चंद्रपुर और घुग्घूस के हजारों नागरिकों को अतिक्रमणकारी बताकर बेदखल करने की तैयारी, विधायक किशोर जोरगेवार ने विधानसभा में ठोंकी मांग – “स्थायी पट्टे दो!” राजस्व मंत्री ने बुधवार को बैठक बुलाने की घोषणा की।
चंद्रपुर और घुग्घूस के हजारों परिवार पिछले 50–60 वर्षों से नझूल भूमि पर रह रहे हैं, लेकिन आज भी उन्हें अतिक्रमणकारी मानकर बेदखल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस गंभीर और संवेदनशील मुद्दे को लेकर विधायक किशोर जोरगेवार ने महाराष्ट्र विधानसभा के पावसाळी अधिवेशन में आवाज बुलंद की। उन्होंने मांग की कि इन वर्षों से बसे नझूलधारकों को स्थायी पट्टे दिए जाएं और उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ सुनिश्चित किया जाए।
विधायक जोरगेवार ने गुरुवार को कामगारों के सवाल उठाने के बाद शुक्रवार को विधानसभा में “लक्षवेधी सूचना” के तहत इस मुद्दे पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि:
चंद्रपुर मनपा क्षेत्र की 39 झोपड़पट्टियों में कुल 11,881 घर हैं।
- इनमें से 25 झोपड़पट्टियों के नक़्शे मंजूर हो चुके हैं, जबकि 14 अभी भी लंबित हैं।
- घुग्घूस नगरपरिषद क्षेत्र में करीब 1,300 परिवारों को अतिक्रमण की नोटिसें भेजी गई हैं।
- इस वजह से 4,000 से 5,000 लोग बेघर हो सकते हैं।
विधायक ने इसे सीधा अन्याय करार देते हुए कहा कि इतने वर्षों से बसी जनता को बेदखल करना मानवता और कानून दोनों के खिलाफ है। उन्होंने मांग की कि जिलाधिकारी, नगर परिषद, तहसीलदार और संबंधित अधिकारियों के साथ तात्कालिक बैठक लेकर समाधान निकाला जाए।
इस पर राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने बुधवार को बैठक बुलाने की घोषणा की है। इससे आशा की किरण जगी है कि वर्षों से लंबित पट्टों का सवाल अब सुलझेगा।
यह मुद्दा सिर्फ घरों की छत का नहीं, बल्कि सरकार की नियत और नीति पर भी सवाल खड़ा करता है। जिस जनता ने दशकों से कर चुकाया, वोट दिया, शहर को बसाया — आज उन्हीं को अतिक्रमणकारी घोषित कर बेघर किया जा रहा है। विधायक जोरगेवार की इस आक्रामक पैरवी से यह मुद्दा न सिर्फ चंद्रपुर या घुग्घूस तक सीमित रहा, बल्कि यह महाराष्ट्र के शहरी गरीबों की ज़मीनी हकदारी की लड़ाई बन गया है।
अब यह देखना अहम होगा कि बुधवार को होने वाली बैठक से क्या समाधान निकलता है — विस्थापन या स्थायित्व?
