Rajura Assembly क्षेत्र के पूर्व विधायक एड. वामनराव चटप ने अपने पराजय के बाद अब खुलकर सामने आ रहे हैं। उन्होंने मतदान के करीब 18 दिनों के बाद चुनाव में पैसे बांटने की भ्रष्ट नीति पर अपनी हार का ठीकरा फोड़ दिया है। साथ ही अब चुनाव नहीं लड़ने और जनता के मुद्दों के लिए संघर्ष जारी रखने की बात कही है। एक मराठी अखबार को दिये साक्षात्कार में उन्होंने दावा किया है कि चुनाव के दौरान बड़े पैमाने पर पैसे बांटे गये। परंतु वे और उनके संगठन के कार्यकर्ताओं ने पैसे बंटवारे के समय चुप्पी क्यों साध ली ? पैसों बांटने वालों को पुलिस के हवाले क्यों नहीं किया ? चुनाव आयोग से तत्काल शिकायत क्यों नहीं की ? पैसों का खेल चलते समय मीडिया के सामने आकर तत्काल इस बात का खुलासा क्यों नहीं किया ? अब 18 दिन बीत जाने के बाद अपनी हार को लेकर क्यों पैसों पर ठीकरा फोड़ रहे है ? ऐसे अनगिनत सवाल एड. वामनराव चटप के साक्षात्कार के बाद उठने लगे है।
Whatsapp Channel |
एड. चटप ने अपने साक्षात्कार में बताया कि यह चुनाव अलग था। मैदान में ‘पैसा’ नाम का एक और अदृश्य उम्मीदवार खड़ा था। हमारा मुकाबला उससे था, और हम उसमें हार गए। समाज हमेशा एक पार्टी, एक व्यक्ति, और एक विचारधारा के पीछे नहीं रहता। समाज बुराई से अच्छाई की ओर बढ़ता है। अब मैं चुनाव नहीं लड़ूंगा, लेकिन अगले पाँच साल तक जनता के मुद्दों को लेकर सड़क पर लड़ाई जारी रखूंगा। यह दृढ़ निश्चय करता हूं। एड. वामनराव चटप किसान संगठन के उम्मीदवार थे। वे तीसरे स्थान पर रहे। इस चुनाव में भाजपा के देवराव भोंगले विजयी हुए।
मजदूरों ने वोट बेचा !
वामनराव चटप ने कहा, “जो मजदूर 300 रुपये की दैनिक मजदूरी पर काम करता है, उसे अगर 1000 रुपये का नोट मिलता है, तो वह अपना वोट बेचेगा ही। गरीबी बहुत बुरी चीज है, और कुछ पार्टियों ने इस चुनाव में इसी गरीबी को खरीदने की कोशिश की और सफल भी हुए। इसके अलावा ‘लाडकी बहन योजना’ ने पाँच प्रतिशत वोट प्रभावित किए। यह योजना मतदाताओं को दी गई सरकारी रिश्वत थी।”
EVM को कोई दोष न दें
एड. चटप ने कहा, “लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी को 31 सांसद मिले। भाजपा के लिए लोकसभा चुनाव विधानसभा से ज्यादा महत्वपूर्ण था। उन्होंने ‘चार सौ पार’ का नारा दिया था। अगर ईवीएम में गड़बड़ी होती, तो लोकसभा चुनाव के परिणाम अलग होते। हार के बाद दोषारोपण के लिए ईवीएम सबसे आसान साधन बन गया है। लेकिन सच यह है कि खुद अपनी पार्टी के लोगों ने काम नहीं किया। गुटबाजी और राजनीति ने नुकसान पहुंचाया। पाँच महीने पहले लोकसभा चुनाव हुए थे, और इतने समय में बहुत कुछ बदल जाता है। इसलिए ईवीएम को दोष देने से कोई फायदा नहीं है।”
गौर करने वाली बात यह है कि जहां एक ओर राजुरा में दूसरे क्रमांक पर आये पूर्व विधायक एवं कांग्रेस नेता सुभाष धोटे ने हाल ही में पत्रकार परिषद लेकर ईवीएम मशीनों पर सवाल उठाया है, वहीं एड. चटप ईवीएम की कथित गड़बड़ी को खारिज कर रहे हैं। एड. चटप एवं सुभाष धोटे के पराजय के कारणों में समानता नजर नहीं आती। अपनी पराजय का ठीकरा जहां धोटे ईवीएम पर फोड़ रहे हैं, वहीं एड. चटप नोट बांटने की भ्रष्ट नीति पर हार का ठीकरा फोड़ रहे है।