तेलंगाना भाजपा में बड़ा सियासी उलटफेर, गोशामहल से फायरब्रांड विधायक टी. राजा सिंह ने पार्टी से इस्तीफा दिया। रामचंदर राव को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की खबर से नाराज होकर कार्यकर्ताओं की अनदेखी का लगाया आरोप।
तेलंगाना की राजनीति में उस समय बड़ा भूचाल आ गया जब भारतीय जनता पार्टी (BJP) के फायरब्रांड नेता और गोशामहल से तीन बार विधायक रह चुके टी. राजा सिंह ने सोमवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उनका यह कदम पार्टी के अंदर चल रही गहरी नाराजगी और नेतृत्व चयन को लेकर असंतोष का खुला इज़हार है।
राजा सिंह का यह इस्तीफा ऐसे वक्त आया है जब तेलंगाना भाजपा अध्यक्ष पद के लिए नामांकन प्रक्रिया चल रही है और पूर्व एमएलसी रामचंदर राव के नाम पर लगभग मुहर लग चुकी है। माना जा रहा है कि रामचंदर राव ही 1 जुलाई को पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष घोषित किए जाएंगे। इसी फैसले से खफा होकर राजा सिंह ने अपने त्यागपत्र में पार्टी नेतृत्व को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
✦ इस्तीफे में क्या कहा टी. राजा सिंह ने?
राजा सिंह ने तेलंगाना भाजपा अध्यक्ष जी. किशन रेड्डी को भेजे अपने पत्र में कहा, > “यह पत्र मेरी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा से नहीं जुड़ा, बल्कि लाखों वफादार कार्यकर्ताओं के दर्द और निराशा को दर्शाता है। पार्टी में कुछ चुनिंदा लोग पर्दे के पीछे से निर्णय ले रहे हैं, जिससे जमीनी कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट रहा है।”
राजा सिंह ने साफ तौर पर संकेत दिया कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व स्थानीय संवेदनाओं और निष्ठावान कार्यकर्ताओं की भावना को दरकिनार कर रहा है। उन्होंने कहा कि चुप्पी को समर्थन नहीं समझा जाना चाहिए और यह कदम “लाखों कार्यकर्ताओं के लिए सदमे जैसा है।”
✦ भाजपा में अंदरूनी कलह या रणनीतिक सफाई?
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, टी. राजा सिंह का यह फैसला केवल व्यक्तिगत विरोध नहीं है, बल्कि तेलंगाना भाजपा में चल रही अंदरूनी राजनीति और गुटबाजी को उजागर करता है।
रामचंदर राव जैसे ‘सॉफ्ट इमेज’ वाले नेता को अध्यक्ष बनाए जाने की तैयारी ऐसे समय में की गई है जब पार्टी राज्य में ध्रुवीकरण की राजनीति पर निर्भर रही है। राजा सिंह की कट्टर हिंदुत्ववादी छवि भाजपा के एक बड़े वर्ग को आकर्षित करती रही है, लेकिन उनके खिलाफ दर्ज 105 आपराधिक मामले, जिनमें 18 सांप्रदायिक प्रकृति के हैं, पार्टी की छवि पर सवाल खड़े करते हैं।
2022 में टी. राजा सिंह को पार्टी से निलंबित भी किया गया था, हालांकि अक्टूबर 2023 में उनका निलंबन समाप्त कर दिया गया था। मगर अब उनके फिर से पार्टी छोड़ने के फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सुलह स्थायी नहीं थी।
✦ क्या BJP को होगा नुकसान?
राजा सिंह का गोशामहल में बड़ा प्रभाव है। उनका खुले तौर पर पार्टी से अलग होना भाजपा की राज्य इकाई में संगठनात्मक एकता को गहरा झटका दे सकता है, खासकर जब विधानसभा चुनाव की तैयारियाँ शुरू हो चुकी हैं।
वहीं, भाजपा नेतृत्व के सामने यह चुनौती है कि वह कार्यकर्ताओं के असंतोष को कैसे संभाले और पार्टी को एकजुट कैसे रखे।
✦ राजा सिंह की भविष्य की राह?
राजा सिंह ने कहा है कि > “मैं हिंदुत्व की विचारधारा, धर्म की सेवा और गोशामहल की जनता के लिए पूर्ण रूप से समर्पित हूं। मैं अपनी आवाज और ज्यादा मजबूती से उठाता रहूंगा।”
यह बयान उनके स्वतंत्र राजनीतिक भविष्य या किसी अन्य दल में संभावित प्रवेश के संकेत देता है। हालांकि अभी तक उन्होंने किसी नई पार्टी में शामिल होने की घोषणा नहीं की है, लेकिन हिंदुत्ववादी मतदाताओं के बीच उनकी पकड़ भाजपा के लिए खतरे की घंटी जरूर है।
टी. राजा सिंह का इस्तीफा सिर्फ एक नेता की नाराजगी नहीं, बल्कि भाजपा की भीतरखाने सुलगती सियासत का विस्फोट है। यह घटना यह सवाल खड़ा करती है कि क्या भाजपा अपने निष्ठावान और जनाधार वाले नेताओं को संभालने में विफल हो रही है?
तेलंगाना में भाजपा की सियासी दिशा और दशा, आने वाले समय में टी. राजा जैसे नेताओं की भूमिका पर निर्भर कर सकती है — जो भले ही पार्टी से बाहर हों, पर जनता में असरदार हैं।
