देशगौरव और एकता का प्रतीक बना “भारतीय सेना वंदन” कार्यक्रम – विधायक किशोर जोरगेवार
सभी धर्मों और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने एक मंच पर आकर किया भारतीय सेना के शौर्य को नमन
Indian Army “देश के सम्मान के लिए जब सभी राजनीतिक दल, धर्म, भाषा और जातियों को भूलकर एक मंच पर आते हैं, तभी सच्चे भारतीय होने का परिचय मिलता है।” यह प्रेरणादायक संदेश महाराष्ट्र के विधायक श्री किशोर जोरगेवार ने “वंदन भारतीय सेना के शौर्याला” कार्यक्रम में देते हुए कहा। यह विशेष कार्यक्रम भारतीय सेना के अतुलनीय शौर्य, बलिदान और निष्ठा को नमन करने के उद्देश्य से गांधी चौक स्थित महानगरपालिका मैदान में आयोजित किया गया था।
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कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएं:
इस सर्वधर्मीय एवं सर्वपक्षीय आयोजन में बड़ी संख्या में नागरिक, सामाजिक कार्यकर्ता, राजनेता, धार्मिक गुरू एवं पूर्व सैनिक एकत्र हुए। सभी ने एक स्वर में भारतीय सेना को सामूहिक वंदन कर अपने राष्ट्रप्रेम का प्रदर्शन किया।
इस अवसर पर विधायक किशोर जोरगेवार ने कहा, > “भारतीय सेना केवल युद्धभूमि पर लड़ने वाली ताकद नहीं है, बल्कि यह हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनका शौर्य, उनकी निःस्वार्थ सेवा और मातृभूमि के प्रति निष्ठा ही सच्ची देशभक्ति है। आज जब हम सब मतभेदों को भूलकर एक साथ खड़े होते हैं, यही भारतीयता की असली झलक है।”
उल्लेखनीय उपस्थिति:
कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख धार्मिक और सामाजिक नेताओं में शामिल थे –
हिंदू धर्मगुरु मनीष महाराज
ईसाई समुदाय के पास्टर बिपीन
मुस्लिम समाज के मौलाना इमाम दिलशाद रज़ा (जामा मस्जिद)
पूर्व सैनिक अश्विन दूर्गे, राजेंद्र भोयर, गोविंदा डोमकावळे, धोंडुबा सपाट, मदन देशकर, अरुण मालेकर
राजनीतिक प्रतिनिधि – कांग्रेस, शिवसेना, भाजपा, राष्ट्रवादी कांग्रेस और जनविकास सेना के वरिष्ठ नेता
माजी महापौर अंजली घोटेकर, उपमहापौर अनिल फुलझले, तथा सामाजिक कार्यकर्ता मधुसूदन रुंगठा, संजय बोरघाटे, वाणी राव, अनिल समर्थ आदि।
विधायक जोरगेवार के उद्गार: उन्होंने कहा कि देश की सीमाओं की सुरक्षा करने वाले सैनिक हमारी अस्मिता और गौरव का प्रतीक हैं। वे केवल बंदूक नहीं उठाते, बल्कि हर नागरिक को निडर जीवन जीने का अधिकार देते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि— > “हमारे सैनिक जात-पात, धर्म, भाषा या राजनीति के भेद से ऊपर उठकर केवल भारत माता को देखते हैं। उनका बलिदान हमारे लिए प्रेरणा है, जिसे हम सिर्फ 15 अगस्त या 26 जनवरी तक सीमित नहीं कर सकते। हमें यह कृतज्ञता हर दिन जीनी चाहिए।”
सत्कार और सम्मान का आयोजन:
कार्यक्रम में विशेष रूप से पूर्व सैनिकों का सम्मान किया गया, जिससे सैनिकों के प्रति समाज की कृतज्ञता और सम्मान झलकता है। यह सम्मान उनके त्याग और सेवा को एक सामूहिक प्रणाम था। सूत्र संचालन प्रज्ञा जीवनकर ने किया और धन्यवाद ज्ञापन अमजद खान ने किया।
इस कार्यक्रम की सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि विभिन्न मतों, धर्मों और राजनीतिक विचारधाराओं से जुड़े लोगों ने एकजुट होकर सेना के प्रति कृतज्ञता प्रकट की। ऐसे आयोजनों से सामाजिक एकता को बल मिलता है और युवाओं में राष्ट्रभक्ति की भावना प्रज्वलित होती है।
“वंदन भारतीय सेना के शौर्याला” कार्यक्रम ने यह सिद्ध कर दिया कि भारत की विविधता ही उसकी सबसे बड़ी ताकद है। जब हर भारतीय बिना किसी भेदभाव के एक साथ खड़ा होता है, तभी देश मजबूती से आगे बढ़ता है।