चंद्रपुर जिले की औद्योगिक नगरी घुग्घुस इन दिनों राजनीतिक सरगर्मियों का नया केंद्र बन चुकी है। भाजपा के दो प्रभावशाली खेमों मे —विधायक सुधीर मुंगटीवार सेवाकेंद्र और विधायक किशोर जोरगेवार गुट—के बीच चल रही अदृश्य जंग अब धीरे-धीरे सार्वजनिक मंचों पर ‘बर्थडे सेलेब्रेशन’ के बहाने शक्ति प्रदर्शन के रूप में सामने आ रही है।
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बर्थडे बनाम बर्थडे: शक्ति प्रदर्शन की नई होड़
राजनीतिक रूप से चर्चित विवेक बोढ़े का 11 मई को जन्मदिन शहर में धूमधाम से मनाया गया। विधायक देवराव भोंगले की विशेष उपस्थिति, शहरभर में लगे भारी-भरकम होर्डिंग्स, और “प्रयास” सभागृह में भव्य आयोजन ने यह साबित कर दिया कि यह केवल एक जन्मदिन नहीं बल्कि एक तरह की शक्ति-प्रदर्शन की कवायद थी।
बोढ़े, के नेतृत्व मे सेवाकेंद्र और अब वह राजुरा विधानसभा क्षेत्र की राजनीति में अपनी सियासी जमीन तलाशते नजर आ रहे हैं। यह संकेत देते हैं कि वे आनेवाले चुनावी रण में उतरने की तैयारी में हैं। लेकिन राजनीति में हर कदम का जवाब होता है।
आशीष माशीरकर का उदय: जवाबी ‘जन्मदिन’ का जलवा
भाजपा जिला महामंत्री विवेक बोढ़े के जन्मदिन के ठीक 14 दिन बाद, 25 मई को युवा नेता आशीष माशीरकर का जन्मदिन शहर में नए तेवर और अंदाज़ में मनाया गया। शहर के कोने-कोने में होर्डिंग्स, ‘स्नेहप्रभा’ सभागृह में उत्सवी माहौल और विशेष रूप से विधायक जोरगेवार तथा यवतमाल के विधायक राजू तोड़साम की मौजूदगी ने यह स्पष्ट कर दिया कि यह केवल व्यक्तिगत उत्सव नहीं बल्कि राजनीतिक जवाबी कार्रवाई थी। माशीरकर का तेजी से उभरता हुआ नेतृत्व अब जोरगेवार गुट की नई ताकत के रूप में देखा जा रहा है।
गुटबाजी का नया अध्याय: भाजपा में दोफाड़ की आहट
भाजपा की चंद्रपुर इकाई में गुटबाजी कोई नई बात नहीं, लेकिन घुग्घुस में यह विभाजन अब और स्पष्ट होता जा रहा है। जहां एक ओर सेवाकेंद्र का खेमाअपने वर्षों के निवेश और राजनीतिक प्रबंधन के बलबूते पर अपना दबदबा बनाए रखने की कोशिश में है, वहीं दूसरी ओर माशीरकर जैसे युवा नेता भाजपा की अंदरूनी राजनीति में नई हवा लाने को तैयार दिख रहे हैं।
शहर के राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा गर्म है कि—
क्या माशीरकर नगरपरिषद चुनावों में किस्मत आज़माने की तैयारी कर रहे हैं?
क्या सेवाकेंद्र के सालों पुराने प्रभाव को ये युवा चुनौती दे पाएंगे?
क्या यह बर्थडे वॉर अंततः आगामी चुनाव मे जमीन तैयार करने की रणनीति है?
राजनीति का ‘होर्डिंग वॉर’: किसका कब्जा किस पर?
शहर के एसीसी रेलवे गेट के खंबे, जो वर्षों से विवेक बोढ़े और उनके समर्थकों के होर्डिंग्स से पटे रहते थे, अब माशीरकर के पोस्टरों से भर गए हैं। यह बदलाव केवल विज्ञापन नहीं बल्कि मानसिक और राजनीतिक कब्जे का प्रतीक माना जा रहा है। यह दृश्य अब सियासत के बदलते समीकरण की प्रतीक बन गया है।
राजनीतिक भूचाल की दस्तक?
घुग्घुस की भाजपा इकाई एक निर्णायक मोड़ पर खड़ी है। एक ओर वर्षों से जमी-जमाई सेवाकेंद्र की सत्ता है, तो दूसरी ओर युवा नेतृत्व का ताजा और आक्रामक रूप। आने वाले नगरपरिषद व विधानसभा चुनावों में यह बर्थडे पॉलिटिक्स किस करवट बैठती है, यह देखना बेहद दिलचस्प होगा।
सवाल यह नहीं कि किसका जन्मदिन ज्यादा भव्य था, सवाल यह है कि इस भव्यता के पीछे छुपी सियासत जनता को किस दिशा में ले जाएगी।