भंडारा, चंद्रपुर, गड़चिरौली में हजारों किसानों की ज़मीन अधिग्रहण की कगार पर, किसान बोले – जबरन ज़मीन नहीं देंगे
Samruddhi Expressway: महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रस्तावित नागपुर-गड़चिरौली समृद्धि महामार्ग के लिए भंडारा, गोंदिया, चंद्रपुर और गड़चिरौली जिलों में हजारों किसानों की उपजाऊ ज़मीन अधिग्रहण की जा रही है। सरकार के इस कदम के खिलाफ प्रभावित किसानों ने “शेती आणि शेतकरी बचाव परिषद” आयोजित कर सरकार के इस निर्णय का कड़ा विरोध किया। किसानों ने साफ कहा कि वे अपनी मेहनत की ज़मीन किसी भी कीमत पर नहीं देंगे और यदि सरकार ने जबरन अधिग्रहण किया, तो भविष्य की पीढ़ी इसे माफ नहीं करेगी।
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परिषद में किसानों ने एकजुट होकर सरकार के खिलाफ लड़ाई का संकल्प लिया
इस सम्मेलन का आयोजन ब्रम्हपुरी के स्वागत मंगल कार्यालय में किया गया, जिसमें किसानों के हितों की रक्षा के लिए बड़े आंदोलन की रणनीति बनाई गई। अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजन श्रीसागर ने मुख्य मार्गदर्शक के रूप में किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार जबरन किसानों की ज़मीनें छीनकर उन्हें दरिद्रता की खाई में धकेल रही है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने नागपुर से गड़चिरौली तक समृद्धि महामार्ग बनाने की घोषणा की थी, लेकिन अब यह रास्ता गराडा बुद्रुक (भंडारा जिला) से गुजारा जा रहा है। सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा प्रकाशित योजना के अनुसार, यह महामार्ग महाराष्ट्र महामार्ग अधिनियम 1955 के तहत तैयार किया जा रहा है, जिससे किसानों को बाज़ार मूल्य का केवल दो गुना मुआवजा मिलेगा, जो बहुत कम है।
महामार्ग का मुख्य उद्देश्य कॉर्पोरेट कंपनियों को लाभ पहुंचाना?
परिषद में मौजूद डॉ. महेश कोपुलवार (राज्य कार्याध्यक्ष), देवराव चवळे (किसान सभा, गड़चिरौली), शिवकुमार गणवीर (राज्य सचिव, अखिल भारतीय खेत मज़दूर यूनियन, भंडारा) समेत अन्य वक्ताओं ने आरोप लगाया कि यह महामार्ग आम जनता के लिए नहीं, बल्कि सिर्फ कॉर्पोरेट कंपनियों के लिए बनाया जा रहा है।
गड़चिरौली जिले में प्रस्तावित 25 खदानों से निकलने वाले कच्चे माल को अन्य राज्यों में भेजने के लिए इस महामार्ग का उपयोग किया जाएगा, जिससे किसानों को कोई फायदा नहीं होगा। इस परियोजना से भंडारा, चंद्रपुर और गड़चिरौली के किसानों की कृषि भूमि नष्ट हो जाएगी, लेकिन स्थानीय जनता को कोई लाभ नहीं मिलेगा।
भूमि अधिग्रहण कानून 2013 का उल्लंघन
परिषद में माधव बांते (संघर्ष समिति निमंत्रक, भंडारा), अड. नेहाल सिंह राठौड़ (हाईकोर्ट, नागपुर), अड. जगदीश मेश्राम (गड़चिरौली), विनोद झोडगे (मुख्य निमंत्रक, समृद्धि महामार्ग बाधित शेतकरी संघर्ष समिति, ब्रम्हपुरी) ने सरकार पर भूसंपादन कानून 2013 के उल्लंघन का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि इस कानून के अनुसार किसी भी परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण करने से पहले 70% प्रभावित किसानों की सहमति ज़रूरी होती है और बाज़ार भाव से चार गुना अधिक मुआवजा देना अनिवार्य है। लेकिन महाराष्ट्र सरकार इस नियम को दरकिनार कर किसानों की ज़मीन को सिर्फ रेडीरेकनर दर से दो गुना मूल्य देकर हड़पना चाहती है, जो पूरी तरह अन्यायपूर्ण है।
आंदोलन को और तेज़ करने की चेतावनी
इस सम्मेलन में निर्णय लिया गया कि अगर सरकार ने जबरन भूमि अधिग्रहण किया, तो किसान बड़े पैमाने पर आंदोलन छेड़ेंगे।
कार्यक्रम का संचालन विनोद झोडगे (मुख्य निमंत्रक, समृद्धि महामार्ग बाधित शेतकरी संघर्ष समिति) ने किया। परिषद में भंडारा, गड़चिरौली और ब्रम्हपुरी के हजारों प्रभावित किसान उपस्थित थे।
किसानों का साफ संदेश:
“हम अपनी जमीन किसी भी कीमत पर नहीं देंगे। सरकार हमें उजाड़कर कॉर्पोरेट्स को फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रही है, जिसे हम कभी स्वीकार नहीं करेंगे। अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं, तो हम संघर्ष को और तेज़ करेंगे।”