Black market coal scam: कोयला बाजार में एक बार फिर मिलावट और कालाबाजारी का धंधा जोरों पर है। देर रात के अंधेरे में यह अवैध कारोबार खुलेआम चल रहा है, जिसमें उच्च गुणवत्ता वाले कोयले को महाराष्ट्र और तेलंगाना के ब्लैक मार्केट में ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है, जबकि मिलावटी और घटिया कोयला बिजली संयंत्रों को भेजकर सरकार को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया जा रहा है। इसकी भरपाई आम जनता के बढ़ते बिजली बिलों से की जा रही है।
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कैसे हो रही है मिलावट?
सूत्रों के मुताबिक, वेकोली और आसपास के निजी कोयला खदानों से निकलने वाला कोयला बड़े ट्रांसपोर्टरों द्वारा निजी रेलवे साइडिंग, साखरवाही और नागाला परिसर के कोल प्लाटों पर पहुंचाया जाता है। वहाँ उच्च गुणवत्ता वाले कोयले को अलग कर लिया जाता है और उसमें सेल पत्थर, मिट्टी, कोयले की चूरी तथा क्षेत्र के स्टील प्लांटों की चरफाइन मिलाकर नकली कोयला तैयार किया जाता है। इसके बाद, इस घटिया कोयले को बड़ी बिजली कंपनियों, खासकर महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के पावर प्लांट्स में भेजा जाता है, जबकि असली उच्च ग्रेड कोयला ब्लैक मार्केट में ऊंची कीमतों पर बेचा जाता है।
रात के अंधेरे में चलता है धंधा
यह पूरा अवैध कारोबार रात की आड़ में चलाया जाता है। देर शाम होते ही वणी, घुग्घुस-चंद्रपुर मार्ग के नागाला ग्राम परिसर में स्थित निजी कोल प्लाट धारकों और माफिया गिरोहों के बीच साठगांठ होती है। रात भर कोयले की मिलावट की जाती है और सुबह होने तक इसे ट्रकों व रेलवे वैगनों के जरिए अलग-अलग जगहों पर पहुंचा दिया जाता है।
महाराष्ट्र का कोयला तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक के ब्लैक मार्केट में
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि तेलंगाना के सिंगरेनी कोलियरीज से उत्तम दर्ज़े का कोयले का उत्पादन होने के बावजूद भी यहां के निजी उद्योगों को चंद्रपुर-वणी के कोल-वॉशरिजो से तेलंगाना के अलावा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक राज्यों में खुलेआम भेचकर करोडों का मुनाफ़ा कमा रहे है। इससे साफ जाहिर है कि प्रशासनिक स्तर पर भी गहरी साजिश चल रही है।
बिजली बिल बढ़ोतरी का एक बड़ा कारण यह घोटाला!
इस मिलावट के कारण बिजली उत्पादन में गिरावट आ रही है। घटिया कोयले से बिजली प्लांट्स की दक्षता कम हो जाती है, जिससे उत्पादन लागत बढ़ती है। इसकी भरपाई बिजली कंपनियां आम जनता के बिल बढ़ाकर कर रही हैं। अगर जल्द ही इस घोटाले पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो आने वाले समय में बिजली दरों में भारी बढ़ोतरी हो सकती है।
क्या करेंगी जांच एजेंसियां?
इस काले कारोबार पर तुरंत कार्रवाई की जरूरत है। CBI, ED और राज्य सतर्कता दल को इस मामले में गहन जांच करनी चाहिए। अगर प्रशासन और जांच एजेंसियां चुप्पी साधे रहीं, तो मिलावटखोरों का यह धंधा और फलेगा-फूलेगा, जबकि आम आदमी की जेब पर डाका पड़ता रहेगा।
सवाल यह है: क्या सरकार और प्रशासन इस घोटाले को रोकने के लिए गंभीर है? या फिर यह सिस्टम इतना भ्रष्ट हो चुका है कि ऐसे घोटालेबाजों के खिलाफ कार्रवाई नामुमकिन है?