Waiting for Compensation for 25 Years! Angry Residents Halt Greta Energy’s Operations: भद्रावती तालुका में स्थित विजासन, रुयाड (रिठ), पिपरी (देश.), टोला, चारगांव, लोणार (रिठ), तेलवासा, कुनाडा, चिरादेवी और ढोरवासा गांवों के किसानों की ज़मीन 25 साल पहले निप्पॉन डेंड्रो प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहित की गई थी। लेकिन इन वर्षों में उन्हें अब तक कोई मुआवजा नहीं मिला है। इसी बीच, प्रशासन ने बिना उनकी सहमति लिए ग्रेटा एनर्जी कंपनी को वहां कार्य शुरू करने की अनुमति दे दी, जिससे परियोजना प्रभावितों में आक्रोश फैल गया।
Whatsapp Channel |
सोमवार को पुलिस बंदोबस्त के बीच ग्रेटा एनर्जी कंपनी ने वहां कार्य शुरू किया। इस दौरान पुलिसकर्मी हेलमेट और लाठी के साथ तैनात थे, जिससे स्थानीय किसानों के विरोध को दबाया जा सके। स्थिति बिगड़ने से पहले ही प्रशासन ने चार प्रमुख परियोजना प्रभावितों – वासुदेव ठाकरे, प्रवीण सातपुते, संदीप खुटेमाटे और आकाश जुनघरे – को स्थानीय पुलिस थाने में हिरासत में ले लिया।
जैसे ही इस घटना की जानकारी शिक्षक विधायक सुधाकर अडबाले को मिली, वे तुरंत पुलिस थाने पहुंचे और हिरासत में लिए गए प्रभावितों की रिहाई कराई। इसके बाद उन्होंने परियोजना प्रभावितों के साथ मिलकर ग्रेटा एनर्जी का काम रुकवा दिया।
प्रभावितों की मांगें:
परियोजना प्रभावित किसानों ने प्रशासन और कंपनी से निम्नलिखित मांगें रखीं:
1. मुआवजा: प्रत्येक प्रभावित किसान को प्रति एकड़ 10 लाख रुपये का अनुदान दिया जाए।
2. रोजगार: परियोजना प्रभावित और उनके परिवार के बेरोजगार युवाओं को उनकी योग्यता के अनुसार नौकरी दी जाए।
परियोजना प्रभावितों का कहना है कि प्रशासन ने उन्हें विश्वास में लिए बिना और उनकी मांगों को पूरा किए बिना दूसरी कंपनी को काम शुरू करने की अनुमति दी। यह जिला और तालुका प्रशासन की दोहरी नीति को दर्शाता है। यदि उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं की गईं, तो वे सामूहिक आत्मदहन करने के लिए मजबूर होंगे।
विधायक की भूमिका और वार्ता:
विधायक सुधाकर अडबाले ने ग्रेटा एनर्जी के प्रबंधन और उपविभागीय अधिकारी से चर्चा की। बैठक के दौरान यह सहमति बनी कि जब तक परियोजना प्रभावितों की मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक कंपनी वहां कोई कार्य शुरू नहीं करेगी।
अब सभी की नजरें प्रशासन पर टिकी हैं कि वह परियोजना प्रभावितों को उनका हक दिलाने के लिए क्या कदम उठाएगा।