तीन वर्षों से चुनाव का इंतजार कर रहे पूर्व जिला परिषद सदस्य और पूर्व नगरसेवक 2025 में संभावित जिला परिषद और महापालिका चुनाव के लिए सक्रिय हो गए हैं। लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बाद अब सभी का ध्यान स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के अंतर्गत आने वाले जिला परिषद, महापालिका और नगर परिषद चुनावों पर केंद्रित हो गया है।
Whatsapp Channel |
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने संकेत दिए हैं कि आने वाले महीनों में स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव हो सकते हैं। हालांकि, चुनाव की सटीक तारीख को लेकर सभी दलों के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के बीच उत्सुकता बनी हुई है।
चुनावी तैयारी में जुटे भाजपा और कांग्रेस
भाजपा ने बूथ स्तर पर प्रबंधन मजबूत करने की जिम्मेदारी प्रभाग प्रमुखों को सौंप दी है। वहीं, कांग्रेस ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जिला परिषद, महापालिका और नगर परिषद चुनावों को लेकर अपनी रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने भरोसा जताया है कि पार्टी जिले की सभी नगरपालिकाओं पर जीत दर्ज करेगी। दूसरी ओर, कांग्रेस जिला अध्यक्ष और पूर्व विधायक सुभाष धोटे ने भी पार्टी की तैयारियों का खुलासा किया है।
कुछ पूर्व नगरसेवक और पूर्व जिला परिषद सदस्य पिछले तीन वर्षों से लगातार चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि, चुनाव न होने के कारण उन्हें आर्थिक बोझ भी सहना पड़ा है।
स्वतंत्र चुनाव लड़ने की मांग
भाजपा और कांग्रेस के कई पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की इच्छा है कि पार्टियां गठबंधन (महायुति या महाविकास आघाड़ी) के बजाय स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ें। इस मांग को दोनों दलों के भीतर महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
प्रशासक के रहते पूर्व नगरसेवकों का जोर
स्थानीय महापालिका में पहले भाजपा का शासन था। वर्तमान में प्रशासन का जिम्मा प्रशासकों के पास है। भूमिपूजन और उद्घाटन जैसे कार्यक्रम प्रशासकों द्वारा किए जा रहे हैं। लेकिन, भाजपा के कुछ पूर्व नगरसेवक और नगरसेविकाएं प्रशासकों को भरोसे में लिए बिना अपने स्तर पर सीमेंट रोड, नाली निर्माण और भूमिगत जल निकासी परियोजनाओं का भूमिपूजन और लोकार्पण कर रहे हैं। यह कदम स्थानीय राजनीति में चर्चा का विषय बना हुआ है।
आर्थिक दबाव के बावजूद सक्रियता जारी
लंबे समय से चुनाव न होने के कारण कई नेताओं और कार्यकर्ताओं को वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ा है। लेकिन इसके बावजूद, सभी दलों ने आगामी चुनावों को लेकर अपनी रणनीति और तैयारियों में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
आगामी महीनों में होने वाले जिला परिषद और महापालिका चुनाव महाराष्ट्र की राजनीति का प्रमुख केंद्र बन सकते हैं। इस पर सभी दलों के प्रदर्शन और नीतियां तय करेंगी कि राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में सत्ता का संतुलन कैसे स्थापित होता है।