लोकसभा चुनाव में भारी बहुमत से चुनी गईं कांग्रेस सांसद प्रतिभा धानोरकर को विधानसभा चुनाव में प्रभावी प्रदर्शन करने में असफलता का सामना करना पड़ा। वरोरा विधानसभा क्षेत्र, जिसे उनका होमग्राउंड माना जाता है, वहां उनके भाई प्रवीण काकड़े को करारी हार का सामना करना पड़ा। इस पराजय के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई कि सांसद धानोरकर का राजनीतिक प्रभाव कम हो रहा है। यहां तक कि उनकी राजनीतिक यात्रा के अंतिम पड़ाव पर पहुंचने की भी अटकलें लगाई जा रही हैं।
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परिवार में दरार और चुनावी तनाव
इस चुनाव में खास बात यह रही कि दिवंगत सांसद बाळू धानोरकर के बड़े भाई अनिल धानोरकर वंचित बहुजन आघाड़ी के उम्मीदवार थे, जबकि प्रतिभा धानोरकर के भाई प्रवीण काकड़े कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े। परिवार में ही बंटवारा और कड़वाहट खुलकर सामने आई। यही नहीं, दिवंगत सांसद बाळू धानोरकर की मां ने प्रतिभा धानोरकर और उनके परिवार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने अपने बेटे की मृत्यु को साजिश करार दिया, जिससे राजनीतिक और पारिवारिक तनाव और बढ़ गया।
धमकियां और विवादित बयान
चुनाव प्रचार के दौरान प्रतिभा धानोरकर ने एक सार्वजनिक सभा में अपने विरोधियों पर तीखे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए ‘बचकर रहना’ का इशारा किया। उनकी इस बयानबाजी ने विरोधियों और अपने ही समाज के लोगों के बीच विवाद खड़ा कर दिया।
शायरी के जरिए पलटवार?
विधानसभा चुनाव में हार और परिवारिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच, प्रतिभा धानोरकर ने हाल ही में अपने इंस्टाग्राम पर एक शायरी पोस्ट की: “कुछ लोग हमारा नाम मिटाना चाहते हैं,
नादान हैं वो लोग जो समंदर को सुखाना चाहते हैं।” इस शायरी ने राजनीतिक माहौल में नई हलचल पैदा कर दी। सवाल उठ रहा है कि यह इशारा विरोधियों के लिए था या परिवार के सदस्यों के लिए?
♦ परिवार की फूट और कांग्रेस को नुकसान परिवार में बंटवारे का सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को हुआ। अनिल धानोरकर के वंचित उम्मीदवार बनने से कांग्रेस का वोट बैंक बंट गया।
♦ प्रतिभा धानोरकर का प्रभाव घटा? इस हार से प्रतिभा धानोरकर की राजनीतिक साख पर बुरा असर पड़ा है। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि यह हार उनकी रणनीति और प्रभाव दोनों पर सवाल खड़ा करती है।
♦ विरोधियों को संदेश या आत्मबल दिखाने की कोशिश? शायरी में दिखाया गया आत्मबल एक तरफ विरोधियों को चुनौती देता है, लेकिन दूसरी ओर यह स्थिति से उबरने की उनकी कोशिश भी दर्शाता है।
♦ आगे की राह इस पूरे प्रकरण से यह स्पष्ट है कि प्रतिभा धानोरकर के सामने अब बड़ी चुनौती है—अपनी पार्टी में एकता बनाए रखना और विरोधियों के साथ-साथ परिवार के भीतर भी भरोसा कायम करना। यह देखना दिलचस्प होगा कि वे अपने राजनीतिक करियर को कैसे पुनर्जीवित करती हैं।