Chandrapur Assembly Election Results 2024: Unveiling the ‘Kingmaker’s Role and the Test of Self-Reliance Today”
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उत्सुकता, जिज्ञासा, जोश, गुलाल, पटाके, हार, गुलदस्ते, मिठाईयां, बैंड-बाजा, ढोल-ताशे, ऐसी तमाम बातें तैयार हैं। यह तैयारियां आज, 23 नवंबर की सुबह से जारी मतगणना के लिए है। मुख्य राजनीतिक दल के हर प्रत्याशी लग रहा है कि वे ही जीतेंगे। मतगणना के वक्त सजग होकर इस प्रक्रिया को अंजाम तक ले जाने के लिए प्रत्येक नेता ने अपने कार्यकर्ताओं की टीम को जागृत रहने की सूचनाएं दी है। जनता में विधानसभा चुनावों के परिणामों को लेकर उत्सुकता और जिज्ञासा है। सुबह से ही हार-जीत के आकलन और भविष्यवाणियों पर चर्चा होने लगी है। किंगमेकर की जिम्मेदारी का बोझ अपने कंधे पर ले चुके नेताओं की भी धड़कनें बढ़ चुकी हैं। स्वबल पर सत्ता की कुर्सी पर बैठने वालों की कसौटी निर्णायक मोड़ के कगार पर है। पुराने नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। और नये नेता उभरने के लिए आस लगाये बैठे हैं। कार्यकर्ताओं का हाल तर्क-वितर्क कर करके बेहाल हो चुका है। चंद घंटों में कहीं खुशियों की बौछारें होगी तो कहीं मायूसियों का मातम छा जाएगा।
चंद्रपुर जिले में कुल 6 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र हैं। इनमें चंद्रपुर, बल्लारपुर, राजुरा, ब्रम्हपुरी, चिमूर और वरोरा का समावेश हैं। जिले में सभी प्रमुख नेताओं ने इसमें हिस्सा लिया। किंगमेकर के तौर पर उभर कर सामने आये जिले के नेताओं में सुधीर मुनगंटीवार, विजय वडेट्टीवार, हंसराज अहिर एवं प्रतिभा धानोरकर का समावेश हैं। जबकि स्वबल पर चुनावी मैदान में जोर आजमाइश करने वाले उम्मीदवारों में सुधीर मुनगंटीवार, विजय वडेट्टीवार, सुभाष धोटे, बंटी भांगडिया का समावेश हैं। इसलिए इनकी जीत-हार स्वयं के प्रतिष्ठा की कसौटी मानी जा रही है।
‘किंगमेकर’ नेता हारेंगे या जीतेंगे ?
जबकि किंगमेकर के रूप में जिन-जिन नेताओं ने अपने शागिर्दों, समर्थकों एवं करीबियों को चुनावी मैदान में उतारा हैं, उन्हें जिताकर लाने की जिम्मेदारी भी किंगमेकर नेताओं की ही है। मूलत: यह उनका नैतिक दायित्व है।
सुधीर मुनगंटीवार
भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं प्रदेश के वनमंत्री सुधीर मुनगंटीवार जिले में भाजपा के किंगमेकर की भूमिका में हैं। राजुरा प्रत्याशी देवराव भोंगले को टिकट दिलाने के बाद उन्हें जीताकर लाना उनकी नैतिक जिम्मेदारी है। वे इस जिम्मेदारी में कितने सफल हो पाते हैं, यह तो चंद घंटों में ही स्पष्ट हो जाएगा। वरोरा प्रत्याशी करण देवतले, ब्रम्हपुरी प्रत्याशी क्रिष्णा सहारे, चंद्रपुर प्रत्याशी किशोर जोरगेवार भले ही भाजपा के टिकट पर लड़ रहे थे, परंतु इनके लिए अपेक्षा अनुरुप अधिक जोर लगाते हुए नहीं देखा जा सका।
