चंद्रपुर जिला बाघों का गढ़ बन चुका है। जिले में चिमूर से लेकर राजुरा तक और भद्रावती से सावली तालुका तक बाघों का मुक्त विचरण देखा जा सकता है। वन विभाग के सतत प्रयासों से बाघों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, लेकिन इसके साथ ही मानव-वन्यजीव संघर्ष भी चरम पर पहुंच गया है। कभी बाघों की मौत होती है तो कभी इंसानों की जान जाती है।
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बहेलिया शिकारी गिरोह की चंद्रपुर में घुसपैठ
अब इस समस्या के बीच मध्य प्रदेश से आने वाले कुख्यात बहेलिया शिकारी गिरोह ने भी चंद्रपुर के जंगलों में अपने पांव पसार लिए हैं। इस गिरोह ने विभिन्न राज्यों में कई बाघों का शिकार किया है और वे कई मामलों में “मोस्ट वांटेड” घोषित किए गए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह गिरोह जंगलों में महीनों तक रहकर शिकार को अंजाम देता है, लेकिन वन विभाग को इसकी भनक तक नहीं लगती। यह वन विभाग की लचर व्यवस्था को उजागर करता है।
शिकार के मास्टरमाइंड: अजित, केरू और कुट्टू पारधी
मध्य प्रदेश के अजित पारधी, केरू पारधी और कुट्टू पारधी तीनों भाई बाघों के शिकार में माहिर हैं। अजित के साथ उसकी पत्नी रीमाबाई, मां “इंजेक्शन बाई”, दो बहुएं रबिना और सेवा, नातिन राजकुमारी, भाई केरू और साथी शेरू भी इस गोरखधंधे में शामिल हैं।
यह गिरोह महाराष्ट्र-तेलंगाना सीमा के पास राजुरा वन परिक्षेत्र के चुनाळा-बामनवाड़ा इलाके में अपना ठिकाना बना चुका था। यह इलाका “मध्यचांदा वनविभाग” के अंतर्गत आता है। स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, गिरोह मई महीने से ही इस क्षेत्र में सक्रिय था, जबकि अजित सितंबर में जमानत पर रिहा होने के बाद यहां पहुंचा। इस क्षेत्र में बाघों की संख्या अधिक है और यह उनका प्रमुख भ्रमण मार्ग है, लेकिन वन विभाग की सुस्त निगरानी के कारण शिकारी गिरोह को खुला मैदान मिल गया।
गिरोह के शिकार का खुलासा
जानकारी के अनुसार, इस गिरोह ने कई बाघों को अपना शिकार बनाया है। अनुमान है कि अब तक 4 से 5 बाघों को मारा जा चुका है। वन विभाग की छानबीन में अजित के पास से बाघ की खाल, बाल और दांत बरामद किए गए हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक, वन अधिकारियों और कर्मचारियों को अपने क्षेत्र में नियमित गश्त करनी चाहिए, ट्रैप कैमरों की जांच करनी चाहिए और जंगल में मौजूद बाघों की निगरानी करनी चाहिए। लेकिन चंद्रपुर में वन विभाग का पूरा तंत्र एक-दूसरे पर निर्भर होकर काम कर रहा था। जब तक यह घटना उजागर नहीं हुई, तब तक कागजों में सब कुछ “सही” चल रहा था।
पहले भी चंद्रपुर में हो चुके हैं बाघों के शिकार
यह पहला मामला नहीं है जब चंद्रपुर में बाघों का अवैध शिकार हुआ हो। 2021 में नागपुर के बुट्टीबोरी वन विभाग ने कार्रवाई कर बाघ के अंगों की तस्करी कर रहे आरोपियों को पकड़ा था, जो चंद्रपुर जिले के थे। जांच में यह सामने आया कि पोंभुर्णा तालुका के भटाळी और सिंदेवाही तालुका में भी बाघों की हत्या की गई थी। इसके अलावा, गढ़चिरोली और असम में पकड़े गए आरोपियों ने भी चंद्रपुर में बाघों के शिकार की बात कबूली थी।