राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने पहलगाम आतंकी हमले में शहीद नौसेना अधिकारी लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी नरवाल के खिलाफ सोशल मीडिया पर चल रहे नफरत अभियान को लेकर सख़्त रुख अपनाया है। आयोग ने कहा कि किसी भी महिला को उसके विचारों या निजी जीवन के आधार पर ट्रोल करना गलत है।
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क्या हुआ था?
22 अप्रैल को दक्षिण कश्मीर के पहलगाम के पास बैसरन में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। इस हमले में लेफ्टिनेंट विनय नरवाल भी शहीद हो गए थे। हिमांशी ने इसके बाद लोगों से अपील की थी कि “हम नहीं चाहते कि लोग मुसलमानों और कश्मीरियों के पीछे पड़ें।”
लेकिन, उनकी इस अपील के बाद सोशल मीडिया पर उन्हें निशाना बनाया गया। कई यूजर्स ने उन्हें “देशद्रोही” तक कह डाला, जबकि कुछ ने उनके निजी जीवन पर भी टिप्पणियां कीं।
एनसीडब्ल्यू का बयान – “असहमति हो सकती है, लेकिन ट्रोलिंग नहीं!”
राष्ट्रीय महिला आयोग ने एक बयान जारी कर कहा, “लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की शहादत के बाद, उनकी पत्नी हिमांशी नरवाल के एक बयान को लेकर सोशल मीडिया पर जिस तरह की आलोचना हो रही है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है।”
आयोग ने स्पष्ट किया कि भले ही हिमांशी की टिप्पणियां कुछ लोगों को पसंद न आई हों, लेकिन असहमति संवैधानिक सीमाओं के भीतर और सभ्य तरीके से जताई जानी चाहिए। “किसी महिला को उसकी वैचारिक अभिव्यक्ति के लिए ट्रोल करना गलत है,” एनसीडब्ल्यू ने जोर देकर कहा।
सोशल मीडिया पर बवाल
हिमांशी की टिप्पणियों के बाद ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर #ShameOnHimanshi और #KashmirTerrorSympathiser जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। कई यूजर्स ने उन्हें “आतंकवाद की समर्थक” तक कह डाला। वहीं, कुछ लोगों ने उनके पक्ष में भी आवाज़ उठाई और कहा कि “एक शहीद की पत्नी को ट्रोल करना देश की भावनाओं का अपमान है।”
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
मनोवैज्ञानिक डॉ. प्रीति सिंह का कहना है कि “हिमांशी नरवाल एक दर्दनाक हादसे से गुजर रही हैं। ऐसे में उनकी भावनाओं को समझना चाहिए, न कि उन्हें ट्रोल करना चाहिए।”
वहीं, सोशल मीडिया एक्सपर्ट अंकित मिश्रा कहते हैं, “सोशल मीडिया पर अक्सर लोग बिना सोचे-समझे ट्रोलिंग शुरू कर देते हैं। यह एक गंभीर मसला है, जिस पर कंट्रोल की जरूरत है।”
क्या होगा अगला कदम?
एनसीडब्ल्यू ने अभी तक कोई कानूनी कार्रवाई की बात नहीं कही है, लेकिन उन्होंने साफ कर दिया है कि “महिलाओं के खिलाफ ऑनलाइन उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
यह मामला एक बार फिर साबित करता है कि सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की आजादी और उसकी सीमाओं पर बहस जरूरी है। एक शहीद की पत्नी को ट्रोल करना न सिर्फ उनके दर्द को नज़रअंदाज़ करना है, बल्कि देश की एकता के लिए भी खतरनाक हो सकता है।
#StandWithHimanshi ट्रेंड कर रहा है – आपका क्या है इस मामले पर स्टैंड? कमेंट में बताएं!