अनंत चतुर्दशी पर शहर की पारंपरिक शोभायात्रा हर साल गणेश भक्तों की आस्था और उत्साह का प्रतीक होती है। इस अवसर पर विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक संगठन मुख्य मार्गों पर भव्य पंडाल सजाकर शोभायात्रा का स्वागत करते हैं। लेकिन इस बार शहर में यह धार्मिक-सांस्कृतिक परंपरा राजनीति के अखाड़े में तब्दील हो गई। भाजपा के दो विधायकों के गुट आमने-सामने आ खड़े हुए, और मामला सड़क से लेकर महापालिका तक गरमा गया।
विवाद की जड़
लोकमान्य तिलक स्कूल के समीप भाजपा का स्वागत पंडाल लगाने की योजना थी। सूत्रों के अनुसार, पूर्व महानगर अध्यक्ष राहुल पावड़े ने विधायक सुधीर मुनगंटीवार की अनुशंसा से अनुमति लेकर वहाँ पंडाल खड़ा कर दिया।
लेकिन, दूसरी ओर से विधायक किशोर जोरगेवार के समर्थक और शहर भाजपा अध्यक्ष सुभाष कासनगोटूवार ने आपत्ति दर्ज कराते हुए उसी स्थान पर अपना पंडाल लगाने की जिद ठान ली। यहीं से भाजपा का आंतरिक विवाद सतह पर आ गया।
सड़क पर उतरी राजनीति
दोनों गुटों के कार्यकर्ता पंडाल स्थल पर आमने-सामने आ गए। आरोप-प्रत्यारोप और नारेबाजी ने माहौल तनावपूर्ण बना दिया। हालात बिगड़ते देख पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा और वहां तैनाती बढ़ानी पड़ी। राजनीतिक खींचतान ने धार्मिक माहौल को छाया में डाल दिया।
अंदरुनी कलह की झलक
यह पहला मौका नहीं है जब भाजपा की गुटबाजी सार्वजनिक हुई हो। नगर महापालिका से लेकर सड़कों तक भाजपा नेताओं का यह टकराव संगठन की एकता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। गणेशोत्सव जैसे श्रद्धा और उत्साह से जुड़े आयोजन में पंडाल की राजनीति ने जनता को यह संदेश दिया है कि पार्टी के भीतर का “विघ्न” अभी समाप्त नहीं हुआ है।
