Tadoba-Andhari Tiger Reserve बाघों की संख्या में वृद्धि पर्यावरण संरक्षण की एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन जंगल का सीमित क्षेत्र उनके लिए समस्याएं खड़ी कर रहा है। इससे बाघों में अधिवास (जीवस्थान) और अस्तित्व को लेकर संघर्ष बढ़ रहा है। ताडोबा-अंधारी व्याघ्र प्रकल्प पहले ही कई ऐसे झगड़ों का गवाह बन चुका है। अब नागभीड वनक्षेत्र के कक्ष 756 में भी दो बाघों की जबरदस्त लड़ाई से लोग सशंकित हो उठे हैं।
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नागभिड क्षेत्र में दिखा बाघों का जबरदस्त संघर्ष
नागभिड वन क्षेत्र के वासाडा मक्ता इलाके में स्थानीय निवासियों ने दो बाघों के बीच खतरनाक लड़ाई का दृश्य देखा। ग्रामीणों के अनुसार, यह लड़ाई इतनी तीव्र थी कि एक बाघ बुरी तरह घायल हो गया। घटनास्थल पर खून बिखरा हुआ था। स्थानीय निवासियों ने तुरंत इस घटना की जानकारी वन विभाग को दी। लेकिन जब तक विभाग की टीम मौके पर पहुंची, तब तक दोनों बाघ वहां से गायब हो चुके थे।
वन विभाग ने शुरू की खोज अभियान
घटनास्थल पर वन विभाग को खून के निशान मिले, जो संघर्ष की गंभीरता को दर्शा रहे थे। अब वन विभाग ने घायल बाघ की खोज के लिए व्यापक अभियान शुरू किया है। जख्मी बाघ होने से स्थानीय निवासियों को भी खतरा हो सकता है, क्योंकि घायल अवस्था में बाघ के आक्रामक होने की संभावना अधिक होती है। इस वजह से विभाग ने नागरिकों को जंगल में प्रवेश न करने और सतर्क रहने की सलाह दी है।
बाघों के बढ़ते झगड़े: चिंता का विषय
वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जंगलों में बाघों के झगड़े के पीछे मुख्य कारण अधिवास की कमी है। बढ़ती बाघों की संख्या के चलते युवा बाघों और पुराने, प्रस्थापित बाघों के बीच जंगल के अधिकार को लेकर संघर्ष हो रहा है। इससे पहले भी ताडोबा-अंधारी और पेंच व्याघ्र प्रकल्प में इस तरह की घटनाएं देखी जा चुकी हैं।
खतरे से बचाव और समाधान
वन विभाग ने नागरिकों की सुरक्षा के लिए कदम उठाए हैं और घायल बाघ को जल्द से जल्द पकड़कर उसका उपचार करने की योजना बनाई है। अधिकारियों का कहना है कि जंगलों का विस्तार और मानव हस्तक्षेप को रोकना ही बाघों के ऐसे संघर्षों को कम करने का समाधान है।