विजय वडेट्टीवार
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व आपदा मंत्री व वर्तमान विधायक विजय वडेट्टीवार, जिले में कांग्रेस के किंगमेकर की भूमिका में हैं। उन्होंने अपने कट्टर समर्थक प्रवीण पडवेकर को चंद्रपुर और सतीश वारजुकर को चिमूर तथा संतोषसिंह रावत को बल्लारपुर का टिकट दिलाया। इनके लिए सभाएं ली। लेकिन वरोरा प्रत्याशी प्रवीण काकडे के प्रति आस्था नजर नहीं आयी। बहराहल आज का दिन निर्णायक है। यदि पडवेकर, वारजुकर एवं रावत इस चुनाव में हार जाते हैं, और महाविकास आघाडी की सरकार महाराष्ट्र की बनती है तो इसका खामियाजा वडेट्टीवार को भुगतना पड़ सकता है।
हंसराज अहीर
पूर्व केंद्रीय गृहराज्य मंत्री एवं भाजपा के दिग्गज नेता हंसराज अहीर इस बार किंगमेकर की भूमिका में दिखे। पिछली बार लोकसभा चुनावों के दौरान अहीर का टिकट काटकर सुधीर मुनगंटीवार को उम्मीदवार बनाया गया था। हालांकि मुनगंटीवार ढाई लाख से अधिक वोटों से हार गये। जहां एक ओर अहीर को राजनीतिक क्षति हुई वहीं मुनगंटीवार को भी करारी हार के कारण निराशा के घूंट पीने पड़े। अब विधानसभा चुनाव के मुहाने पर मंत्री सुधीर मुनगंटीवार की ओर से चंद्रपुर के निर्दलीय विधायक किशोर जोरगेवार के भाजपा प्रवेश और उन्हें टिकट दिये जाने को लेकर विरोध की आवाज उठी तो हंसराज अहीर ने ही मध्यस्तता कर दिल्ली तक अपनी रसूख का इस्तेमाल कर विधायक जोरगेवार को भाजपा प्रवेश कराया और टिकट भी दिला दी। इसके चलते यह अहीर की राजनीतिक वापसी के संकेत कहे जा रहे है। लेकिन चंद्रपुर के चुनाव परिणामों में विधायक जोरगेवार की हार व जीत का असर हंसराज अहीर के भविष्य की राजनीतिक पर यकीनन होगा। इसलिए जोरगेवार को जीताकर लाने की जिम्मेदारी किंगमेकर अहीर पर सर्वाधिक है।
प्रतिभा धानोरकर
कांग्रेस की सांसद प्रतिभा धानोरकर पर भले ही जिले के अन्य सीटों को जीताने की जद्दोजहद करते हुए नहीं देखा गया, लेकिन कुछ हद तक को इन्हें किंगमेकर ही कहा जा सकता है। क्योंकि राजनीतिक अनुभव शून्य प्रवीण काकडे अर्थात सांसद धानोरकर के भाई को वरोरा से कांग्रेस का टिकट दिलाने के लिए काफी प्रयास किये गये। सांसद धानोरकर अपने सगे भाई प्रवीण काकडे के लिए टिकट हासिल करने में कामयाब रही। इसलिए इस सीट को जीताकर लाने की सबसे अधिक जिम्मेदारी सांसद धानोरकर के कंधों पर आ गई।
चंद घंटों की प्रतीक्षा के बाद, मतगणना की समाप्ति पर चंद्रपुर जिले के सभी किंगमेकर और स्वबल पर चुनाव लड़ने वाले सभी प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला हो जाएगा। हार और जीत के बीच इसके पीछे के कारणों का मंथन तो होगा ही, लेकिन फिलहाल जश्न और मायूसी के बीच खड़ी घड़ी की सुई टिक-टिक करते हुए आगे बढ़ रही है। चुनावी फैसलों का सभी को बेसब्री से इंतजार है।