चंद्रपुर शहर के प्रतिष्ठित ND Hotel पर एक बार फिर अपराध का साया मंडराता दिखा। देशभर के राजनेताओं और नामचीन हस्तियों की पसंद माना जाने वाला यह होटल अब लगातार जुए और अनैतिक गतिविधियों का केंद्र बनता जा रहा है। रविवार, 27 अप्रैल की रात को ND होटल में पुलिस ने छापेमारी कर जुआ खेलते हुए 10 लोगों को रंगेहाथों गिरफ्तार किया और 3 लाख 10 हजार रुपये से अधिक की नकदी जब्त की।
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यह कोई पहली घटना नहीं है—ND होटल इससे पहले भी चर्चा में रहा है। 1 सितंबर 2024 को इसी होटल के कमरा नंबर 114 में बिल्डर गजानन निलावार के बेटे अंकित निलावार समेत 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। उस समय 15 लाख रुपये से अधिक की राशि पुलिस ने जब्त की थी। लेकिन इतने बड़े प्रकरण के बावजूद ND होटल की व्यवस्थाओं में कोई सुधार नहीं हुआ।
ND होटल: नाम है शान का, काम है गुमनाम का!
ND होटल, जो चंद्रपुर-नागपुर मार्ग पर स्थित है, अपनी भव्यता और हाई-प्रोफाइल मेहमानों के लिए जाना जाता है। लेकिन अब यही होटल जुआ और अनैतिक गतिविधियों का पर्याय बनता जा रहा है। स्थानीय नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं में इस बात को लेकर भारी आक्रोश है कि कैसे एक प्रसिद्ध होटल खुलेआम जुए का अड्डा बन गया है और बार-बार कार्रवाई के बावजूद यह सिलसिला थमता नहीं।
इस बार कमरा नंबर 112 में चल रहे इस गोरखधंधे की भनक स्थानीय अपराध शाखा (LCB) को गुप्त सूचना के माध्यम से मिली। सूचना मिलते ही पुलिस की टीम ने देर रात होटल में धावा बोल दिया और 10 आरोपियों को जुआ खेलते हुए रंगेहाथ पकड़ लिया।
गिरफ्तार आरोपी:
1. समीर उराडे, 2. दिलीप जेठानी, 3. उमेश खाटे, 4. योगेश्वर पंडित, 5. प्रभाकर येनगंदेलवार, 6. गोवर्धन चंदेल, 7. हामिद शरीफ, 8. भोला दास, 9. शिवम हसानी, 10. संतोष आंबे, इन सभी आरोपियों के खिलाफ महाराष्ट्र जुआ अधिनियम की धारा 4 और 5 के तहत मामला दर्ज कर उन्हें हिरासत में लिया गया है।
पुलिस की कार्रवाई में शामिल अधिकारी:
यह पूरी कार्रवाई पुलिस अधीक्षक मुम्मका सुदर्शन और अपर पुलिस अधीक्षक रीना जनबंधु के मार्गदर्शन में अंजाम दी गई। पुलिस निरीक्षक अमोल काचोरे के नेतृत्व में API बलराम झाडोकार, PSI संतोष निंभोरकर, जय सिंह, चेतन गज्जलवार, प्रशांत नागोसे, शशांक बादामवार, मिलिंद जांभुळे, नितीन रायपुरे और किशोर वाकाटे जैसे अधिकारियों ने मिलकर यह ऑपरेशन सफल बनाया।
क्या ND होटल पर अब भी रहेगा कानून का खौफ?
लगातार दो बार ND होटल में जुए के मामले सामने आने के बाद आम जनता सवाल उठा रही है—क्या यह होटल सिर्फ नाम का प्रतिष्ठित है और असल में अपराधियों का सुरक्षित ठिकाना बन चुका है?
पुलिस की कार्रवाई भले ही सराहनीय रही हो, लेकिन अब जरूरत है ND होटल के लाइसेंस और संचालन की गहराई से जांच की। क्या होटल प्रबंधन इन गतिविधियों में लिप्त है? क्या यह सब सिर्फ ‘कमरे में क्या हो रहा है’ तक सीमित है, या इसके पीछे संगठित रैकेट है?
