Rambagh Ground खेलप्रेमियों और स्थानीय नागरिकों के लिए जीवनरेखा बन चुका चंद्रपुर का ऐतिहासिक रामबाग मैदान बीते कुछ दिनों से भारी विवादों में घिरा हुआ था। क्रिकेट और फुटबॉल जैसे लोकप्रिय खेलों का गढ़ माने जाने वाले इस मैदान को अचानक नई जिला परिषद इमारत के निर्माण के लिए खोद डाला गया, जिससे क्षेत्र में आक्रोश की लहर दौड़ गई।
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स्थानीय लोगों ने प्रशासन को कई बार इस निर्णय पर पुनर्विचार करने का निवेदन किया, लेकिन उनकी आवाज अनसुनी कर दी गई। जब मैदान के बीचों-बीच विशाल गड्ढा खोद दिया गया और प्रशासन ने कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी, तब जनता ने संघर्ष का बिगुल बजा दिया।
रविवार की सुबह 7 बजे, रामबाग मैदान में एक अभूतपूर्व महापंचायत आयोजित की गई—और वह भी उसी खड्डे के भीतर! यह दृश्य किसी आंदोलन से कम नहीं था। लगभग 500 नागरिक, जिनमें शहर के खिलाड़ी, युवा, सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि, योगा ग्रुप्स और जागरूक नागरिक शामिल थे, बड़ी संख्या में इस पंचायत में शामिल हुए।
महापंचायत के दौरान 8 अहम प्रस्ताव पढ़े गए और हाथ उठाकर तथा आवाज बुलंद कर उन्हें सर्वसम्मति से पारित किया गया। इस जनदबाव की गूंज जल्द ही राजनीतिक गलियारों तक पहुंची। भाजपा के वरिष्ठ नेता सुधीर मुनगंटीवार ने मामले की गंभीरता को भांपते हुए संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों को जिलाधिकारी कार्यालय बुलवाया। वहां जिलाधिकारी और विधायक किशोर जोरगेवार की उपस्थिति में बैठक हुई।
बैठक में प्रशासन ने आखिरकार झुकते हुए यह भरोसा दिया कि रामबाग मैदान को फिर से पहले जैसा बनाया जाएगा, और यह जनता की भावना के अनुसार ही उपयोग में लाया जाएगा।
यह ऐतिहासिक महापंचायत एक मिसाल बन गई है कि जब जनता एकजुट होती है, तो सबसे मजबूत सत्ता भी झुकने पर मजबूर हो जाती है। रामबाग मैदान की यह लड़ाई केवल एक खेल के मैदान की नहीं, बल्कि जनता के अधिकारों की जीत है।
रामबाग मैदान बचाव संघर्ष समिति ने आंदोलन को अब विराम दिया है, लेकिन साथ ही चेतावनी भी दी है कि यदि आश्वासनों को अमल में नहीं लाया गया, तो अगला कदम और भी उग्र हो सकता है।
क्या प्रशासन वादे पर कायम रहेगा? क्या मैदान को उसकी पूर्व गरिमा वापस मिलेगी? यह तो वक्त ही बताएगा।