Major Tiger Poaching Racket Exposed अजित राजगोंड उर्फ अजित पारधी और उनके परिवार को पिछले साप्ताह शनिवार 25 दिसंबर को राजूरा से गिरफ्तार किया गया। इस गिरफ्तारी के साथ ही बाघों के शिकार से जुड़े एक बड़े रैकेट का खुलासा होने की संभावना थी। शुरुआती जांच में ही 20 लाख रुपये और बाद में 70 लाख रुपये के लेन-देन का खुलासा हुआ, जो इन शिकारियों के मोबाइल फोन से सामने आया। इसके बाद, 2015 में असम रेजिमेंट से सेवानिवृत्त हुए एक सैनिक को शुक्रवार को शिलांग से गिरफ्तार किया गया। इस गिरफ्तारी के बाद यह सामने आया कि बहेलियों के माध्यम से बाघों के शिकार से जुड़े मामलों में 2 करोड़ रुपये से अधिक का लेन-देन हुआ था।
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बताया जा रहा है कि बाघों की खाल और हड्डियों के लिए करीब 22 से 25 करोड़ रुपये तक की कीमत लगाई जाती है। इस आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है कि इस मामले में 10 से अधिक वाघों का शिकार किया गया होगा। वहीं, जब इस मामले में अधिक जानकारी के लिए वन विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया गया, तो किसी ने भी इस पर बयान देने से इनकार कर दिया।
असम राइफल्स से सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी की गिरफ्तारी से बाघ शिकार रैकेट का बड़ा खुलासा
राजूरा वन विभाग द्वारा बाघों के शिकार से जुड़े एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश हुआ है। इस मामले में शिकारी गिरोह के सरगना अजित राजगोंड उर्फ अजित पारधी को 25 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था। पूछताछ के दौरान उसके मोबाइल से मिले सबूतों के आधार पर जांच आगे बढ़ाई गई, जिससे एक सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी की संलिप्तता उजागर हुई।
इस अधिकारी को मेघालय की राजधानी शिलांग से हिरासत में लिया गया है। जानकारी के अनुसार, यह अधिकारी 2015 में असम राइफल्स से सेवानिवृत्त हुआ था और बाघों के अवयवों की तस्करी में गहराई से शामिल था।
शिकारी सरगना की गिरफ्तारी और जांच का विस्तार
25 जनवरी को गिरफ्तार किए गए शिकारी अजित राजगोंड को अगले दिन 26 जनवरी को राजूरा वन विभाग द्वारा हिरासत में लिया गया। उसके परिवार के सदस्यों को भी गिरफ्तार कर छह दिनों की वन कोठड़ी दी गई थी। हालांकि, वन अधिकारियों को उससे महत्वपूर्ण जानकारी हासिल करने में ज्यादा सफलता नहीं मिली।
जब उसके मोबाइल की जांच की गई, तो बाघों के शिकार और उनके अंगों की तस्करी के तार गुवाहाटी तक जुड़े पाए गए। इस खुलासे के बाद वन विभाग की एक विशेष टीम गुवाहाटी भेजी गई, जहां जांच के दौरान एक सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी का नाम सामने आया। इसके बाद टीम शिलांग पहुंची और उसे हिरासत में ले लिया।
इससे पहले, 2023 में भी असम से बाघों के अंग जब्त किए गए थे। जांच में यह सामने आया था कि गडचिरोली जिले में मारे गए एक बाघ की खाल असम भेजी गई थी। ऐसे में इस नए मामले का संबंध पुराने तस्करी नेटवर्क से होने की संभावना जताई जा रही है।
फॉरेंसिक जांच से पुष्टि – जब्त अवयव बाघ के ही थे
इस पूरे मामले की जांच के दौरान अरेस्ट किए गए स्थानों से बरामद बाल, हड्डियों के टुकड़े और एक बड़ा दांत गोरवाडा स्थित वन्यजीव अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र भेजे गए। लैब जांच से पुष्टि हुई कि ये अवशेष वास्तव में वाघ के थे।
इस आधार पर सभी गिरफ्तार आरोपियों की वन कोठड़ी को 4 फरवरी तक बढ़ा दिया गया है, जबकि महिला आरोपी राजकुमारी को पुलिस हिरासत में भेज दिया गया।
विशेष जांच समिति का गठन
इस मामले की गहराई से जांच करने के लिए ताडोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व (TATR) के कोर क्षेत्र के उपसंचालक आनंद रेड्डी येल्लू की अगुवाई में तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया।
इस समिति ने शिलांग में वन्यजीव अपराध नियंत्रण शाखा के सहयोग से एक और संदिग्ध लाललीसंग को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया। आखिरकार, 31 जनवरी को उसे गिरफ्तार कर लिया गया और उसे 4 फरवरी तक की वन कोठड़ी दी गई।
इस मामले से यह साफ होता जा रहा है कि बाघों के शिकार और उनके अवयवों की तस्करी के पीछे एक बड़ा संगठित नेटवर्क सक्रिय है, जिसमें पेशेवर शिकारी, बिचौलिये और यहां तक कि पूर्व सैन्य अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं।
इस तरह के अपराधों को रोकने के लिए कड़े कानूनों के साथ-साथ वन्यजीव संरक्षण एजेंसियों और सुरक्षा बलों के बीच बेहतर समन्वय की जरूरत है। अब देखना होगा कि वन विभाग और जांच एजेंसियां इस नेटवर्क के बाकी सदस्यों तक कैसे पहुंचती हैं और क्या कोई और बड़े नाम इसमें सामने आते हैं।