संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष ने सरकार को घेरते हुए मणिपूर की स्थिति पर चर्चा की मांग की; जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन
संसद के शीतकालीन सत्र में, मणिपूर की घटनाओं पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्ष ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। सांसद प्रतिभा धानोरकर ने इस संदर्भ में कहा कि सरकार ने मणिपूर की स्थिति पर अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है, जबकि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों पर सरकार ने अपनी बात रखी है।
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दिल्ली के जंतर मंतर पर इंडिया गठबंधन ने इस मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें सांसद राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री से मुलाकात कर मणिपूर मामले पर संसद में चर्चा करने का समय मांगा। इस पर प्रतिभा धानोरकर ने कहा कि सरकार को विपक्ष के मुद्दे गंभीरता से नहीं लगते, जो कि लोकतंत्र के लिए चिंताजनक है।
उन्होंने कहा, “मणिपूर में महिलाओं की नग्न परेड की जाती है, लेकिन इस पर सरकार एक शब्द भी नहीं बोलती। यदि देश की सेवा करने वाले सैनिक की पत्नी का अपमान होता है और सरकार संसद में इस पर चर्चा नहीं करती, तो इस सरकार का जितना भी विरोध किया जाए, वह कम है।”
सांसद धानोरकर ने यह भी कहा कि सरकार को विपक्ष की आवाज को दबाने का प्रयास नहीं करना चाहिए, अन्यथा यह लोकतंत्र के अंत की ओर ले जाएगा और हुकूमत की ओर बढ़ने का संकेत देगा।
सांसद प्रतिभा धानोरकर का यह बयान मणिपूर की स्थिति पर सरकार की चुप्पी को उजागर करता है। मणिपूर में हो रही हिंसा और महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों पर सरकार की अनदेखी ने विपक्ष को एकजुट किया है।
इस प्रकार के मुद्दे न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक भी हैं, और इन पर चर्चा होना आवश्यक है। सरकार की चुप्पी से यह स्पष्ट होता है कि वह विपक्ष के मुद्दों को गंभीरता से नहीं ले रही है, जो लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा है।
जंतर मंतर पर हो रहे विरोध प्रदर्शन से यह भी संकेत मिलता है कि जनता और विपक्ष दोनों ही इस मुद्दे पर सरकार से जवाब मांग रहे हैं। यह स्थिति दर्शाती है कि लोकतंत्र में सभी आवाजों को सुना जाना चाहिए, और सरकार को अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करना चाहिए।