चंद्रपुर जिले के एक कथित विशेष प्रतिनिधि के खिलाफ जल्द ही कड़ी कार्रवाई होने के संकेत मिल रहे हैं। संबंधित पत्रकार पर पत्रकारिता के मूल सिद्धांतों के उल्लंघन, भ्रामक खबरें प्रकाशित करने और प्रेस की गरिमा को ठेस पहुंचाने के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए अब प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) और रजिस्ट्रार ऑफ न्यूजपेपर्स फॉर इंडिया (RNI) में औपचारिक शिकायत दर्ज कराने की तैयारी अंतिम चरण में है।
एक राष्ट्रीय अखबार का विशेष प्रतिनिधि, जो स्वयं को विदर्भ के 11 जिलों का प्रमुख रिपोर्टर और अखबार के शीर्ष टिम का करीबी बताकर धौंस जमाते रहा है, उस पर जल्द ही कार्रवाई की गाज गिरने की प्रबल संभावनाएं स्पष्ट नजर आने लगी है। क्योंकि इस विशेष प्रतिनिधि की प्रताड़नाओं का शिकार हो चुके अनेक व्यवसायी इसकी शिकायत अब सीधे प्रेस कौंसिल ऑफ इंडिया में करने की ठान चुके हैं। विदर्भ क्षेत्र में कोल वॉशरीज से जुड़े ट्रांसपोर्टर्स एवं अन्य सहायक (एन्सिलरी) व्यवसायों के संचालक अब कुछ चुनिंदा अखबारों में प्रकाशित हो रही कथित भ्रामक और एकतरफा खबरों के खिलाफ प्रेस कौंसिल ऑफ इंडिया में शिकायत दर्ज कराने की तैयारी कर रहे हैं।
उक्त प्रतिनिधि द्वारा लगातार तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया, बिना पुष्टि के खबरें प्रकाशित की गईं और निजी स्वार्थ के लिए पत्रकारिता का दुरुपयोग किया गया। इससे न केवल संबंधित व्यक्तियों की छवि धूमिल हुई, बल्कि पत्रकारिता की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े हुए हैं।
विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चंद्रपुर जिले के अनेक बड़े व्यवसायियों का कहना है कि तय नियमों के तहत संचालित कोल वॉशरीज से जुड़े परिवहन एवं अन्य वैध व्यवसायों को बिना किसी ठोस आधार के नकारात्मक रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। जिससे पूरे कारोबारी इकोसिस्टम की छवि प्रभावित हो रही है। यह न केवल छवि खराब करने का मामला है बल्कि इसके पीछे एक सोची समझी साजिश और अवैध लाभ पाने की रणनीति काम कर रही है।
बताया जा रहा है कि चंद्रपुर-पड़ोली निवासी एक पत्रकार जो खुद को विशेष प्रतिनिधि के रूप में एक राष्ट्रीय अखबार के रिपोर्टर के रूप में व्यापारियों पर धौंस जमा रहा है, उसकी भूमिका को लेकर ट्रांसपोर्टर्स और अन्य व्यवसायियों में गंभीर नाराजगी है। आरोप है कि यह कथित रूप से स्वयं को पूरे मीडिया नेक्सस को प्रभावित करने वाला व्यक्ति बताते हुए अपने प्रभाव के दम पर खबरें प्रकाशित या रोकी जाने की बात करता रहा है। कुछ व्यवसायियों का यह भी कहना है कि उन्होंने कथित तौर पर प्रशासनिक और सरकारी तंत्र से अपने संबंध होने का दावा कर दबाव बनाने की कोशिश की।
व्यवसायियों के अनुसार, जब संबंधित पक्षों ने इन भ्रामक खबरों पर आपत्ति जताने या तथ्यात्मक स्थिति स्पष्ट करने का प्रयास किया, तो उन्हें कथित रूप से प्रभाव और दबाव का सामना करना पड़ा। आरोप है कि जिन लोगों ने इस दबाव के आगे झुकने से इनकार किया, उन्हें लगातार नकारात्मक और अप्रमाणित खबरों के जरिए निशाना बनाया गया।
कुछ मामलों में यह आरोप भी सामने आया है कि खबरों का रुख बदलने या प्रकाशन रोकने के बदले आर्थिक वसूली या अन्य लाभ की कथित मांगें की गईं। जिससे ट्रांसपोर्टर्स और अन्य सहायक व्यवसायों में असंतोष और आक्रोश बढ़ गया है।
हैरत की बात यह है कि इन खबरों में पत्रकारिता के बुनियादी मानदंडों का पालन नहीं किया गया। न तो किसी जिम्मेदार सरकारी अधिकारी का पक्ष शामिल किया गया और न ही किसी प्रकार के दस्तावेज, नोटिस या आधिकारिक पत्राचार प्रकाशित किए गए। जिनसे खबरों के तथ्यों की पुष्टि हो सके।
लगातार हो रहे कुप्रचार और व्यवसायिक नुकसान से परेशान होकर ट्रांसपोर्टर्स एवं कोल वॉशरीज से जुड़े अन्य सहायक व्यवसायों के संचालकों ने अब प्रेस कौंसिल ऑफ इंडिया और रजिस्ट्रार ऑफ न्यूज़पेपर्स फॉर इंडिया (RNI) के समक्ष शिकायत दर्ज कराने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही बड़ी संख्या में ट्रांसपोर्टर्स और अन्य व्यवसायी चंद्रपुर निवासी इस विशेष प्रतिनिधि के खिलाफ कथित मानहानि, आपराधिक धमकी और अवैध दबाव बनाए जाने जैसे मामलों को लेकर सामूहिक कानूनी कार्रवाई करने की योजना भी बना रहे हैं। इस संबंध में विधि विशेषज्ञों से परामर्श लिया जा रहा है, ताकि कानून के दायरे में रहकर प्रभावी कदम उठाए जा सकें। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि संबंधित राष्ट्रीय अखबार के शीर्ष टिम की ओर से इस पत्रकार को बचाने का प्रयास किया जाता है या व्यापारियों के कानूनी संघर्ष का कोई उपयुक्त नतीजा सामने आता है ? मीडिया के इस बदनुमा चेहरे के खिलाफ एकजुट हो रहे व्यापारियों के संघर्ष में व्यापारी जीत पाएंगे या वसूलीबाज पत्रकारिता घूटने टेक देगी, यह देखना दिलचस्प होगा।
