चंद्रपुर जिले की जनता ने भाजपा को दिये 5 विधायक, फिर भी नहीं मिला मंत्री पद
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के नतीजों के तीन हफ्ते बाद राज्य मंत्रिमंडल का बहुचर्चित विस्तार रविवार को हुआ। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में इस बार सामाजिक और जातीय समीकरण साधने की कोशिश की गई। हालांकि, इस प्रक्रिया में कई वरिष्ठ नेताओं को मंत्री पद से बाहर कर दिया गया, जिससे राजनीतिक गलियारों में चर्चा और कार्यकर्ताओं में नाराजगी देखी जा रही है।
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पूर्व वित्त और वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार, छगन भुजबळ, और दिलीप वळसे-पाटील जैसे अनुभवी नेताओं को नए मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। कुल 39 मंत्रियों में से 18 नए चेहरों को मौका दिया गया है, जबकि पुराने और अनुभवी नेताओं को हटाने का फैसला राजनीतिक रूप से चौंकाने वाला माना जा रहा है।
चंद्रपुर में भाजपा के लिए बड़ी निराशा
1990 के बाद पहली बार जिले को मंत्रिमंडल में कोई प्रतिनिधित्व नहीं
भाजपा के वरिष्ठ नेता और सात बार के विधायक सुधीर मुनगंटीवार को मंत्रिमंडल में शामिल न करने पर चंद्रपुर जिले में गहरा आक्रोश है। 1990 के बाद पहली बार चंद्रपुर जिले को राज्य मंत्रिमंडल में कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। मुनगंटीवार, जो राज्य में अपनी अद्वितीय कार्यशैली और पहलों के लिए प्रसिद्ध हैं, की अनदेखी ने भाजपा कार्यकर्ताओं को बेहद निराश किया है।
मुनगंटीवार की उपलब्धियां:
50 करोड़ वृक्षारोपण अभियान की पहल।
बाघों के पुनर्वास पर प्रभावी नीति।
राज्य में शिलकी (सरप्लस) बजट प्रस्तुत करने वाले पहले और एकमात्र वित्त मंत्री।
जिले में भाजपा के 5 विधायक होने के बावजूद किसी को मंत्री पद न मिलना पार्टी की रणनीति पर सवाल खड़े कर रहा है।
युवाओं को तवज्जो, अनुभवी नेता दरकिनार
भांगडिया और जोरगेवार को भी मंत्रिमंडल से बाहर रखा गया
मुनगंटीवार के अलावा, चिमूर के तीन बार के विधायक किर्तीकुमार भांगडिया और चंद्रपुर के दो बार के विधायक किशोर जोरगेवार को भी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया। कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि युवा नेताओं को कम से कम इस बार मंत्रिमंडल में स्थान मिलेगा, लेकिन उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया।
मुनगंटीवार की प्रतिक्रिया: “पार्टी जो भी जिम्मेदारी देगी, उसे निभाएंगे”
1995 में शिवसेना-भाजपा गठबंधन सरकार के दौरान सांस्कृतिक मंत्री के रूप में अपनी यात्रा शुरू करने वाले मुनगंटीवार ने इस बार मंत्री पद न मिलने पर निराशा छुपाते हुए कहा कि, “पार्टी जो भी जिम्मेदारी देगी, उसे पूरी निष्ठा से निभाऊंगा।”
उनके मंत्री बनने की उम्मीदें इसलिए भी ज्यादा थीं क्योंकि 2022 तक उन्होंने वन, सांस्कृतिक और मत्स्य पालन जैसे विभागों के साथ-साथ चंद्रपुर जिले के पालक मंत्री का कार्यभार संभाला था।
राजनीतिक संदेश: क्या युवा चेहरों पर है फोकस?
राज्य मंत्रिमंडल में इस बदलाव को भाजपा और फडणवीस की युवा नेतृत्व को प्राथमिकता देने की नीति के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि, वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को दरकिनार करने का यह फैसला आगामी चुनावों में पार्टी के लिए सकारात्मक साबित होगा या नकारात्मक, यह वक्त बताएगा।