चंद्रपुर जिले के राजुरा विधानसभा क्षेत्र एक बार फिर सुर्खियों में है। कांग्रेस के उम्मीदवार सुभाष धोटे ने इस क्षेत्र में छह बूथों पर हुई वोटिंग की VVPAT और EVM की पुनर्गणना की मांग की है। इसके लिए उन्होंने 2.5 लाख रुपये जमा कर दिए हैं। अब अगले 45 दिनों के भीतर इस मांग पर प्रक्रिया शुरू होगी।
चुनाव परिणाम में मामूली अंतर
इस चुनाव में भाजपा के देवराव भोंगले ने केवल 3,054 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। हालांकि, गिनती के शुरुआती चरणों में भोंगले तीसरे स्थान पर थे। कांग्रेस के धोटे और शेतकरी संघटना के एडवोकेट वामनराव चटप के बीच कड़ी टक्कर चल रही थी। लेकिन अंततः भोंगळे ने बढ़त बनाई।
पुनर्गणना की मांग क्यों?
सुभाष धोटे ने दावा किया है कि जिन बूथों पर उन्हें अधिक मत मिलने की उम्मीद थी, वहां अपेक्षा से कम वोट मिले। इस कारण उन्होंने उन्हीं छह बूथों की VVPAT और EVM पुनर्गणना के लिए आवेदन किया है। एक बूथ की पुनर्गणना के लिए 47,000 रुपये का शुल्क लिया गया, जिसे धोटे ने समयसीमा से पहले जमा कर दिया। उन्होंने 29 नवंबर तक अपनी अपील जिला चुनाव अधिकारी के समक्ष दर्ज की।
बोगस मतदाताओं का मामला
इस चुनाव से पहले राजुरा विधानसभा क्षेत्र में 6,861 फर्जी मतदाताओं का मामला सामने आया था। वोटर हेल्पलाइन ऐप के जरिए यह खुलासा हुआ। जिला कलेक्टर विनय गौड़ा ने इस संबंध में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज कराया। हालांकि, अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि फर्जी मतदाता पंजीकरण के पीछे कौन था।
भाजपा की बढ़त के पीछे कौन से क्षेत्र प्रभावी?
भाजपा उम्मीदवार भोंगळले को गोंडपिंपरी और जिवती तालुकों में अधिक वोट मिले, जिसने उनकी जीत सुनिश्चित की। वहीं, धोटे जिन क्षेत्रों में अधिक वोटों की उम्मीद कर रहे थे, वहां अपेक्षाकृत कम वोटिंग दर्ज की गई।
क्या कहते हैं नियम?
चुनाव परिणाम के बाद सात दिनों के भीतर ही VVPAT और EVM की पुनर्गणना की अपील की जा सकती है। धोटे ने यह समयसीमा पूरी करते हुए आवश्यक शुल्क जमा किया। अब चुनाव आयोग को 45 दिनों के भीतर इस पुनर्गणना प्रक्रिया को अंजाम देना होगा।
विश्लेषण और संभावनाएं
राजुरा का यह मामला चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और फर्जी मतदाताओं की रोकथाम पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। अगर पुनर्गणना में किसी प्रकार की अनियमितता उजागर होती है, तो यह न केवल चुनाव परिणाम पर असर डाल सकती है, बल्कि भविष्य के चुनावों के लिए भी एक मिसाल बनेगी।
राजुरा विधानसभा क्षेत्र का यह चुनावी विवाद महाराष्ट्र की राजनीति में चर्चा का विषय बन गया है। फर्जी मतदाता पंजीकरण और मामूली वोटों के अंतर से हुए चुनाव परिणाम ने कई सवाल खड़े किए हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पुनर्गणना के बाद क्या नतीजे आते हैं
