जिस ताड़ोबा-अंधारी व्याघ्र प्रकल्प का नाम सुनते ही आंखों के सामने शान से घूमता बाघ नजर आता है, वहीं अब एक नया रहस्य रोमांच पैदा कर रहा है — काला बिबट, यानी ‘ब्लैकी’। बीते कुछ वर्षों में इस रहस्यमयी जीव ने जंगल सफारी पर आने वाले पर्यटकों के मन में अपनी एक खास जगह बना ली है। बाघ भले ही बार-बार दिख जाए, लेकिन ब्लैकी का दीदार करना अब भी ‘जैकपॉट’ जैसा ही है।
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जंगल का अदृश्य साया:
ताज़ा मामला ताड़ोबा-अंधारी के पांगड़ी बफर ज़ोन का है, जहाँ प्रख्यात वन्यजीव छायाचित्रकार अरविंद बंडा ने एक काले बिबट को पानी पीते हुए कैमरे में कैद किया। ब्लैकी की यह दुर्लभ झलक अब जंगल की दुनिया में वायरल हो गई है।
महाराष्ट्र में बढ़ी बिबटों की संख्या — और अब काले भी!
फरवरी 2025 में जारी एक वन्यजीव गणना रिपोर्ट के अनुसार, मध्यप्रदेश के बाद महाराष्ट्र में भी बिबटों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी देखी गई है। आश्चर्यजनक रूप से, अब सामान्य बिबटों के साथ-साथ मेलेनिस्टिक यानी काले बिबटों की संख्या भी बढ़ रही है। ताड़ोबा, पेंच, नवेगाव-बांध, आंबोली और अब भंडारा जैसे क्षेत्रों में काले बिबटों की पुष्टि हो चुकी है। सबसे पहली बार मई 2018 में एक बेल्जियम दंपति ने सफारी के दौरान कोलसा वनपरिक्षेत्र में काले बिबट को देखा था। इसके बाद 2021 में कैमरा ट्रैपिंग के ज़रिए भी उसकी मौजूदगी दर्ज की गई थी।
मेलेनिन का कमाल:
वन्यप्राणियों के शरीर में मेलेनिन नामक रंजक तत्व की अधिकता से उनका रंग गहरा हो जाता है। इसी वजह से यह बिबट पूरी तरह काला दिखता है।
काले बिबटों की रहस्यमयी फेहरिस्त:
2018: ताड़ोबा-कोलसा में पहली बार काले बिबट की मौजूदगी दर्ज।
2021: ताड़ोबा और नवेगाव में दिखाई दिया।
मार्च 2023: मदनापुर में दो काले बिबट के शावकों को देखा गया।
खतरे में है ये दुर्लभ जीव?
काले बिबट की 2023 में शिकार की घटना सामने आई, जिससे ये सवाल खड़े हो गए हैं कि क्या ये दुर्लभ जीव भी इंसानी लालच का शिकार बन रहा है?
महाराष्ट्र के जंगलों में काले बिबट की बढ़ती उपस्थिति रोमांच का नया अध्याय तो जरूर खोल रही है, लेकिन इसके साथ संरक्षण की बड़ी जिम्मेदारी भी आ गई है। ब्लैकी अब सिर्फ जंगल का हिस्सा नहीं, बल्कि जंगल की काली कविता बन गया है – जिसे हर कोई देखना चाहता है, पर बहुत कम लोग देख पाते हैं।