चंद्रपुर जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक (CDCC) में हुई 358 पदों की भरती (क्लर्क – 261 और अन्य – 91) अब गंभीर विवादों के घेरे में है। एक तीन सदस्यीय विशेष जांच समिति के समक्ष दर्जनों शिकायतकर्ताओं द्वारा पेश किए गए दस्तावेजों से यह स्पष्ट हो रहा है कि इस भरती प्रक्रिया में ग़ैरकानूनी तरीके से चयन किया गया।
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सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि बैंक संचालकों, अधिकारियों और कर्मचारियों के रिश्तेदारों और घरों में काम करने वाले नौकरों को तक इस भर्ती में प्राथमिकता दी गई। इतना ही नहीं, जिन उम्मीदवारों के पास पैसे नहीं थे, उनसे संचालकों ने उनके परिवार की कृषि भूमि अपने नाम पर लिखवाने की शर्त पर नौकरी देने का सौदा किया।
जांच समिति के समक्ष विस्फोटक खुलासे:
भंडारा जिले के उपनिबंधक शुद्धोधन कांबळे की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय जांच दल के समक्ष भाजपा ओबीसी सेल के जिलाध्यक्ष मनोज पोतराजे, मनसे के राजू कुकड़े, और शिंदे गुट शिवसेना के मुकेश जीवतोडे ने घोटाले से जुड़ी ठोस जानकारी और दस्तावेज प्रस्तुत किए।
मुकेश जीवतोडे ने संचालकों और अभ्यर्थियों के बीच हुई पैसों की सौदेबाज़ी की बातचीत वाली पेन ड्राइव जांच पथक को सौंपकर तहलका मचा दिया। साथ ही जमीन के सौदों से जुड़े रजिस्टर्ड दस्तावेज और बैंक खातों की जानकारी भी दी गई।
‘रुपये नहीं तो जमीन दो’ – संचालकों की सौदेबाजी:
जिन अभ्यर्थियों के पास पैसे नहीं थे, उनके परिवारजनों से जमीन अपने नाम करवाने की शर्त पर नौकरी दी गई। ये आरोप भी दस्तावेजों और गवाहों के साथ जांच पथक के सामने रखे गए हैं। आरक्षण बचाव संघर्ष समिति ने भी राज्य के अन्य जिलों में हुई गैर-आरक्षित भर्ती के रद्द किए गए मामलों के दस्तावेज पेश किए।
फर्जी अंकतालिकाएं और योग्यता प्रमाणपत्र:
आईटीआई कंपनी द्वारा अंकों में की गई हेराफेरी, इंटरव्यू में हुई धांधली और चयनित अभ्यर्थियों की फर्जी शैक्षणिक पात्रता के मामले भी सामने आए हैं।
घोटाले का स्वरूप:
चयनित अभ्यर्थियों की फर्जी शैक्षणिक प्रमाण पत्र
आईटीआई कंपनी द्वारा अंकों में की गई हेराफेरी
इंटरव्यू में हुई गैर-पारदर्शी प्रक्रिया
बिना आरक्षण रोस्टर के नियुक्तियाँ
पैसे और संपत्ति लेकर नौकरी देने के आरोप
इन अभ्यर्थियों के नाम सूची में शामिल:
सारंग तिजारे, प्रतीक बोधले, मोहिनी कुबे, स्वप्नील येरोजवार, पूजा बावणे, राउफ शेख, कुणाल रघाताटे, लोकेश डॉगरवार, गोपाल सातपुते, स्वप्नील अडबाले, यशवंत चौहान, काजल दिवे, अमोल शेरकी, स्नेहल ताजणे, राहुल गरडे, शिल्पा बेलेकर, रूपाली पोडे, मनीष सूर्यवंशी, प्रणय वाढई, दीक्षा चन्ने, अंकित जोगी, तुषार मस्की, ओमकार शास्त्रकार, आकांक्षा ताजणे, तन्मय बोरीकर, विशाल खंगार, धनंजय निखाडे, आनंद पवार, मयूर संभाणी और अन्य।
अगले सप्ताह फिर होगी पूछताछ:
फिलहाल बैंक के अध्यक्ष, सीईओ और कुछ संचालक चुनावी कार्य हेतु नागपुर में हैं, और कुछ शिकायतकर्ता भी बाहर गए हैं। ऐसे में जांच पथक अगले सप्ताह पुनः बैंक में दस्तक देगा।
बैंक के अध्यक्ष, मुख्य कार्यकारी अधिकारी और अन्य प्रमुख संचालक फिलहाल नागपुर में चुनावी कार्य में व्यस्त होने के कारण जांच समिति उनसे संपर्क नहीं कर सकी। अगले सप्ताह समिति दोबारा बैंक का दौरा करेगी।
शिकायतकर्ताओं की मांग:
संचालकों और चयनित उम्मीदवारों के परिवारों के बैंक खातों की फॉरेंसिक जांच की जाए ताकि घोटाले की आर्थिक परतें उजागर हो सकें।
अगर जांच में ये आरोप सही पाए गए तो यह भर्ती घोटाला महाराष्ट्र में सहकारी बैंकों के इतिहास का सबसे बड़ा मामला बन सकता है। राज्य सरकार और सहकार विभाग की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो सकते हैं।