आदमखोर बाघिन पर काबू, सावली व मुल तालुका में सात महीने बाद लौटी चैन की सांस
बाघिन ने ली 4 लोगों की जान, 3 घायल – 9 अप्रैल को पकड़ी गई बाघिन – 12 अप्रैल को तीनों शावकों को भी पकड़ा गया – वन विभाग की कुशल रणनीति और बहादुरी से सफल ऑपरेशन
सात महीने की दहशत का अंत
चंद्रपुर जिले के सावली वन परिक्षेत्र के ग्रामीणों के लिए पिछले सात महीने किसी बुरे सपने से कम नहीं थे। जंगल से लगे गांवों में बाघिन का आतंक इस कदर छाया था कि लोग खेतों में जाना तो दूर, घरों से बाहर निकलने में भी डरते थे। चार निर्दोष ग्रामीणों की जान ले चुकी इस आदमखोर बाघिन ने क्षेत्र को भय के साये में डाल दिया था।
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साहसी ऑपरेशन, अनुभवी टीम
9 अप्रैल 2024 को, मुख्य वनसंरक्षक डॉ. जितेंद्र रामगावकर व विभागीय वन अधिकारी प्रशांत खाडे के नेतृत्व में एक विशेष ऑपरेशन शुरू किया गया। सहाय्यक वनसंरक्षक विकास तरसे व वनपरिक्षेत्र अधिकारी विनोद धुर्वे के निर्देशन में तैयार की गई टीम में अनुभवी और समर्पित अधिकारी शामिल थे: सुरेंद्र वाकडोत, नंदकिशोर पाटील, रवी सूर्यवंशी, अनिल मेश्राम, राजू कोडापे, सतीश नागोसे, श्रीराम आदे, लंकेश अखाड़े, महादेव मुंडे सहित कई वनकर्मियों ने अभियान में भाग लिया।
RRT और अजय मराठे की भूमिका
इस ऑपरेशन में ताडोबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्प के पशुधन विकास अधिकारी डॉ. रविकांत खोब्रागडे और प्रसिद्ध शूटर अजय मराठे ने भी अहम भूमिका निभाई। उन्होंने बाघिन को पहले बेहोश कर सुरक्षित पकड़ा और फिर तीनों शावकों को जाल में फँसाकर ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
> “बाघिन की आक्रामकता उसके शावकों के कारण बढ़ गई थी, पर टीम ने सूझबूझ से काम लिया।”
— प्रशांत खाडे, विभागीय वन अधिकारी
ग्रामीणों ने जताया आभार
बाघिन और उसके शावकों के पकड़े जाने की खबर मिलते ही सावली और आसपास के गांवों में खुशी की लहर दौड़ गई। ग्रामीणों ने वन विभाग का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अब उन्हें सामान्य जीवन की ओर लौटने की उम्मीद है।
> “अब हम चैन की नींद सो पाएंगे, धन्यवाद वन विभाग!”
— सावली के एक ग्रामीण की प्रतिक्रिया
उदाहरण बना यह मिशन
यह ऑपरेशन केवल एक आदमखोर बाघिन को पकड़ने की नहीं, बल्कि प्रशासनिक संकल्प, टीम वर्क और निडरता की मिसाल बन गया। बिना किसी जानमाल की हानि के सफल हुए इस मिशन ने साबित किया कि अगर इच्छाशक्ति और समर्पण हो, तो कोई भी संकट पार किया जा सकता है।