यवतमाल और आदिलाबाद की बारिश ने खोले बांधों के गेट, चंद्रपुर के कई हिस्सों में तबाही।
- धानोरा-भोयेगांव, बल्लारपुर-विसापूर समेत कई मार्ग बंद, यातायात पूरी तरह ठप।
- कृषि क्षेत्र पर कहर: खेतों में घुसा पानी, फसलें बर्बाद, किसानों के सामने संकट।
- धरणों से छोड़े गए पानी से और बिगड़ी स्थिति – रविवार को भी पुलों पर 12 फीट ऊंचाई तक बहा पानी।
तेलंगाना के आदिलाबाद और महाराष्ट्र के यवतमाल ज़िले में हुई भारी अतिवृष्टि ने अब चंद्रपुर जिले में तबाही मचाना शुरू कर दिया है। लगातार बारिश से इसापूर और सातनाला धरण के दरवाज़े शनिवार को खोल दिए गए। इसके बाद छोड़ा गया पानी चंद्रपुर की वर्धा और पैनगंगा नदियों में तेजी से बढ़ा, जिससे पूरा क्षेत्र बाढ़ की चपेट में आ गया।
शनिवार शाम से ही चंद्रपुर, कोरपना और बल्लारपुर तालुके के कई इलाकों का संपर्क टूट गया। धानोरा-भोयेगांव मार्ग, बल्लारपुर-विसापूर रोड और कोरपना-कोडशी बु मार्ग को प्रशासन ने सुरक्षा की दृष्टि से बंद कर दिया। रविवार को भले ही जिले में बारिश कम हुई, लेकिन धरणों से छोड़े गए पानी ने स्थिति और गंभीर कर दी। घुग्घुस-गड़चंचुर मार्ग के भोयेगांव पुल पर 10 से 12 फीट ऊंचाई तक पानी बहता देखा गया, जिससे इलाके में दहशत का माहौल है।
ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे ज्यादा असर पड़ा है। पैनगंगा और वर्धा नदी किनारे बसे गांवों को प्रशासन ने हाई अलर्ट पर रखा है। जगह-जगह बैरिकेड लगाकर आवागमन रोका गया है। खेतों में पानी घुसने से फसलों का भारी नुकसान हुआ है। किसानों के सामने यह संकट उनके सालभर की मेहनत पर पानी फेर सकता है।
यह स्थिति सिर्फ स्थानीय बारिश की वजह से नहीं, बल्कि धरणों से अचानक छोड़े गए पानी के कारण और बिगड़ी है। प्रशासन की ओर से चेतावनी दी गई है कि नदी किनारे रहने वाले लोग सुरक्षित जगह पर शरण लें और अनावश्यक यात्रा न करें।
यह आपदा न सिर्फ प्राकृतिक खतरे का संकेत है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि अचानक बांधों का पानी छोड़ना, बिना पूर्व तैयारी के, ग्रामीण और कृषि जीवन पर कितना बड़ा संकट खड़ा कर सकता है।
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