बाद कौन कौन बागी चुनावी मैदान में डटे हुए हैं ? किसकी मौजूदगी से चुनावों के परिणामों अर्थात वोटों पर असर हो सकता है। मैदान में डटे रहने वाले बागी नेताओं में चंद्रपुर से कांग्रेस नेता राजू झोडे और भाजपा नेता ब्रिजभूषण पाझारे का नाम शामिल है।
बल्लारपुर से कांग्रेस के बागी नेता डॉ. अभिलाषा गावतूरे अब इस चुनावी जंग का अहम हिस्सा बन चुकी है। यहां मंत्री सुधीर मुनगंटीवार को टक्कर देना आसान काम नहीं है। कांग्रेस प्रत्याशी संतोषसिंह रावत को टिकट देने के बावजूद डॉ. गावतूरे अंगद के पांव की तरह मजबूती से खड़ी है। दोनों नेताओं को टक्कर देते हुए अपना वजूद साबित करने की उनकी ललक जनता के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है।
हालांकि कुछ ऐसे भी नाम हैं जिन्होंने बगावत तो नहीं की लेकिन दूसरे दलों के माध्यम से अपना पर्चा भरकर मौजूदा राष्ट्रीय दलों के प्रत्याशियों के नाक में दम कर रखा है। वे अब भी मैदान में डटे हुए हैं। इनमें खासकर वरोरा से प्रहार जनशक्ति पार्टी के नेता अहेतेशाम अली, निर्दलीय नेता डॉ. चेतन खुटेमाटे, वंचित बहुजन आघाड़ी के नेता अनिल धानोरकर है।
चिमूर की यदि बात की जाएं तो यहां वंचित बहुजन आघाड़ी के नेता अरविंद सांदेकर के चलते त्रिकोणी लड़ाई का चित्र नजर आता है। भले ही राजुरा में भाजपा नेताओं ने बगावत के बाद अपना नामांकन वापिस ले लिया हो, लेकिन कांग्रेस विधायक सुभाष धोटे एवं भाजपा प्रत्याशी देवराव भोंगले के संघर्ष के बीच स्वतंत्र भारत पक्ष के प्रत्याशी एवं पूर्व विधायक वामनराव चटप काफी मजबूत स्थिति में नजर आते हैं।
इन तीनों की लड़ाई के बीच संभाजी ब्रिगेड नामक दल से समाजसेवक भूषण फूसे की मौजूदगी यहां चौरंगी संघर्ष को प्रतिबिंबित कर रही है। ब्रम्हपुरी की यदि बात की जाएं तो यहां विरोधी दल नेता व कांग्रेस विधायक विजय वडेट्टीवार एवं भाजपा प्रत्याशी कृष्णलाल सहारे के बीच ही चुनावी टक्कर दिखाई पड़ती है।