Ajit Rajgond Baheliya poaching gang: राज्य में बाघों की संख्या बढ़ने की खबर से वन्यजीव प्रेमियों और पर्यावरणविदों में खुशी की लहर दौड़ गई थी, लेकिन यह खुशी ज्यादा समय तक नहीं टिक सकी। खबरों के मुताबिक बहेलिया शिकारियों ने विगत दो वर्षों मे 25 से अधिक बाघों का शिकार की, यह खुलासा अजित राजगोंडा नामक आरोपी ने किया है। इस चौंकाने वाली जानकारी से पता चलता है कि भले ही बाघों की संख्या बढ़ी हो, लेकिन शिकारी खुलेआम वन विभाग को चुनौती दे रहे हैं।
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राष्ट्रीय बाघ गणना में वृद्धि, लेकिन खतरे भी बढ़े
राष्ट्रीय बाघ गणना 2022 के अनुसार, राज्य में कुल 444 बाघ दर्ज किए गए थे, जिनमें से 97% बाघ विदर्भ के ताडोबा-अंधेरी, पेंच, नवेगांव-नागझिरा, मेलघाट और बोर बाघ परियोजनाओं में पाए जाते हैं। चंद्रपुर जिले में सबसे अधिक बाघ होने के कारण वहां मानव-वन्यजीव संघर्ष भी बढ़ रहा है।
इस संघर्ष के कारण कई बाघों की मौत ज़हर देने, करंट लगने और अन्य अवैध तरीकों से हो रही है। वन विभाग पहले से ही इन चुनौतियों का सामना करने में संघर्ष कर रहा था, अब बहेलिया शिकारी एक नई चुनौती बनकर सामने आए हैं। सबसे बड़ी समस्या यह है कि विभाग में पर्याप्त जनशक्ति नहीं है, जिससे शिकारियों को पकड़ना और बाघों की सुरक्षा करना मुश्किल हो रहा है।
गढ़चिरौली और चंद्रपुर में शिकारी सक्रिय, गिरफ्तारियां नाकाफी
2023 में पता चला कि बहेलिया शिकारियों ने गढ़चिरौली और चंद्रपुर जिलों में बाघों का शिकार किया था। वन विभाग ने सोनू नामक शिकारी समेत 11-12 आरोपियों को गिरफ्तार किया था, लेकिन अदालत में ठोस सबूत न होने के कारण उन्हें जमानत मिल गई।
यह समस्या नई नहीं है। 2012 से 2015 के बीच भी वन विभाग ने 150 आरोपियों को गिरफ्तार किया था, लेकिन उनके खिलाफ दस्तावेजी जानकारी अपडेट न होने के कारण शिकारी कानून से बचते रहे। इसी वजह से बाघों का शिकार करने वाले अपराधी बार-बार गिरफ्तारी के बावजूद बच निकलते हैं।
तकनीक के बिना मुश्किल होगी शिकार रोकना
अगर इस खतरे को रोकना है, तो वन विभाग को नई तकनीक का उपयोग करना होगा। शिकारियों की पूरी जानकारी डिजिटल तरीके से संग्रहित कर सभी वन परिक्षेत्र और वन्यजीव विभाग से साझा करनी चाहिए। इससे पता चल सकेगा कि कौन-से अपराधी पहले भी शिकार में लिप्त रहे हैं और कौन से नए हैं।
इसके लिए सरकार को तुरंत फंड जारी करना होगा और डेटा संग्रहण के लिए किसी निजी कंपनी की मदद लेनी होगी। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो बाघों का अवैध शिकार जारी रहेगा और वन विभाग को हमेशा जनता और मीडिया की आलोचना झेलनी पड़ेगी।
राज्य में बाघों की संख्या बढ़ना एक अच्छी खबर थी, लेकिन शिकारियों के बढ़ते हमलों ने वन विभाग के सामने नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। यदि प्रशासन और सरकार ने समय रहते कठोर कदम नहीं उठाए, तो यह समस्या और विकराल हो सकती है। बाघ संरक्षण के लिए आधुनिक तकनीक, कड़े कानून और मजबूत निगरानी की सख्त जरूरत है।