Chandrapur’s Ancient Shiva Temples to Echo with ‘Har Har Mahadev’; Grand Fair of Devotees to be Held: महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर चंद्रपुर जिले के प्राचीन शिव मंदिरों में भक्तों का तांता लगने वाला है। धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इन मंदिरों में श्रद्धालु हर-हर महादेव के जयघोष के साथ भगवान शिव की आराधना करेंगे।
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अंचलेश्वर मंदिर, चंद्रपुर
चंद्रपुर शहर में स्थित अंचलेश्वर मंदिर ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व रखता है। यह मंदिर झरपट नदी के तट पर स्थित है और इसका पुनर्निर्माण 15वीं शताब्दी में रानी हिराई द्वारा किया गया था। मंदिर के गर्भगृह में स्थित नैसर्गिक जलकुंड को पवित्र माना जाता है और मान्यता है कि इसके जल से एक राजा का कुष्ठ रोग ठीक हुआ था। मंदिर की दीवारों पर की गई नक्काशी विशेष रूप से 180 कीर्तिमुख राक्षसों की विभिन्न मुद्राएँ आकर्षण का केंद्र हैं। महाशिवरात्रि पर यहां हजारों भक्त जलाभिषेक और पूजा-अर्चना करने पहुंचते हैं।
सात बहिनियों का डोंगर (पेरजागढ़), नागभीड़
नागभीड़ तालुका स्थित सात बहिनियों का डोंगर, जिसे पेरजागढ़ भी कहा जाता है, प्रकृति प्रेमियों और ट्रेकिंग करने वालों के लिए प्रसिद्ध स्थल है। पहाड़ी के शिखर पर अंबाई, निंबाई, उमाई, गौराई, मुक्ताई, पवराई और भिवराई नामक सात बहिनियों के मंदिर हैं। महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां विदर्भभर के भक्त भगवान शिव के जयघोष के साथ इस पर्वत की चढ़ाई करते हैं और मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं।
शिवटेकड़ी, नागभीड़
नागभीड़ तालुका का शिवटेकड़ी मंदिर भी महाशिवरात्रि के भव्य आयोजन के लिए प्रसिद्ध है। पहाड़ी के आधार पर भगवान शिव की मूर्ति स्थापित है, और यहां का प्राकृतिक सौंदर्य व जैव विविधता इसे विशेष बनाती है। यहां उत्तर भारत में मिलने वाला ‘नवरंग’ पक्षी भी देखा गया है। महाशिवरात्रि के अवसर पर भक्त यहां बड़ी संख्या में एकत्र होकर पूजा करते हैं।
जुगाद शिव मंदिर, घुग्घुस
घुग्घुस से 12 किमी दूर वैनगंगा-वर्धा संगम पर स्थित जुगाद शिव मंदिर 1500 वर्षों की ऐतिहासिक धरोहर समेटे हुए है। हेमाडपंथी शैली में निर्मित यह मंदिर अपनी अद्वितीय शिल्पकला के लिए प्रसिद्ध है। यहां भगवान शिव, पार्वती, राधा-कृष्ण और नवग्रहों की खूबसूरत मूर्तियां हैं। खास बात यह है कि यहां राधा को बांसुरी बजाते हुए दर्शाया गया है। महाशिवरात्रि पर इस मंदिर में विशाल यात्रा और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है।
शिवटेकड़ी, सिंदेवाही (नवरगांव)
सिंदेवाही तालुका के नवरगांव स्थित शिवटेकड़ी मंदिर भक्तों के लिए श्रद्धा का प्रमुख केंद्र है। महाशिवरात्रि और श्रावण मास में यहां विशेष धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। इस अवसर पर मंदिर परिसर में सांस्कृतिक और आध्यात्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
भटाळा शिव मंदिर, वरोरा
वरोरा तालुका के भटाळा गांव में स्थित प्राचीन शिव मंदिर अपनी स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर की दीवारों पर सुंदर पत्थर की नक्काशी देखने को मिलती है। महाशिवरात्रि के दिन यह मंदिर शिवभक्तों से गुलजार रहेगा।
राजूरा शिव मंदिर
500 वर्ष पुराना यह मंदिर यादव राजाओं के शासनकाल में निर्मित हुआ था। मंदिर परिसर में इसके इतिहास को दर्शाने वाली प्रदर्शनी लगाई जानी चाहिए ताकि भक्तों को इस प्राचीन धरोहर का महत्व समझ में आए।
माणिकगड पहाड़ी का शिव मंदिर, राजूरा
राजूरा तालुका के गडचांदूर में माणिकगड पहाड़ी पर स्थित शिव मंदिर महाशिवरात्रि पर तीन दिवसीय मेले के लिए प्रसिद्ध है। चंद्रपुर और तेलंगाना से हजारों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। इस दौरान भक्त भजन-कीर्तन करते हैं और शिव के नाम का जयघोष करते हैं।
रामदेगी शिव मंदिर, ताडोबा (चिमूर)
ताडोबा व्याघ्र अभयारण्य के रामदेगी जंगल में स्थित प्राचीन शिव मंदिर काले पत्थर से निर्मित है। प्राकृतिक वातावरण में स्थित होने के कारण यह स्थान भक्तों को आध्यात्मिक और मानसिक शांति प्रदान करता है। यहां श्रावण मास में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
राक्षस मंदिर (हेमाडपंथी शिव मंदिर), नेरी (चिमूर)
चिमूर तालुका के नेरी गांव में स्थित हेमाडपंथी शिव मंदिर, जिसे ‘राक्षस मंदिर’ भी कहा जाता है, ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है। मंदिर के पास खुदाई में प्राचीन शिवलिंग मिले हैं, जिससे इसका पुरातात्विक महत्व साबित होता है। यहां भक्त महाशिवरात्रि पर विशेष पूजा और अभिषेक करते हैं।
राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज तपोभूमि, गोंदेडा
गोंदेडा स्थित राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज की तपोभूमि में भी एक भव्य शिव मूर्ति स्थित है। श्रद्धालु यहां राष्ट्रसंत के दर्शन के साथ-साथ भगवान शिव के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।
चंद्रपुर जिले के इन सभी प्राचीन शिव मंदिरों में महाशिवरात्रि की धूम देखने को मिलेगी। शिवभक्त मंदिरों में जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और भजन-कीर्तन करते हुए भगवान शिव की आराधना करेंगे। ये धार्मिक स्थल न केवल श्रद्धा और आस्था के केंद्र हैं, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर भी हैं, जिन्हें सहेजने की आवश्यकता है।
हर-हर महादेव!