Chandrapur Assembly Election Campaign | Amit Shah Wraps Up Election Rally in 5 Minutes: BJP Workers Upset
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चंद्रपुर में भाजपा के प्रचार के दौरान अमित शाह ने भाषण के लिए केवल पाँच मिनट का वक्त निकाला, कार्यकर्ताओं में नाराजगी और असंतोष। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज चंद्रपुर में भाजपा के प्रचार अभियान के तहत एक सभा को संबोधित किया, लेकिन सिर्फ पाँच मिनट के संबोधन के बाद ही वे सभा स्थल से रवाना हो गए। उनका यह निर्णय भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों में असंतोष का कारण बन गया है।
शाह ने चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र के भाजपा उम्मीदवार किशोर जोरगेवार को मंच पर बुलाते हुए उनसे अपील की कि वे विधानसभा में जीत कर जाएं, और कहा, “मैं स्वयं इनके विजय रैली में शामिल होऊंगा।” हालांकि, उन्होंने राजुरा के देवराव भोंगले और वरोरा के करन देवतले बाद अन्य उम्मीदवारों का भी नाम लिया, लेकिन राज्य के वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार का नाम लेना भूल गए। मंच पर उपस्थित एक कार्यकर्ता ने उन्हें मुनगंटीवार का नाम याद दिलाया, जिसके बाद शाह ने चुटकी लेते हुए कहा, “मुनगंटीवार को तो आप जानते ही हैं।”
अमित शाह का भाषण अधिक समय तक नहीं चल सका, क्योंकि उन्होंने सायंकाल छह बजे के बाद हेलिकॉप्टर से उड़ान भरने में कठिनाई होने के डर से सभा को केवल पाँच मिनट में समाप्त कर दिया। उनका यह निर्णय भाजपा कार्यकर्ताओं में निराशा और नाराजगी का कारण बना।
चंद्रपुर सभा की तैयारी और कार्यकर्ताओं की नाराजगी:
भाजपा ने चंद्रपुर में अपनी सभा के लिए व्यापक तैयारियां की थीं, लेकिन शाह के अचानक जल्दी चले जाने से ये सारी तैयारियां व्यर्थ साबित हुईं। सभा स्थल पर जुटे लोग इस बात से निराश थे कि अमित शाह ने विधानसभा क्षेत्र के सभी छह उम्मीदवारों का नाम सही से नहीं लिया, और उनका भाषण बहुत छोटा था। कार्यकर्ताओं ने यह भी महसूस किया कि शाह ने अन्य नेताओं के मुकाबले अधिक वक्त नहीं दिया। कांग्रेस नेताओं विजय वडेट्टीवार और मुकुल वासनिक की सभा की तुलना में शाह की सभा की सादगी और संक्षिप्तता पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
नक्सलवाद पर अमित शाह का वादा:
अपने छोटे से भाषण में अमित शाह ने एक महत्वपूर्ण घोषणा भी की। उन्होंने कहा कि आगामी दो वर्षों में गढ़चिरौली और छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त कर दिया जाएगा। यह बयान भाजपा के कार्यकर्ताओं और समर्थकों को उत्साहित करने के लिए था, क्योंकि गढ़चिरौली और आसपास के क्षेत्र वर्षों से नक्सलवाद से प्रभावित रहे हैं।
अमित शाह के इस तरह के जल्दी-जल्दी फैसले और संक्षिप्त सभा ने भाजपा कार्यकर्ताओं के मनोबल पर असर डाला है। जहां एक ओर शाह का भाषण नक्सलवाद पर उनकी सरकार की कड़ी नीति को स्पष्ट करने के लिए था, वहीं उनके छोटे से संबोधन और सभा स्थल से जल्दी लौटने के कारण भाजपा के कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं में असंतोष फैल गया है। राजनीतिक हलकों में इस घटना को लेकर बहस तेज हो गई है और यह सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या यह जल्दबाजी भाजपा के लिए एक बड़ा संकट बन सकती है।