Chandrapur Tiger Attacks: 8 Dead in 9 Days as Human-Wildlife Conflict Spirals
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चंद्रपुर जिले में बाघों के बढ़ते हमलों ने भयावह स्थिति पैदा कर दी है। पिछले 9 दिनों में 8 लोगों की मौत के बाद स्थानीय लोगों में दहशत फैल गई है। इस मुद्दे पर कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने सरकार को जमकर घेर लिया और धमकी दी कि “अगर तुरंत कार्रवाई नहीं हुई, तो मृतकों के शव वन विभाग के कार्यालय में डाल देंगे!”
बाघों की बढ़ती संख्या, घटता आवास:
-» वडेट्टीवार ने कहा कि बाघों की संख्या बढ़ने से उनके प्राकृतिक आवास पर दबाव बढ़ा है, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ रहा है।
-» उन्होंने वन मंत्री गणेश नाइक और पालकमंत्री डॉ. अशोक उईके से तत्काल बैठक कर समाधान निकालने की मांग की।
पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा पर सवाल:
-» वडेट्टीवार ने कहा, “पैसे देकर क्या मरे हुए लोग वापस आ जाएंगे? क्या इंसान की कीमत सिर्फ मुआवजे से लगाई जा सकती है?”
-» उन्होंने व्यंग्य किया कि “अगर वन अधिकारियों को बाघों के हमले में मार दिया जाए और उनके परिवार को मुआवजा दिया जाए, तब शायद सरकार को जीवन की कीमत समझ में आए!”
भाजपा सरकार पर हमला:
-» उन्होंने याद दिलाया कि पहले भाजपा (शोभा फडणवीस सहित) बाघ संरक्षण के नाम पर प्रदर्शन करती थी, लेकिन अब मौन है।
-» “अब वे गर्व से कहते हैं कि उनकी वजह से बाघों की संख्या बढ़ी है, लेकिन इंसानों की जान जा रही है—क्या अब बाघों पर नियंत्रण नहीं करोगे?”
तेंदू पत्ता संग्रहकर्ताओं पर खतरा:
-» चंद्रपुर के जंगलों में तेंदू पत्ता (बीड़ी बनाने में उपयोगी) इकट्ठा करने वाले मजदूर बाघों के शिकार बन रहे हैं।
-» वन विभाग ने निश्चित समय तय किया है, लेकिन लोग अधिक कमाई के लिए शाम/रात में भी जंगल में घुस जाते हैं, जिससे हमले बढ़ रहे हैं।
समस्या का मूल कारण:0
-» बाघों की आबादी बढ़ी, लेकिन जंगलों का विस्तार नहीं हुआ।
-» मानव गतिविधियाँ (तेंदू पत्ता संग्रह, अतिक्रमण) बाघों के क्षेत्र में घुसपैठ बढ़ा रही हैं।
-» सरकारी उपाय नाकाफी—न तो बाघों के लिए नए अभयारण्य बने, न ही ग्रामीणों को सुरक्षित विकल्प दिए गए।
चंद्रपुर की घटनाएँ मानव-वन्यजीव संघर्ष की गंभीरता को उजागर करती हैं। सरकार को न सिर्फ बाघों के संरक्षण, बल्कि स्थानीय लोगों की सुरक्षा पर भी ध्यान देना होगा, नहीं तो विरोध और बढ़ेगा।