Baheliya poaching syndicate: भारत में बाघों के अवैध शिकार का एक खतरनाक गिरोह महाराष्ट्र वन विभाग और वाइल्डलाइफ कंट्रोल ब्यूरो (WCCB) की संयुक्त कार्रवाई में बेनकाब हुआ है। 25 जनवरी को महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के राजुरा में गिरफ्तार किए गए इस गिरोह के तार न केवल देशभर में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर तक जुड़े पाए गए हैं।
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बहेलिया शिकारी गिरोह के मुख्य सरगना अजित सियालाल राजगोंड उर्फ पारधी और उसके परिवार सहित पंजाब व शिलांग से जुड़े अन्य तस्करों को शुक्रवार को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 20 फरवरी तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। इस मामले की जाँच के लिए दो विशेष जांच दल (SIT) गठित किए गए हैं।
बाघ के शिकार का पूरा तंत्र: कैसे चलता है यह खूनी खेल?
1. जंगल की रेकी और गुप्त ठिकाने
गिरोह के सदस्य सबसे पहले उस जंगल को चिह्नित करते हैं, जहाँ बाघ का शिकार किया जाना है। फिर आसपास के गाँवों में बसने का नाटक करते हैं और खुद को वैद्य बताकर ग्रामीणों का भरोसा जीतते हैं। वे कभी भी हथियार या शिकार के उपकरण अपने घर में नहीं रखते, बल्कि उन्हें जंगल के पास किसी पेड़ पर छिपाते हैं। खबरों के मुताबिक बहेलिया गिरोह द्वारा बीते डेढ़ से दो साल के दौरान 25 से अधिक बाघों का शिकार करने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है।
2. बाघ के मूवमेंट पर नज़र
बाघ के पानी पीने के स्रोत और उसके चलने के रास्तों का महीनों अध्ययन किया जाता है। फिर शिकार के दिन बाघ के सभी रास्तों को काँटों और झाड़ियों से घेरकर केवल एक ही रास्ता खुला छोड़ा जाता है।
3. शिकारी जाल और निर्मम हत्या
बाघ को फँसाने के लिए पानी के पास ज़मीन में फंदा लगाया जाता है। जैसे ही बाघ उसमें फँसता है, शिकारी उसके जबड़े में लकड़ी का टुकड़ा डाल देते हैं ताकि वह शोर न मचा सके। कुछ ही पलों में दम घुटने से बाघ की मौत हो जाती है। अंत में उसके सिर पर भाले से वार कर उसे पूरी तरह मार दिया जाता है।
महिलाओं की खतरनाक भूमिका: तस्करी और पैसे का लेन-देन
इस गिरोह में पुरुषों के साथ महिलाएँ भी अहम भूमिका निभाती हैं। भले ही शिकार पुरुष करते हैं, लेकिन बाघ के अंगों की तस्करी का पूरा जिम्मा महिलाओं पर होता है। यही महिलाएँ आर्थिक लेन-देन संभालती हैं और बाघ की खाल व अंगों को अपने कपड़ों में छिपाकर ट्रेनों के जरिए दूसरे शहरों और देशों तक पहुँचाती हैं।
शिलांग से महिला तस्कर गिरफ्तार, विदेशी कनेक्शन की जाँच जारी
शिकारी गिरोह के नेटवर्क को तोड़ने के लिए जाँच एजेंसियाँ लगातार कार्रवाई कर रही हैं। हाल ही में शिलांग निवासी सुश्री निंग सॅन लुन को गिरफ्तार किया गया, जिसके तार अंतरराष्ट्रीय तस्करी से जुड़े होने की संभावना है। इसके अलावा पंजाब से गिरफ्तार सोनू सिंह और अन्य आरोपियों से भी पूछताछ की जा रही है।
इस गिरोह का खुलासा बाघों की सुरक्षा के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है। वन विभाग और वाइल्डलाइफ कंट्रोल ब्यूरो अब यह जाँच कर रहे हैं कि इनके संपर्क विदेशों तक कहाँ-कहाँ फैले हुए हैं और इस नेटवर्क में कौन-कौन शामिल है।
शिकारियों का गुप्त ठिकाना
सूत्रों के अनुसार, चंद्रपुर जिले के राजुरा तहसील मे इस गिरोह ने चुनाला -बामनवाड़ा गांव के बीच स्थित एक बंद पड़े पॉवर प्लांट को अपना ठिकाना बना लिया था। बताया जा रहा है कि पिछले एक साल से यह गिरोह यहां डेरा जमाए हुए था। स्थानीय निवासियों के अनुसार, इस क्षेत्र में 4-5 परिवारों के लोग छोटे-छोटे टेंट बनाकर रह रहे थे। महिलाओं और बच्चों की अक्सर मौजूदगी दिखती थी, लेकिन पुरुष सप्ताह में सिर्फ एक-दो बार ही नजर आते थे, जिससे उनके गतिविधियों पर संदेह गहराने लगा था।
यह इलाका “मध्यचांदा वन विभाग” के अंतर्गत आता है, जहां बाघों की संख्या अधिक है और यह उनका प्रमुख भ्रमण मार्ग भी है।