महात्मा गांधी को समूचा देश ‘बापू’ के नाम से जानता है। लेकिन वर्तमान ‘बापू’ अब ‘गोडसे’ बनने की धमकी दे रहे हैं। इस धमकी को लेकर महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल आ गया है। इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए चंद्रपुर कांग्रेस के नेतागण व पदाधिकारियों ने आज पुलिस अधिकारियों से संपर्क किया। इस कथित ‘बापू’ पर अपराध दर्ज कर कठोर कार्रवाई करने की मांग चंद्रपुर कांग्रेस ने की।
कौन है वह कथित ‘बापू’ और क्यों दी गोडसे बनने की धमकी ? इसके बाद से क्यों मच गया राजनीति में बवाल और किसे मिली यह धमकी ? चंद्रपुर कांग्रेस इस मामले में कैसे कूद पड़ी इन तमाम सवालों को विस्तार से समझना जरूरी है।
बताया जाता है कि कीर्तनकार संग्रामबापू भंडारे जो इन दिनों ‘बापू’ का उपनाम धारण कर जनता के बीच कीर्तन करते हैं, इन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बालासाहेब थोरात को लेकर एक विवादित बयान दिया है। जिसमें वे कह रहे हैं कि – ‘हमें नथुराम गोडसे बनना पड़ेगा’ । यह एक प्रकार से थोरात को दी गई धमकी समझी जा रही है। इस पर कांग्रेस ने कड़ा ऐतराज जताया। यह मामला अब महाराष्ट्र की राजनीति में नया बवाल खड़ा कर गया।
चंद्रपुर पुलिस थाने में दी शिकायत, सियासी बवंडर तेज़
महाराष्ट्र की राजनीति में सुसंस्कृत और संयमी नेता के रूप में पहचाने जाने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बालासाहेब थोरात अचानक चर्चा के केंद्र में आ गए हैं। कारण है, कीर्तनकार संग्रामबापू भंडारे का विवादित और उग्र बयान, जिसमें उन्होंने थोरात को सीधे तौर पर निशाना बनाते हुए कहा – “हमें नथुराम गोडसे बनना पड़ेगा।”
यह कथन केवल राजनीतिक बयानबाज़ी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसे जीवन पर सीधी धमकी माना जा रहा है। खुले मंच से हत्या जैसी गंभीर धमकी दिए जाने पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में आक्रोश फैल गया है।
इस पूरे मामले को लेकर चंद्रपुर शहर जिला कांग्रेस कमिटी ने कड़ा विरोध जताया। शहर जिलाध्यक्ष रितेश (रामू) तिवारी के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल ने चंद्रपुर शहर पुलिस थाने में जाकर भंडारे के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की मांग करते हुए एक लिखित निवेदन सौंपा।
इस दौरान कई कांग्रेस पदाधिकारी और कार्यकर्ता उपस्थित रहे, जिनमें मनीष तिवारी, भालचंद्र दानव, राहुल चौधरी, नौशाद शेख, अख्तर सिद्धिकी, प्रसन्ना सिरवार और काशिफ अली शामिल थे।
राजनीतिक असहमति और मतभेद लोकतंत्र का हिस्सा हैं, लेकिन जब बात धमकियों और हिंसक इशारों तक पहुंचती है, तब यह गंभीर चिंता का विषय बन जाता है। संग्रामबापू भंडारे के बयान से यह स्पष्ट है कि धार्मिक मंचों से भी अब राजनीति में उग्र भाषा और असहिष्णुता बढ़ती जा रही है।
कांग्रेस ने इसे लोकतांत्रिक परंपरा और कानून व्यवस्था पर हमला बताया है और मांग की है कि अगर समय रहते सख्त कार्रवाई नहीं की गई तो माहौल और भड़क सकता है।
यह घटना केवल बालासाहेब थोरात तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे महाराष्ट्र की राजनीति में “धमकी की नई संस्कृति” को उजागर करती है। कुल मिलाकर, मामला केवल एक बयान का नहीं है, बल्कि यह लोकतांत्रिक मर्यादा बनाम असहिष्णु राजनीति की लड़ाई में नया मोड़ साबित हो सकता है।
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