जीवन में जब कठिनाइयाँ आती हैं, तो कुछ लोग टूट जाते हैं, जबकि कुछ लोग उन्हें अपनी ताकत बना लेते हैं। सुमन कांबले ऐसी ही एक महिला हैं, जिन्होंने जीवन की तमाम मुश्किलों को अपने हौसले से मात दी। गरीबी, विधवा होने का दर्द और तीन बच्चों की जिम्मेदारी—इन तमाम संघर्षों के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। आज, 61 वर्ष की उम्र में भी वे अपने दिवंगत पति के चाय के व्यवसाय को संभालते हुए न सिर्फ अपनी जीविका चला रही हैं, बल्कि जरूरतमंदों की भी मदद कर रही हैं।
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संघर्ष की कहानी…
सुमन कांबले के पति, जानबा कांबले, रोजगार की तलाश में घुग्घूस शहर आए और पुलिस थाने के सामने एक छोटी-सी चाय की टपरी लगाकर अपने परिवार का पालन-पोषण करने लगे। लेकिन साल 2007 में अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई और उनका निधन हो गया। उस समय सुमन के तीन छोटे बच्चे थे, और पूरे परिवार की जिम्मेदारी अकेले उन पर आ गई।
पति के जाने के बाद जीवन कठिनाइयों से भर गया। लेकिन सुमन कांबले ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने अपने पति के चाय के व्यवसाय को दोबारा शुरू किया और परिवार को संभालने का संकल्प लिया। समाज की चुनौतियों और आर्थिक परेशानियों के बावजूद उन्होंने अपने बच्चों की परवरिश पूरी ईमानदारी और मेहनत से की।
दया और मानवता का उदाहरण…
सबसे खास बात यह है कि खुद गरीबी में जीवन बिताने के बावजूद सुमन कांबले के दिल में दूसरों के लिए दया और सेवा की भावना बनी रही। वे अपनी चाय की दुकान पर आने वाले जरूरतमंदों को बिना पैसे लिए चाय पिलाती हैं। यह उनका दूसरों के प्रति प्रेम और दयालुता को दर्शाता है। आज के दौर में जहाँ स्वार्थ अधिक देखने को मिलता है, वहीं सुमन कांबले जैसी महिलाएँ समाज में उम्मीद की किरण बनकर उभरती हैं।
महिला सशक्तिकरण की मिसाल
विश्व महिला दिवस उन महिलाओं को सलाम करने का दिन है, जिन्होंने अपने साहस और मेहनत से समाज में एक मिसाल कायम की है। सुमन कांबले जैसी महिलाएँ यह साबित करती हैं कि सशक्तिकरण का मतलब केवल आर्थिक स्वतंत्रता नहीं है, बल्कि यह आत्मनिर्भरता, आत्मसम्मान और दूसरों की मदद करने की भावना में भी झलकता है।
सुमन कांबले की कहानी हमें सिखाती है कि परिस्थितियाँ चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, अगर हौसला मजबूत हो तो हर मुश्किल को पार किया जा सकता है। वे सिर्फ अपने परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि समाज के लिए भी प्रेरणा हैं।
सुमन कांबले जैसी महिलाएँ समाज में बदलाव लाने वाली नायिकाएँ हैं। उनकी संघर्षमयी यात्रा और सेवा भावना हर किसी के लिए प्रेरणादायक है। आज, जब हम विश्व महिला दिवस मना रहे हैं, तो हमें ऐसी महिलाओं को सलाम करना चाहिए जो अपनी मेहनत और समर्पण से न केवल अपना जीवन संवार रही हैं, बल्कि दूसरों की भी मदद कर रही हैं।